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अल्ट्रा पुअर महिलाओं को मिला आत्मनिर्भरता का संबल,, आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं बंधन संस्था ने बढ़ाया मदद का हाथ,, सिलाई मशीनों और स्वरोजगार सामग्री से खुलेंगे नए अवसर

इन्तजार रजा हरिद्वार- अल्ट्रा पुअर महिलाओं को मिला आत्मनिर्भरता का संबल,,

आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं बंधन संस्था ने बढ़ाया मदद का हाथ,,

सिलाई मशीनों और स्वरोजगार सामग्री से खुलेंगे नए अवसर

हरिद्वार।
गरीबी और असहायता की दहलीज पर खड़ी महिलाओं के जीवन में बदलाव की किरण लेकर आईटीसी मिशन सुनहरा कल और बंधन कोनागर संस्था आगे आए हैं। बहादराबाद विकासखंड स्थित जिला सभागार में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 400 असहाय एवं जरूरतमंद महिलाओं को स्वरोजगार किट प्रदान की गई। इस पहल ने उन महिलाओं के जीवन में नई उम्मीद जगाई है, जिनके पास पहले अपनी आजीविका चलाने का कोई साधन नहीं था।   कार्यक्रम की शुरुआत गरिमामय माहौल में हुई, जहां जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत और ग्रामोत्थान रीप परियोजना प्रबंधक डॉ. संजय सक्सेना ने संयुक्त रूप से महिलाओं को सिलाई मशीनें, कॉस्मेटिक सामग्री और किराना दुकान का सामान वितरित किया।

महिलाओं के लिए एक नई राह

आईटीसी और बंधन संस्था का यह संयुक्त प्रयास केवल एक वितरण कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह उन महिलाओं के जीवन को स्थायी आजीविका से जोड़ने की योजना का हिस्सा है।

आईटीसी समर्थित संस्था बंधन कोनागर अब तक 2100 अल्ट्रा पुअर महिलाओं को सहयोग प्रदान कर चुकी है। इनमें अधिकांश महिलाएं विधवा, परित्यक्त, दिव्यांग या ऐसी महिलाएं हैं, जिनके परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य नहीं है। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।

लाभार्थियों को उनकी जरूरत और परिस्थितियों को देखते हुए स्वरोजगार सामग्री उपलब्ध कराई गई। इससे वे न सिर्फ घर-परिवार चला सकेंगी, बल्कि समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ सकेंगी।

प्रशासन और संस्थाओं की साझा जिम्मेदारी

इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित संस्थाओं ने भी सहभागिता निभाई। इनमें श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम, पीपीएचएफ, प्रथम और लोकमित्र शामिल रहे। इन संस्थाओं ने आईटीसी मिशन सुनहरा कल के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि लाभार्थियों को सही दिशा में मार्गदर्शन और संसाधन मिलें।

आईटीसी लिमिटेड के मानव संसाधन प्रमुख मोहम्मद अल्ताफ हुसैन ने कार्यक्रम के दौरान कहा –

“हमारा प्रयास है कि हर जरूरतमंद महिला तक यह योजना पहुंचे। कोई भी पात्र लाभार्थी अवसर से वंचित न रहे। आईटीसी मिशन सुनहरा कल केवल स्वरोजगार उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाना है।”

वहीं, डॉ. संजय सक्सेना, ग्रामोत्थान रीप परियोजना प्रबंधक ने इस पहल की महत्ता बताते हुए कहा –

“आईटीसी का यह प्रयास सराहनीय है। अल्ट्रा पुअर मॉडल से जुड़ी महिलाओं को स्थायी आजीविका उपलब्ध कराई जा रही है। यह सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।”

मीरा रावत, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने भी महिलाओं की हिम्मत को सराहते हुए कहा –

“इन किटों का वितरण केवल सामान देने तक सीमित नहीं है। यह महिलाओं को उनकी मेहनत के बल पर एक नई पहचान और आत्मविश्वास दिलाने का माध्यम है।”

लाभार्थियों की खुशी और उम्मीद

कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं की आंखों में उम्मीद साफ झलक रही थी। टेलीवाला की रहने वाली लाभार्थी रूकसाना ने बताया –

“इस कार्यक्रम से मुझे स्वरोजगार का साधन मिला है। अब मैं बच्चों की पढ़ाई आगे बढ़ा सकूंगी। पहले घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी, लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं भी परिवार को सहारा दे सकती हूं। संस्था और मिशन सुनहरा कल का तहे दिल से आभार।”

ऐसी कई कहानियां इस पहल के जरिए सामने आईं। किसी ने कहा कि सिलाई मशीन मिलने से वह घर से काम कर पाएंगी, तो किसी ने बताया कि किराना सामग्री से दुकान चलाकर परिवार को संभालना आसान होगा।

आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम

आईटीसी मिशन सुनहरा कल की यह पहल केवल महिलाओं को आर्थिक मजबूती नहीं दे रही, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी निखार रही है। एक समय जो महिलाएं दूसरों पर निर्भर थीं, आज वे आत्मनिर्भर बनने की राह पर हैं।

हरिद्वार जिले में इस तरह के कार्यक्रमों से यह संदेश भी गया कि यदि सरकारी तंत्र और निजी संस्थाएं मिलकर काम करें तो समाज के कमजोर वर्ग को मजबूती दी जा सकती है। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने इस अवसर पर कहा –

“प्रशासन का प्रयास है कि विकास की योजनाओं का लाभ आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना उनके सशक्तिकरण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है।”

बड़ा असर, बड़ा संदेश

इस कार्यक्रम का प्रभाव केवल 400 लाभार्थी महिलाओं तक सीमित नहीं रहेगा। इन महिलाओं के परिवार, उनके बच्चे और आने वाली पीढ़ियां भी इस बदलाव से लाभान्वित होंगी। स्वरोजगार से प्राप्त आत्मनिर्भरता उन्हें समाज में सम्मान दिलाएगी और उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा और जीवन का अवसर प्रदान करेगी।

आईटीसी और बंधन संस्था का यह प्रयास समाज में एक उदाहरण बनकर उभर रहा है। यह संदेश दे रहा है कि गरीब और असहाय महिलाओं को केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का अवसर देना सबसे बड़ी मदद है।

हरिद्वार में आयोजित यह कार्यक्रम केवल किट वितरण का आयोजन नहीं था, बल्कि यह महिलाओं के जीवन को नए सिरे से गढ़ने की पहल थी। इसने यह साबित किया कि सही मार्गदर्शन और सहयोग मिलने पर असहाय महिलाएं भी आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकती हैं।

आईटीसी मिशन सुनहरा कल और बंधन संस्था की इस पहल ने न सिर्फ महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ते हुए आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है।

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