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नीली-काली कुर्सीयों के विवाद पर मचा हड़कंप – सरकार ने SIT को दी खुली छूट,, क्या खालिद के ‘खास इंतज़ाम’ पर सवाल, इनविजिलेटर और व्यवस्थापक की भूमिका भी जांच के घेरे में,, धामी सरकार के सख्त तेवर –क्या हरिद्वार के BJP पदाधिकारी तक पहुंचेगी जांच की आंच,, खालिद के लिए नीली-काली कुर्सीयों का मेल – संयोग या साज़िश?,, क्या जीरो टॉलरेंस नीति की धामी सरकार की सख्ती से ही बनेगा जनता भरोसा,, बहुचर्चित UKSSSC पेपर लीक मामले में बड़ा सवाल -इनविजिलेटर, और व्यवस्थापक धर्मेंद्र सिंह चौहान की भूमिका पर भी उठे सवाल?

पेपर लीक प्रकरण से जुड़ा “नीली-काली कुर्सी” विवाद अब सुर्ख़ियों में है। परीक्षा कक्ष में अन्य सभी कुर्सियों के बीच सिर्फ एक नीली कुर्सी रखना और उसी पर मुख्य आरोपी खालिद का बैठना, अब गंभीर सवालों को जन्म दे रहा है। क्या यह इनविजिलेटर और व्यवस्थापक की जानकारी के बिना हुआ? या फिर किसी खास संकेत के तहत खालिद को यह सुविधा दी गई ताकि उसकी गतिविधियां......

इन्तजार रजा हरिद्वार-📰नीली-काली कुर्सीयों के विवाद पर मचा हड़कंप – सरकार ने SIT को दी खुली छूट,,

क्या खालिद के ‘खास इंतज़ाम’ पर सवाल, इनविजिलेटर और व्यवस्थापक की भूमिका भी जांच के घेरे में,,

धामी सरकार के सख्त तेवर –क्या हरिद्वार के BJP पदाधिकारी तक पहुंचेगी जांच की आंच,,

खालिद के लिए नीली-काली कुर्सीयों का मेल – संयोग या साज़िश?,,

क्या जीरो टॉलरेंस नीति की धामी सरकार की सख्ती से ही बनेगा जनता भरोसा,,

बहुचर्चित UKSSSC पेपर लीक मामले में बड़ा सवाल –इनविजिलेटर, और व्यवस्थापक धर्मेंद्र सिंह चौहान की भूमिका पर भी उठे सवाल?

 

हरिद्वार/देहरादून।
पेपर लीक प्रकरण से जुड़ा “नीली-काली कुर्सी” विवाद अब सुर्ख़ियों में है। परीक्षा कक्ष में अन्य सभी कुर्सियों के बीच सिर्फ एक नीली कुर्सी रखना और उसी पर मुख्य आरोपी खालिद का बैठना, अब गंभीर सवालों को जन्म दे रहा है। क्या यह इनविजिलेटर और व्यवस्थापक की जानकारी के बिना हुआ? या फिर किसी खास संकेत के तहत खालिद को यह सुविधा दी गई ताकि उसकी गतिविधियां आसानी से नज़रअंदाज़ हो जाएं?

इस बीच, SIT की जांच और सरकार के सख्त रुख के बाद अब यह मामला और तेज राजनीतिक मोड़ ले चुका है। प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि “किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा”, चाहे वह किसी भी दल या पद पर क्यों न हो।

खालिद के लिए नीली कुर्सी – संयोग या साज़िश?

परीक्षा कक्ष में खालिद के लिए रखी गई एकमात्र नीली कुर्सी को लेकर अभ्यर्थी और समाज के लोग सवाल पूछ रहे हैं। परीक्षा केंद्रों पर सामान्यतः सभी कुर्सियां एक जैसी होती हैं, ताकि किसी उम्मीदवार को अलग पहचान न मिले। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

सूत्र बताते हैं कि खालिद ने परीक्षा के दौरान मोबाइल से फोटो खींची और भेजी भी। आश्चर्य की बात यह है कि कक्ष में मौजूद इनविजिलेटर को इसकी भनक तक नहीं लगी। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत का संकेत भी हो सकता है।

इनविजिलेटर और व्यवस्थापक भी जांच के घेरे में

धामी सरकार की ओर से गठित SIT अब न सिर्फ खालिद, बल्कि परीक्षा केंद्र के व्यवस्थापक और इनविजिलेटर की भूमिका की भी गहन जांच कर रही है।

सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार –

  • SIT को पूर्ण अधिकार दिए गए हैं।
  • BJP पदाधिकारी होने के बावजूद व्यवस्थापक को भी जांच के दायरे में लाने से परहेज़ नहीं किया जाएगा।
  • हर एक जिम्मेदार व्यक्ति की भूमिका तय की जाएगी।

यह संदेश स्पष्ट है कि सरकार पारदर्शिता की राह पर चल रही है।

सरकार के पक्ष में जनता का भरोसा

पेपर लीक मामले में सरकार पर लगातार विपक्ष और कुछ संगठनों ने सवाल उठाए थे। लेकिन खालिद के घर पर पीला पंजा चलाकर और अब SIT को खुली छूट देकर धामी सरकार ने साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार और पेपर माफिया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम हो रहा है।

  • खालिद के अवैध निर्माण पर बुलडोज़र चलवाया।
  • पेपर लीक से जुड़े अधिकारियों को सस्पेंड किया।
  • SIT के गठन के साथ समयबद्ध रिपोर्ट मांगी।

इन कदमों से यह साफ है कि सरकार कोई समझौता नहीं कर रही।

भ्रष्टाचार पर शून्य सहिष्णुता

धामी सरकार के प्रवक्ता ने कहा –
“पेपर लीक युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है। सरकार ने SIT को निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच का आदेश दिया है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

इस बयान के बाद राज्य में एक सकारात्मक माहौल है। आम जनता को भरोसा है कि इस बार पेपर माफिया और उनके सहयोगी कानून के शिकंजे से नहीं बच पाएंगे।

युवाओं की उम्मीदें – सरकार की परीक्षा

पेपर लीक कांड से लाखों बेरोज़गार युवाओं की उम्मीदें टूटी थीं। लेकिन अब सरकार के लगातार आक्रामक कदम युवाओं में भरोसा वापस ला रहे हैं।

  • SIT की कार्रवाई पर सोशल मीडिया पर समर्थन दिख रहा है।
  • बेरोज़गार संगठन भी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार के रुख की सराहना कर रहे हैं।

युवाओं का कहना है –
“हम चाहते हैं दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले। सरकार ने जो रुख अपनाया है, वह स्वागत योग्य है।”

क्या जीरो टॉलरेंस नीति की धामी सरकार की सख्ती से ही बनेगा भरोसा

“काली कुर्सी” विवाद ने यह साबित किया है कि पेपर लीक प्रकरण में माफिया कितनी गहराई तक जड़े जमाए बैठे थे। लेकिन SIT और सरकार के सख्त कदम यह भी दर्शाते हैं कि अब यह खेल खत्म होने की कगार पर है।

धामी सरकार का यह आक्रामक रुख और पारदर्शिता का संकल्प ही जनता और युवाओं के विश्वास को मज़बूत करेगा। अब नजरें इस पर हैं कि SIT कब तक और कितने बड़े नामों को कानून के शिकंजे में लाती है।

सरकार ने इस मामले में कई सख्त कदम उठाए हैं – सेक्टर मजिस्ट्रेट के.एन. तिवारी को निलंबित किया गया, टिहरी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को पेपर हल कर भेजने के आरोप में सस्पेंड किया गया, परीक्षा केंद्र पर तैनात दारोगा रोहित कुमार और सिपाही ब्रह्मदत्त जोशी को भी हटाया गया। हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में SIT इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है।

लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है – परीक्षा केंद्र के व्यवस्थापक धर्मेंद्र सिंह चौहान पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? धर्मेंद्र सिंह चौहान केवल परीक्षा केंद्र के व्यवस्थापक ही नहीं हैं, बल्कि भाजपा के जिला मीडिया संयोजक भी हैं। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें मौजूद हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस कमरे (नंबर 9) में खालिद ने परीक्षा दी, वहां काली कुर्सियों के बीच केवल एक नीली कुर्सी रखी गई थी और खालिद को उसी पर बैठाया गया था। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह व्यवस्थापक की जानकारी में नहीं था? क्या यह खालिद के लिए किसी खास संकेत के तहत की गई विशेष व्यवस्था थी ताकि उसकी गतिविधियों को नजरअंदाज कर दिया जाय! यह सवाल और बड़ा तब हो जाता है जब सोचा जाए कि परीक्षा के दौरान खालिद मोबाइल से फोटो खींच रहा था और कक्ष में मौजूद इनविजिलेटर को इसकी भनक तक नहीं लगी।

अब पूरा फोकस SIT पर है कि क्या भाजपा के इस पदाधिकारी व्यवस्थापक को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा या फिर यह मामला कुछ अहम सवालों को अनुत्तरित छोड़कर खत्म कर दिया जाएगा।

UKSSSC पेपर लीक मामले में SIT की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। मास्टरमाइंड खालिद भले ही अब पुलिस की गिरफ्त में हो, लेकिन उसकी निशानदेही पर जांच की परतें हर दिन और खुल रही हैं। जांच में यह भी सामने आया कि खालिद परीक्षा से पहले दो बार रेकी कर चुका था और एक दिन पहले कॉलेज की दीवार फांद सीसीटीवी कैमरों से बचाता हुआ अंदर आया और झाड़ियों में मोबाइल छिपाया था

 

उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा, 2025 में नकल की शिकायतों को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच न्यायिक निगरानी में कराने का निर्णय लिया है। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बी.एस. वर्मा (पूर्व न्यायाधीश, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल) को इस जांच का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।

इस संबंध में सचिव गृह श्री शैलेश बगौली द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप में स्पष्ट किया गया है कि न्यायमूर्ति बी.एस. वर्मा SIT (विशेष अन्वेषण दल) द्वारा की जा रही जांच की बारीकी से निगरानी करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और तथ्यों पर आधारित हो। उन्हें आवश्यकता अनुसार प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर शिकायतों व सूचनाओं का संज्ञान लेने और SIT को मार्गदर्शन देने का अधिकार भी प्राप्त होगा।

उत्तराखण्ड शासन ने 24 सितम्बर 2025 को आदेश जारी कर पांच सदस्यीय विशेष अन्वेषण दल SIT का गठन किया है। इस टीम की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण), देहरादून, श्रीमती जया बलूनी करेंगी। SIT पूरे उत्तराखण्ड राज्य में फैले नकल प्रकरण की जांच करेगी। टीम को स्वतंत्र रूप से तथ्यों की पड़ताल करने और दोषियों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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