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सदन में कांग्रेस विधायकों का डेरा,, गैरसैंण विधानसभा में हंगामे के बाद कांग्रेस विधायक सदन में ही डटे, सदन में बिछाए बिस्तर, अंदर ही बिताई रात,, पहले ही दिन हंगामे से ठप हुआ सत्र,, जनता में नाराजगी – समाधान की जगह सियासत हावी

इन्तजार रजा हरिद्वार- सदन में कांग्रेस विधायकों का डेरा,,

गैरसैंण विधानसभा में हंगामे के बाद कांग्रेस विधायक सदन में ही डटे, सदन में बिछाए बिस्तर, अंदर ही बिताई रात,,

पहले ही दिन हंगामे से ठप हुआ सत्र,,

जनता में नाराजगी – समाधान की जगह सियासत हावी

गैरसैंण/देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने सदन को रणभूमि बना दिया। पूरे दिन चली नोकझोंक और हंगामे के बाद कांग्रेस विधायक रात में भी सदन में डटे रहे। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, ज्वालापुर विधायक इंजीनियर रवि बहादुर, पिरान कलियर विधायक फुरकान अहमद, भगवानपुर विधायक ममता राकेश और हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत समेत कांग्रेस के कई विधायक विधानसभा भवन के अंदर ही बिस्तर डालकर बैठ गए। उनके साथ खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी खड़े नजर आए।

दिनभर की नोकझोंक, रातभर धरना

सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष ने सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई। कांग्रेस विधायकों ने बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्याएं और कानून-व्यवस्था के मुद्दे उठाते हुए सरकार पर तीखे हमले किए। सत्ता पक्ष की ओर से जवाब आने पर सदन शोरगुल और नारेबाजी में डूब गया। कई बार स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। शाम तक विवाद शांत नहीं हुआ और विपक्ष ने तय किया कि वे रातभर सदन में ही डटे रहेंगे। नतीजतन, विधानसभा भवन के अंदर बिस्तर, चादरें और खाने-पीने का इंतजाम कर लिया गया।

विपक्ष की दलील – “सरकार नहीं सुन रही जनता की आवाज”

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि जनता के गंभीर मुद्दों पर सरकार टालमटोल कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, लेकिन सरकार इन सवालों से बच रही है। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि यह आम जनता की लड़ाई है और जब तक सरकार जवाब नहीं देगी, विपक्ष पीछे हटने वाला नहीं है। ज्वालापुर विधायक इंजीनियर रवि बहादुर ने भी कहा कि प्रदेश में बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति खराब है, लेकिन सरकार केवल अपनी वाहवाही में जुटी हुई है।

सत्ता पक्ष का पलटवार – “नाटक कर रही है कांग्रेस”

वहीं सत्ता पक्ष ने कांग्रेस के धरने को केवल “राजनीतिक नौटंकी” बताया। भाजपा विधायकों का कहना है कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे सत्र को बाधित करने की रणनीति अपना रहे हैं। सत्ता पक्ष ने यह भी कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई से चलने वाले सदन का समय बर्बाद करना जनता के साथ अन्याय है।

जनता में नाराजगी – “हंगामे से विकास नहीं”

सदन के पहले ही दिन का यह हंगामेदार दृश्य आम जनता को रास नहीं आ रहा। लोग सोशल मीडिया और जनचर्चाओं में नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। जनता का कहना है कि विधायक जनता के मुद्दों पर बहस और समाधान निकालने की बजाय केवल हंगामा और सियासी प्रदर्शन कर रहे हैं। कई लोगों ने कहा कि सदन में तोड़फोड़ और रातभर डेरा डालने से समस्याओं का हल नहीं होगा, बल्कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए भी सही संकेत नहीं है।

विधायक जनता की आवाज उठाने के लिए चुने जाते हैं, लेकिन उनका तरीका गलत है। देहरादून की गृहणी रेखा बिष्ट कहती हैं कि महंगाई और रोजगार की समस्या तो सबको है, लेकिन सदन में सोने-बैठने से यह हल नहीं होगी। वहीं रुड़की के छात्र दीपक कुमार ने व्यंग्य करते हुए कहा कि “अगर पढ़ाई की तरह बहस होती तो प्रदेश का भविष्य उज्जवल होता, लेकिन हमारे नेता तो केवल शोर मचाने में व्यस्त हैं।”

लोकतांत्रिक गरिमा पर सवाल

विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सदन लोकतांत्रिक परंपराओं का सर्वोच्च मंदिर है, जहां बहस और संवाद के जरिए समाधान निकलना चाहिए। लेकिन अगर वहां केवल शोरगुल, नारेबाजी और धरना-प्रदर्शन होगा, तो इसकी गरिमा कमज़ोर होगी। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. एस.के. मिश्रा का कहना है कि विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह सरकार को जवाबदेह बनाए, लेकिन इसके लिए रचनात्मक बहस जरूरी है। रातभर सदन में डटे रहना और बिस्तर डाल लेना जनता की सहानुभूति तो जगा सकता है, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं होता।

आगे की रणनीति

कांग्रेस का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर जवाब नहीं देगी, वे पीछे नहीं हटेंगे। वहीं सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह हंगामे के दबाव में नहीं आने वाली। आने वाले दिनों में सत्र और भी गरमाने की संभावना है। सवाल यही है कि क्या इस टकराव के बीच जनता की समस्याएं कहीं फिर से हाशिए पर न चली जाएं।

👉 इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि उत्तराखण्ड विधानसभा का यह सत्र राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बनने जा रहा है। विपक्ष के आक्रामक तेवर और सत्ता पक्ष की कठोर प्रतिक्रिया ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है। लेकिन आम जनता चाहती है कि सदन में केवल हंगामा नहीं बल्कि उनके जीवन से जुड़े मुद्दों का ठोस हल निकले।

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