सीडीओ आकांक्षा कोण्डे की पहल से ग्रामोत्थान बना बदलाव का वाहक,, प्रमिला की प्रेरक कहानी: रविदास स्वयं सहायता समूह से आत्मनिर्भरता की उड़ान,, हरिद्वार में ग्राम्य विकास समिति की रीप परियोजना से महिलाओं को मिला नया संबल

इन्तजार रजा हरिद्वार- सीडीओ आकांक्षा कोण्डे की पहल से ग्रामोत्थान बना बदलाव का वाहक,,
प्रमिला की प्रेरक कहानी: रविदास स्वयं सहायता समूह से आत्मनिर्भरता की उड़ान,,
हरिद्वार में ग्राम्य विकास समिति की रीप परियोजना से महिलाओं को मिला नया संबल
हरिद्वार जनपद में ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगियाँ अब तेजी से बदल रही हैं, और इस परिवर्तन की अगुवाई कर रही हैं मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्रीमती आकांक्षा कोण्डे। उनके नेतृत्व में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना ने उन परिवारों तक नई उम्मीद पहुंचाई है, जो अब तक गरीबी और संसाधनों की कमी में जूझते आ रहे थे। उन्हीं में से एक नाम है प्रमिला का, जो पहले दैनिक ज़रूरतें भी मुश्किल से पूरी कर पाती थीं, लेकिन आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
सीडीओ आकांक्षा कोण्डे का विज़न: आत्मनिर्भर गांव, सशक्त महिलाएं
मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती आकांक्षा कोण्डे ने हरिद्वार जनपद के सभी विकासखंडों में ग्रामोत्थान परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं और अति-गरीब परिवारों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने का अभियान शुरू किया है। इस परियोजना का उद्देश्य केवल आजीविका उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि स्थायी और सम्मानजनक जीवनशैली को संभव बनाना है। सीडीओ की यह सोच ज़मीन पर वास्तविक बदलाव के रूप में उभर रही है।
परियोजना के तीन मुख्य स्तंभ हैं:
- अल्ट्रा पूअर सपोर्ट (Ultra Poor Support): सबसे गरीब परिवारों को प्राथमिकता।
- फार्म व नॉन फार्म एंटरप्राइजेज: कृषि आधारित और गैर-कृषि आधारित स्वरोज़गार को बढ़ावा।
- सीबीओ आधारित उद्यम: स्वयं सहायता समूहों और फेडरेशन के माध्यम से समन्वय।
प्रमिला की कहानी: गाय से गुज़ारा, अब आत्मविश्वास की कमाई
प्रमिला, जो रविदास स्वयं सहायता समूह एवं आस्था सीएलएफ की सक्रिय सदस्य हैं, उन्हें रीप परियोजना के तहत वर्ष 2023-24 में ब्याजमुक्त ₹35,000 की ऋण सहायता दी गई। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्वयं का अंशदान और समूह से ₹9,000 का ऋण मिलाकर एक दुधारू गाय खरीदी। इस एक निर्णय ने उनकी पूरी ज़िंदगी बदल दी।
आज प्रमिला हर महीने ₹7,000 से ₹8,000 तक की आय अर्जित कर रही हैं, जबकि पहले उनकी कमाई ₹3,000 से ₹4,000 तक ही सीमित थी। अब वे न केवल अपने परिवार की ज़रूरतें पूरा कर रही हैं, बल्कि अपनी जैसी अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं।
ग्रामोत्थान परियोजना: केवल योजना नहीं, जीवन की नई शुरुआत
उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति द्वारा संचालित ग्रामोत्थान परियोजना अब हरिद्वार की ग्रामीण महिलाओं के लिए आशा की किरण बन चुकी है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- बिना ब्याज ऋण उपलब्धता: जिससे महिलाएं बिना वित्तीय दबाव के अपना कार्य शुरू कर सकें।
- प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग: जिससे व्यवसाय को व्यवस्थित ढंग से चलाया जा सके।
- संगठित नेटवर्किंग: सीएलएफ व एसएचजी के माध्यम से साझा अनुभव और सहयोग।
प्रमिला जैसे उदाहरण यह सिद्ध करते हैं कि जब प्रशासन की नीतियों में संवेदनशीलता हो और कार्यान्वयन में पारदर्शिता, तो बदलाव तय होता है।
महिला सशक्तिकरण की ओर मजबूत कदम
सीडीओ आकांक्षा कोण्डे की सोच इस विश्वास पर आधारित है कि महिलाएं सिर्फ परिवार नहीं, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। प्रमिला की यह यात्रा बताती है कि यदि महिलाओं को सही मार्गदर्शन, वित्तीय संसाधन और सहयोग मिले तो वे किसी भी मुकाम को हासिल कर सकती हैं।
आज हरिद्वार की कई प्रमिलाएं अपने गांवों में बदलाव की अगुवा बन चुकी हैं—कोई डेयरी चला रही है, कोई सिलाई केंद्र, तो कोई जैविक खेती की ओर अग्रसर है।
सीडीओ आकांक्षा कोण्डे के नेतृत्व में ग्रामोत्थान परियोजना न सिर्फ हरिद्वार में, बल्कि पूरे उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन की एक सफल मॉडल बनकर उभर रही है। प्रमिला की कहानी इस बात की मिसाल है कि जब प्रशासन संवेदनशीलता से काम करे, तो ज़िंदगी कितनी खूबसूरती से बदल सकती है।