हरिद्वार के खंजरपुर में अवैध सर्प विष संग्रहण केन्द्र पर छापा,, वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर बरामद,, बिना अनुमति संचालित हो रहा था प्रतिबंधित सांपों का केन्द्र

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार के खंजरपुर में अवैध सर्प विष संग्रहण केन्द्र पर छापा,,
वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, 70 कोबरा और 16 रसल वाईपर बरामद,,
बिना अनुमति संचालित हो रहा था प्रतिबंधित सांपों का केन्द्र
हरिद्वार। वन विभाग की टीम ने मंगलवार को रुड़की तहसील क्षेत्र के ग्राम खंजरपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अवैध सर्प विष संग्रहण केन्द्र का भंडाफोड़ किया। मुखबिर खास से मिली पुख्ता सूचना के आधार पर की गई इस कार्रवाई ने न केवल क्षेत्र में सनसनी फैला दी बल्कि यह भी साफ कर दिया कि प्रतिबंधित वन्यजीवों का अवैध कारोबार कितने संगठित तरीके से चलाया जा रहा है।
मुखबिर की सूचना और छापेमारी
वन विभाग को सूचना मिली थी कि खंजरपुर गांव में एक व्यक्ति ने अवैध तरीके से सर्प विष संग्रहण केन्द्र खोल रखा है, जहां संरक्षित प्रजातियों को रखा गया है। सूचना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल विभागीय टीम का गठन किया गया। उप प्रभागीय वनाधिकारी रुड़की सुनील बलूनी, वन क्षेत्राधिकारी विनय राठी, राजाजी टाइगर रिजर्व से उप निदेशक अजय लिंगवाल, सुरक्षा बल और पीपुल फॉर एनिमल्स संस्था के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे।
जैसे ही टीम ने छापा मारा तो वहां पर मौजूद प्रतिनिधि श्री विष्णु के सामने केन्द्र की तलाशी ली गई। जांच में यह तथ्य सामने आया कि उक्त केन्द्र का संचालन नितिन कुमार के नाम से हो रहा था, लेकिन इसके पास किसी भी प्रकार की वैध अनुमति वर्तमान में उपलब्ध नहीं थी।
समाप्त हो चुकी थी अनुमति
वन विभाग की जांच में यह भी सामने आया कि नितिन कुमार को पूर्व में 31 दिसम्बर 2022 को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखण्ड, देहरादून के कार्यालय से ग्राम बिशनपुर, ज्वालापुर, जिला हरिद्वार में सर्प विष संग्रहण केन्द्र चलाने की एक वर्ष की सशर्त अनुमति दी गई थी। यह अनुमति दिसम्बर 2023 में समाप्त हो चुकी थी और इसके बाद से किसी भी प्रकार की नवीनीकरण प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी।
इसके बावजूद, नितिन कुमार ने न केवल केन्द्र संचालित करना जारी रखा बल्कि प्रतिबंधित प्रजातियों के सांपों को अपने कब्जे में रखकर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (यथासंशोधित 2022) का खुला उल्लंघन किया।
70 कोबरा और 16 रसल वाईपर बरामद
छापेमारी के दौरान विभागीय अधिकारियों ने 70 कोबरा सांप और 16 रसल वाईपर को बरामद किया। यह दोनों ही प्रजातियां वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में आती हैं, जो अत्यंत संरक्षित श्रेणी में गिनी जाती है। अनुसूची-1 में आने वाले किसी भी प्राणी का शिकार, व्यापार, पालन-पोषण या उपयोग सख्ती से प्रतिबंधित है।
वन विभाग ने तत्काल प्रभाव से सभी सांपों को अपने कब्जे में लिया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया। अधिकारियों ने साफ किया कि इस प्रकार की गतिविधियां न केवल गैरकानूनी हैं बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करती हैं।
कानूनी कार्यवाही शुरू
वन विभाग ने नितिन कुमार और उसके सहयोगियों के खिलाफ भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (यथासंशोधित 2022) की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
उप प्रभागीय वनाधिकारी सुनील बलूनी ने बताया कि यह कार्रवाई वन्यजीवों के संरक्षण के लिए विभाग की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा – “सांप जैसे वन्यजीव प्रकृति की पारिस्थितिकी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनका अवैध व्यापार और विष संग्रहण न केवल कानूनन अपराध है बल्कि समाज के लिए भी खतरनाक है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
पीपुल फॉर एनिमल्स ने जताई संतुष्टि
वन विभाग की इस कार्रवाई में शामिल पीपुल फॉर एनिमल्स संस्था के प्रतिनिधियों ने भी संतोष व्यक्त किया। संस्था का कहना है कि इस तरह के अवैध केन्द्र अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में छुपकर काम करते हैं और इन पर निगरानी बनाए रखना बेहद जरूरी है।
अवैध कारोबार का जाल
विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्प विष का उपयोग औषधियों और शोध कार्यों में किया जाता है। इसी कारण इसकी मांग बनी रहती है। लेकिन बिना वैध अनुमति के किया गया कोई भी कार्य न केवल अपराध है बल्कि यह वन्यजीव तस्करी को बढ़ावा देता है। कई बार ऐसे केन्द्रों से विष का अवैध निर्यात भी सामने आ चुका है।
लोगों में दहशत और सवाल
इस कार्रवाई के बाद खंजरपुर और आसपास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि उनके गांव में इतने बड़े पैमाने पर विषैले सांप रखे जा रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में कोबरा और रसल वाईपर कहां से लाए गए और इतने दिनों तक विभागीय नजर से कैसे बचते रहे।
वन विभाग की अपील
वन विभाग ने आमजन से अपील की है कि यदि कहीं भी इस प्रकार की संदिग्ध गतिविधि या वन्यजीवों का अवैध कारोबार होता दिखे तो तुरंत विभाग को सूचना दें। विभाग ने आश्वासन दिया है कि सूचना देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
👉 यह कार्रवाई न केवल वन विभाग की तत्परता को दर्शाती है बल्कि यह भी साबित करती है कि हरिद्वार जिले में वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। अवैध सर्प विष संग्रहण केन्द्र का खुलासा निश्चित रूप से उन नेटवर्कों को चेतावनी है जो कानून की धज्जियां उड़ाकर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं।