मदरसों का अवैध संचालन,, छात्रवृत्ति में धांधली और पारदर्शिता पर उठे सवाल,, उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला : मदरसा बोर्ड होगा निरस्त,, शिक्षा में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम

इन्तजार रजा हरिद्वार- मदरसों का अवैध संचालन,, छात्रवृत्ति में धांधली और पारदर्शिता पर उठे सवाल,,
उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला : मदरसा बोर्ड निरस्त,,
शिक्षा में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम
देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में लंबे समय से मदरसों के संचालन और उनके वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। राज्य सरकार ने अब इन शिकायतों और गहन जांच रिपोर्ट के आधार पर बड़ा फैसला लेते हुए उत्तराखंड मदरसा बोर्ड को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। इस कदम को शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
अवैध संचालन और अपारदर्शिता पर गिरी गाज
प्रदेश में दर्जनों मदरसे बिना किसी मान्यता और अनुमति के चल रहे थे। इन संस्थानों में न तो पंजीकरण की पूरी जानकारी उपलब्ध थी और न ही छात्रों के नामांकन और उपस्थिति का कोई पारदर्शी रिकॉर्ड। जांच में सामने आया कि कई मदरसों का संचालन केवल सरकारी अनुदान और छात्रवृत्ति हासिल करने के उद्देश्य से किया जा रहा था, जबकि शिक्षा की गुणवत्ता और पाठ्यक्रम पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
छात्रवृत्ति घोटाले से खुली पोल
सबसे बड़ा विवाद छात्रवृत्ति वितरण में धांधली को लेकर सामने आया। बोर्ड से संबद्ध मदरसों में फर्जी नामांकन दिखाकर छात्रवृत्ति का पैसा निकालने की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। कई मामलों में एक ही छात्र के नाम पर अलग-अलग जगहों से छात्रवृत्ति ली गई। जांच एजेंसियों ने पाया कि करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ, जिससे न केवल शिक्षा व्यवस्था बदनाम हुई बल्कि वास्तविक छात्रों का हक भी मारा गया।
सरकार का रुख कड़ा, सख्ती से होगी निगरानी
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि मदरसा बोर्ड निरस्त होने के बाद भी शिक्षा ग्रहण कर रहे वास्तविक छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। उन्हें सामान्य शिक्षा प्रणाली में सम्मिलित किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी प्रकार का भेदभाव न रहे। इसके साथ ही धार्मिक संस्थानों के संचालन और अनुदान पर कड़ी निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में किसी भी संस्था को अवैध तरीके से चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार का लक्ष्य युवाओं को पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है, न कि उन्हें अपारदर्शी तंत्र के जरिए गुमराह होने देना।
विपक्ष और समाज की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने इस फैसले को लेकर सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है, जबकि समाज के कई वर्गों ने इसे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का सकारात्मक कदम बताया। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऐसे बोर्डों का निरस्तीकरण आवश्यक है, जो केवल आर्थिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके हों।
मदरसा बोर्ड का निरस्त होना उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। यह कदम न केवल छात्रवृत्ति घोटाले और अवैध संचालन पर अंकुश लगाएगा बल्कि बच्चों के भविष्य को एक नई दिशा देने का काम करेगा। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार का यह निर्णय लंबे समय तक चर्चाओं में रहेगा।