वक्फ संपत्तियों पर सरकार का बड़ा एक्शन प्लान,, हर संपत्ति की डिजिटल एंट्री, कब्जेदारों की उलटी गिनती शुरू! हर वक्फ संपत्ति की ऑनलाइन एंट्री – अब नहीं चलेगा कब्जा! मुतवल्ली, प्रशासक और केयरटेकर ही खोलेंगे कब्जेदारों की पोल! सरकार का डिजिटल वार – अब नहीं बचेगा कोई कब्जेदार!

इन्तजार रजा हरिद्वार –वक्फ संपत्तियों पर सरकार का बड़ा एक्शन प्लान,,
हर संपत्ति की डिजिटल एंट्री, कब्जेदारों की उलटी गिनती शुरू!
हर वक्फ संपत्ति की ऑनलाइन एंट्री – अब नहीं चलेगा कब्जा!
मुतवल्ली, प्रशासक और केयरटेकर ही खोलेंगे कब्जेदारों की पोल!
सरकार का डिजिटल वार – अब नहीं बचेगा कोई कब्जेदार!
उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों पर वर्षों से चले आ रहे विवादों और अवैध कब्जों के खिलाफ सरकार अब एक्शन मोड में आ गई है। केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने राज्य की हर वक्फ संपत्ति को डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘वक्फ उम्मीद पोर्टल’ पर दर्ज करने की कार्ययोजना शुरू कर दी है। इस कार्य के जरिए न सिर्फ वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, बल्कि दशकों से चल रहे फर्जी कब्जों, अवैध किरायेदारों और बकायेदारों की सच्चाई भी सामने लाई जाएगी।
देहरादून से शुरू हुए इस तकनीकी प्रशिक्षण अभियान की अगुवाई खुद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स और विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते ने की। उन्होंने अधिकारियों, मुतवल्लियों, प्रशासकों और केयरटेकरों को पोर्टल पर संपत्तियों की ऑनलाइन एंट्री की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।
हर वक्फ संपत्ति की होगी ऑनलाइन प्रोफाइलिंग
वक्फ बोर्ड के निर्देशानुसार अब हर संपत्ति की पूरी जानकारी –
- वक्फ संख्या,
- मौजूदा कब्जेदार,
- किरायेदारों की स्थिति,
- बकाया किराया,
- खसरा-खतौनी,
- दानदाता का नाम,
- संपत्ति की चौहद्दी,
- वर्तमान फोटो
…आदि को वक्फ उम्मीद पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड करना होगा। विशेष बात यह है कि जिन जगहों पर वक्फ कमेटियां नहीं हैं, वहां खादिम और केयरटेकर स्वयं ये जानकारी अपलोड करेंगे।
इस कवायद का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ की संपत्तियों का सही और वास्तविक रिकॉर्ड सरकार के पास मौजूद हो, जिससे जरूरतमंदों – यानि गरीब, विधवा, अनाथ और समाज के वंचित वर्गों – को उनके हक की संपत्ति का लाभ दिया जा सके।
शादाब शम्स का सख्त संदेश – “गरीबों का हक हड़पने वालों की पहचान तय”
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस अभियान को “ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम” बताया। उनका कहना है:
“केंद्र सरकार का नया वक्फ अधिनियम समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने का माध्यम बनेगा। जो भी लोग वक्फ संपत्तियों पर कब्जा किए हुए हैं, उन्हें अब छिपने की जगह नहीं मिलेगी। डिजिटल एंट्री के बाद हम एक-एक कब्जेदार को चिन्हित कर सकेंगे और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि वक्फ संपत्तियों की लूट और दखलअंदाजी अब ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी। वक्फ बोर्ड ऐसे हर व्यक्ति को चिन्हित करेगा जिसने गैरकानूनी तरीके से दुकानों, मकानों या अन्य वक्फ जमीनों पर कब्जा कर रखा है।
तीन जिलों में प्रारंभ हुआ प्रशिक्षण – हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल में तेजी
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के सीईओ सैयद सिराज उस्मान ने बताया कि शुरुआती चरण में देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल जिलों में यह प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। आने वाले सप्ताहों में पूरे राज्य के मुतवल्ली, प्रशासक और केयरटेकरों को प्रशिक्षित कर यह डेटा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
“हर स्तर पर पारदर्शिता लाने के लिए यह अभियान बेहद आवश्यक है। हम सुनिश्चित करेंगे कि वक्फ संपत्तियों की डिजिटल एंट्री बिना किसी गड़बड़ी के की जाए,” उन्होंने कहा।
इस अभियान से यह भी उम्मीद है कि वक्फ बोर्ड की राजस्व स्थिति मजबूत होगी, क्योंकि किराए की बकाया वसूली, फर्जी किरायेदारों की पहचान और नई योजनाओं के लिए भूमि उपलब्धता जैसे मामलों में डेटा की स्पष्टता आएगी।

बदलाव की दिशा | पहले | अब |
---|---|---|
संपत्तियों का रिकॉर्ड | बिखरा हुआ, कागजी | केंद्रीकृत, डिजिटल |
कब्जेदारों की पहचान | मुश्किल | सटीक डिजिटल एंट्री से संभव |
किराए की स्थिति | पारदर्शिता नहीं | हर बकाया की जानकारी ऑनलाइन |
वक्फ कमेटियों की भूमिका | सीमित | सक्रिय और उत्तरदायी |
गरीबों/यतीमों को लाभ | बाधित | प्रत्यक्ष लाभ की उम्मीद |
जनहित और जवाबदेही की ओर वक्फ बोर्ड
उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों के डिजिटल रिकॉर्ड की यह पहल, राज्य में लंबे समय से चली आ रही कई समस्याओं के समाधान का रास्ता खोल सकती है। खासकर हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, पौड़ी और टिहरी जैसे जिलों में जहाँ वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों की भरमार रही है – यह पोर्टल सरकार को कार्रवाई का स्पष्ट आधार देगा।
अब मुतवल्ली, प्रशासक और केयरटेकर न केवल जिम्मेदार होंगे बल्कि जवाबदेह भी। सरकार और वक्फ बोर्ड की इस मुहिम से जहां गरीबों को राहत मिलेगी वहीं अवैध कब्जेदारों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
डिजिटल दस्तक’ से न्याय का द्वार खुला
“अब वक्त आ गया है कि वक्फ संपत्तियों को उन लोगों के हाथों सौंपा जाए जिनके लिए वो हैं – यानि बेसहारा, विधवा, अनाथ और जरूरतमंद। उत्तराखंड सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है और इससे न सिर्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि राजस्व में बढ़ोतरी और सामाजिक न्याय का उद्देश्य भी पूरा होगा। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी सुर्खियों में रहेगा।”
इन्तजार रजा, हरिद्वार