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बनावटी नोटों पर महात्मा गांधी की फोटो से भड़का विवाद,, बच्चों के खिलौनों और चूर्ण पैकेटों के साथ मिलने वाले नोटों पर छपी महात्मा गांधी की सिंबल फोटो को लेकर पनप रहा आक्रोश,, हरिद्वार के एडवोकेट भदोरिया बंधुओ और राव मुजीब ने केंद्र व राज्य सरकार को भेजा कानूनी नोटिस, 30 दिन में कार्रवाई की चेतावनी

इन्तजार रजा हरिद्वार- बनावटी नोटों पर महात्मा गांधी की फोटो से भड़का विवाद,,

बच्चों के खिलौनों और चूर्ण पैकेटों के साथ मिलने वाले नोटों पर छपी महात्मा गांधी की सिंबल फोटो को लेकर पनप रहा आक्रोश,,

हरिद्वार के एडवोकेट भदोरिया बंधुओ और राव मुजीब ने केंद्र व राज्य सरकार को भेजा कानूनी नोटिस, 30 दिन में कार्रवाई की चेतावनी

हरिद्वार। देश में बच्चों के खिलौनों और चूर्ण के पैकेटों के साथ मिल रहे बनावटी नोटों ने एक बड़ा सामाजिक और कानूनी विवाद खड़ा कर दिया है। इन नोटों पर “मनोरंजन बैंक” लिखा है, लेकिन सबसे आपत्तिजनक और संवेदनशील मुद्दा यह है कि इन पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर हूबहू असली मुद्रा जैसी छपी हुई है। असली भारतीय नोटों पर गांधीजी की तस्वीर संविधान और कानून के तहत सम्मानजनक प्रतीक मानी जाती है। इस तरह के नोटों की बिक्री से समाज में गहरा आक्रोश और विरोध पनप रहा है।

इस मुद्दे को लेकर हरिद्वार के एडवोकेट कमल भदोरिया, उनके परिवार के सदस्य एलएलबी अध्ययनरत चेतन भदोरिया, और प्रसिद्ध सामाजिक व्यक्ति राव मुजीब खान ने अपने अधिवक्ता अरुण भदोरिया के माध्यम से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में 30 दिन के भीतर इन बनावटी नोटों की बिक्री और वितरण पर पूर्ण रोक लगाने, फैक्ट्रियों को सीज करने और दोषियों पर सख्त वैधानिक कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।

महात्मा गांधी की छवि का अनुचित प्रयोग

कानूनी नोटिस में विस्तार से कहा गया है कि मोहनदास करमचंद गांधी (2 अक्टूबर 1869 – 1948) ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से देश को स्वतंत्र कराया।

  • 1919 में रोलेट एक्ट के खिलाफ आंदोलन,
  • 1920-22 में असहयोग आंदोलन,
  • 1930 में नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च),
  • 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन।

साथ ही, गांधीजी ने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष किया और दलितों को “हरिजन” कहकर सम्मान दिलाने के प्रयास किए। उनके जीवन मूल्य और योगदान को देखते हुए उन्हें महात्मा गांधी की उपाधि दी गई।

नोटिस में चेतावनी दी गई है कि महात्मा गांधी की तस्वीर का इस तरह इस्तेमाल उनके और राष्ट्र की गरिमा पर चोट है, और यह सीधे देशवासियों की भावनाओं को आहत करता है।

बच्चों और आम जनता के लिए भ्रम की स्थिति

इन मनोरंजन नोटों में ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 और ₹500 जैसी असली मुद्राओं की हूबहू नकल की गई है। केवल “मनोरंजन बैंक” या “केवल खेल हेतु” जैसे शब्द भिन्न हैं।
इस कारण छोटे बच्चे और आम जनता नकली और असली नोट में अंतर समझने में असमर्थ हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मुद्रा की पहचान और आर्थिक समझ पर गलत प्रभाव डाल सकता है।

कानूनी आधार – आईपीसी धारा 489 ई

एडवोकेट भदोरिया बंधुओ और राव मुजीब ने नोटिस में भारतीय दंड संहिता की धारा 489 ई का हवाला दिया।
इस धारा के तहत किसी भी किताब, पोस्टर, विज्ञापन या मनोरंजन सामग्री पर असली नोट जैसी छवि का प्रयोग अपराध माना जाता है, चाहे वह नोट असली मुद्रा न ही हो।
कानूनी नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सरकार तत्काल प्रभाव से इस तरह के नोटों की बिक्री और वितरण रोकने, फैक्ट्रियों को सीज करने और दोषियों के खिलाफ सख्त वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित करे।

सरकार से 30 दिन में कार्रवाई की चेतावनी

एडवोकेट भदोरिया बंधुओ और गढमीरपुर निवासी राव मुजीब ने केंद्र और राज्य सरकार से 30 दिन के भीतर जवाब देने और आवश्यक कदम उठाने की चेतावनी दी है। वकीलों ने कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो मामला न्यायालय में पहुंचाया जाएगा।
समाज में यह मामला तेजी से चर्चा का विषय बन गया है। महात्मा गांधी की छवि और बच्चों के अधिकारों की रक्षा को लेकर जनता में भारी आक्रोश और संवेदनशीलता देखने को मिल रही है।

यह केवल बच्चों के लिए बनाए गए नोटों का मामूली विवाद नहीं है। इसमें महात्मा गांधी की छवि का सम्मान, भारतीय कानून का पालन और सामाजिक संवेदनशीलता जुड़े हुए हैं। यदि सरकार समय रहते उचित कदम नहीं उठाती, तो यह विवाद देशव्यापी आंदोलन और कानूनी लड़ाई का रूप ले सकता है।

अब सबकी निगाहें केंद्र और राज्य सरकार पर टिकी हैं कि क्या वे इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल प्रभावी और आक्रामक कदम उठाएंगे।

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