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खानपुर वन रेंज क्षेत्र में वन माफियाओं की करतुत का बड़ा खुलासा,, औरंगाबाद गांव क्षैत्र में 30 सागौन के हरे-भरे पेड़ अवैध रूप से काटे गए,, आरोपी भूमिधर और कई सहयोगी और संदिग्ध संदेह की रडार पर, वन विभाग और पुलिस की कार्रवाई जारी 

इन्तजार रजा हरिद्वार- खानपुर वन रेंज क्षेत्र में वन माफियाओं की करतुत का बड़ा खुलासा,,

औरंगाबाद गांव क्षैत्र में 30 सागौन के हरे-भरे पेड़ अवैध रूप से काटे गए,,

आरोपी भूमिधर और कई सहयोगी और संदिग्ध संदेह की रडार पर, वन विभाग और पुलिस की कार्रवाई जारी

हरिद्वार। स्वतंत्रता दिवस के दिन जब पूरा देश तिरंगा फहरा कर आज़ादी का जश्न मना रहा था, उसी दिन हरिद्वार वन रेंज खानपुर क्षेत्र के औरंगाबाद गांव में पर्यावरण के खिलाफ बड़ा अपराध सामने आया। वन विभाग के आरक्षी मुर्सलीन ने अपने निरीक्षण के दौरान यहां एक निजी भूखंड पर 30 हरे-भरे सागौन के पेड़ अवैध रूप से कटे हुए पाए। यह घटना न केवल वन संपदा की लूट को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक निगरानी और कानून की कार्यवाही पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।

वन आरक्षी मुर्सलीन ने अपनी लिखित तहरीर में बताया कि 15 अगस्त की सुबह झंडारोहण कार्यक्रम में शामिल होकर जब वे अपने कार्यक्षेत्र औरंगाबाद बीट लौटे तो ग्राम औरंगाबाद में एक निजी भूखंड पर कटे हुए सागौन वृक्षों की 30 मुंडियां देखी। मौके पर माप-जोख करने पर पुष्टि हुई कि ये सभी हरे पेड़ हाल ही में काटे गए हैं।

इस निजी भूखंड का स्वामी मुकेश चौधरी बताया गया है, और अवैध कटाई में सहयोगी के रूप में धर्मवीर निवासी हेत्तमपुर का नाम सामने आया है। और कई संदिग्ध भी प्रशासनिक अम्ले की रडार पर हैं विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस घटना की जानकारी सिडकुल थाने को दी और आरक्षी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस और वन विभाग दोनों ही आरोपी और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी और गहन जांच के लिए सक्रिय हैं।

घटना का गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव

सागौन जैसी बहुमूल्य प्रजाति का अवैध कटान हरिद्वार और राज्य के लिए गंभीर पर्यावरणीय नुकसान का कारण बन सकता है। केवल 30 पेड़ ही नहीं, बल्कि इस प्रकार की अवैध कटाई पूरे क्षेत्र में हरियाली और जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। वन विभाग का मानना है कि यदि समय रहते इस पर अंकुश न लगाया गया तो आने वाले समय में ऐसे अपराधों की संख्या और बढ़ सकती है।

स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर भी पेड़ों की अवैध कटाई करना न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि समाज और प्रकृति के प्रति असंवेदनशीलता भी दर्शाता है।

कार्रवाई की प्रक्रिया और आगे की योजना

वन विभाग ने आरोपी मुकेश चौधरी और सहयोगी धर्मवीर के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की है। अधिकारियों ने बताया कि आरोपी और सहयोगी जल्द ही खंगाले ले जाया जाएगा, जबकि कई अन्य संदिग्धों की भी जांच संदेह की रडार पर की जा रही है। वन विभाग का यह कदम इस अपराध पर लगाम लगाने और भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

वन आरक्षी ने तहरीर में पेड़ों का विवरण भी दर्ज कराया है। कुल 30 सागौन वृक्षों की कटाई हुई, जिनमें व्यास 0.65 से 1.10 मीटर और ऊंचाई 0.15 से 0.90 मीटर के बीच थी। यह विवरण इस बात का प्रमाण है कि पेड़ अवैध रूप से और हाल ही में काटे गए थे।

📌 तथ्य बॉक्स

  • स्थान: औरंगाबाद, खानपुर रेंज, हरिद्वार
  • तारीख: 15 अगस्त 2025
  • कुल कटे पेड़: 30 (सभी सागौन)
  • मुख्य आरोपी: मुकेश चौधरी (भूखंड स्वामी)
  • सहयोगी: धर्मवीर, निवासी ऐतमपुर
  • सूचना देने वाले: मुर्सलीन, वन आरक्षी खानपुर रेंज
  • प्रमाणित करने वाले: का. 635 प्रदीप जुयाल
  • मुकदमा दर्ज: सिडकुल थाना, हरिद्वार
  • अगला कदम: आरोपी और सहयोगी जल्द खंगाले ले जाएंगे, अन्य संदिग्ध संदेह की रडार पर

FIR के मुख्य बिंदु (सारणी रूप में)

क्रम संख्या प्रजाति मुंडी का व्यास (मीटर) ऊंचाई (मीटर) संख्या
01 सागौन 0.80 0.20 04
02 सागौन 1.00 0.15 01
03 सागौन 0.90 0.25 06
04 सागौन 0.70 0.15 07
05 सागौन 1.10 0.20 03
06 सागौन 0.65 0.15 04
07 सागौन 1.10 0.90 01
08 सागौन 0.95 0.25 04
कुल 30

यह घटना अब सिर्फ अवैध कटाई का मामला नहीं रह गया है, बल्कि वन विभाग और पुलिस की कार्रवाई क्षमता का परीक्षण बन गया है। प्रशासन और अधिकारियों पर दबाव है कि वे आरोपियों और संदेहियों के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें।

स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता लगातार इस पर निगरानी रख रहे हैं और सार्वजनिक रूप से उम्मीद कर रहे हैं कि दोषियों पर कानून के अनुसार कठोरतम कार्रवाई होगी। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह संदेश जाएगा कि वन माफिया कानून की खुली चुनौती दे सकते हैं।

इस पूरे मामले से यह साफ है कि वन संरक्षण कानूनों का उल्लंघन और अवैध कटाई केवल पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि समाज और प्रशासनिक साख पर भी गहरा असर डालती है।

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