लापरवाही की पराकाष्ठा: हरिद्वार के निजी अस्पताल में डिलीवरी के दौरान दो महिलाओं की मौत,, बहादराबाद के ‘मां गंगा मेटरनिटी एंड आई केयर’ अस्पताल में दोहरी मौत से मचा कोहराम हंगामा, पुलिस बल तैनात, प्रशासन पर सवाल — क्या लापरवाह निजी अस्पतालों पर चलेगा डंडा?

इन्तजार रजा हरिद्वार- लापरवाही की पराकाष्ठा: हरिद्वार के निजी अस्पताल में डिलीवरी के दौरान दो महिलाओं की मौत,,
बहादराबाद के ‘मां गंगा मेटरनिटी एंड आई केयर’ अस्पताल में दोहरी मौत से मचा कोहराम
हंगामा, पुलिस बल तैनात, प्रशासन पर सवाल — क्या लापरवाह निजी अस्पतालों पर चलेगा डंडा?
हरिद्वार: एक के बाद एक दो जिंदगियों के बुझने से हरिद्वार का बहादराबाद क्षेत्र रविवार को सन्न रह गया। बहादराबाद स्थित मां गंगा मेटरनिटी एंड आई केयर हॉस्पिटल में डिलीवरी के दौरान दो गर्भवती महिलाओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। मामला बढ़ता देख मौके पर भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी पहुंच गए और उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। कुछ युवकों ने तोड़फोड़ की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस की सतर्कता से स्थिति काबू में रही।
परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
मृत महिलाओं के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में न तो विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद थे और न ही इमरजेंसी के लिए जरूरी संसाधन। आरोप है कि दोनों गर्भवती महिलाओं की तबीयत बिगड़ने के बावजूद डॉक्टरों ने वक्त रहते इलाज शुरू नहीं किया। स्थिति गंभीर होने पर परिजनों ने हंगामा किया तो देर शाम दोनों महिलाओं को मृत घोषित कर दिया गया। एक परिजन ने रोते हुए कहा, “हमने सोचा था सुरक्षित डिलीवरी होगी, लेकिन अस्पताल ने हमें मौत थमा दी।”
अस्पताल पर भीम आर्मी का गुस्सा
घटना की जानकारी मिलते ही भीम आर्मी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और मृतकों के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग की। कुछ युवकों ने अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ का प्रयास किया, लेकिन मौके पर पहुंची बहादराबाद पुलिस ने स्थिति संभाल ली। बाद में हरिद्वार कोतवाली, सिडकुल और ज्वालापुर थानों से भी फोर्स मौके पर पहुंची।
पुलिस ने लिया मोर्चा, प्रशासन मौन
भीम आर्मी कार्यकर्ताओं को समझाने के लिए पुलिस अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है लेकिन माहौल अभी भी तनावपूर्ण बना हुआ है। वहीं, प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बड़ा सवाल: क्या ऐसे अस्पतालों पर कोई निगरानी नहीं?
इस दर्दनाक घटना ने जिले में संचालित निजी अस्पतालों की गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या बिना पर्याप्त संसाधन और विशेषज्ञ डॉक्टरों के ऐसे अस्पतालों को मातृत्व सेवाएं देने की अनुमति दी जा सकती है? यदि नहीं, तो फिर यह मौतें किसकी जिम्मेदारी हैं?
हरिद्वार जैसे धार्मिक और जनसंख्या वाले ज़िले में इस तरह की लापरवाही न सिर्फ मानवता के खिलाफ है, बल्कि स्वास्थ्य प्रशासन की नींद तोड़ने वाली है। पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। यदि अब भी ऐसे अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह लापरवाही आगे और कितनी जिंदगियों को निगल जाएगी? लेकिन सवाल अभी बाकी?