डीएवी पब्लिक स्कूल विवाद में बड़ा फैसला प्रधानाचार्य पी.सी. पुरोहित की मानहानि केस में न्यायालय का आदेश – पूर्व अध्यापिका अनुराधा गुप्ता को 10 दिसंबर को पेश होना अनिवार्य झूठी शिकायतों और वीडियो पोस्ट से बिगाड़ी थी छवि, अब न्यायालय में होगी जवाबदेही
हरिद्वार में शिक्षा जगत में प्रतिष्ठित डीएवी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर से जुड़ा एक पुराना विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाचार्य पी.सी. पुरोहित द्वारा अपनी मानहानि के मामले में दायर वाद पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्री शैलेंद्र कुमार यादव ने विद्यालय की पूर्व अध्यापिका अनुराधा गुप्ता को धारा 500 आईपीसी (मानहानि) के तहत 10 दिसंबर 2025 को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश पारित किया है। यह मामला वर्षों पुराना है, परंतु अब अदालत की सख्ती से एक बार फिर सुर्खियों में है।

इन्तजार रजा हरिद्वार- डीएवी पब्लिक स्कूल विवाद में बड़ा फैसला
प्रधानाचार्य पी.सी. पुरोहित की मानहानि केस में न्यायालय का आदेश – पूर्व अध्यापिका अनुराधा गुप्ता को 10 दिसंबर को पेश होना अनिवार्य
झूठी शिकायतों और वीडियो पोस्ट से बिगाड़ी थी छवि, अब न्यायालय में होगी जवाबदेही

प्रधानाचार्य पी.सी. पुरोहित की ओर से दायर हुआ मानहानि मुकदमा
डीएवी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर के तत्कालीन प्रधानाचार्य पी.सी. पुरोहित, जो वर्ष 2010 से इस पद पर कार्यरत रहे हैं, ने अपने अधिवक्ता अरुण कुमार भदौरिया एडवोकेट के माध्यम से न्यायालय में वाद दायर किया था।
वाद में कहा गया कि अनुराधा गुप्ता द्वारा बार-बार झूठी शिकायतें, मनगढंत आरोप और यूट्यूब पर डाले गए अपमानजनक वीडियो ने प्रधानाचार्य की प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुँचाई।
अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने न्यायालय को बताया कि डीएवी संस्था का उद्गम वर्ष 1886 में लाहौर से हुआ था, और यह देश की सबसे पुरानी व सम्मानित शिक्षण संस्थाओं में से एक है। इस संस्था से देश की कई नामचीन हस्तियाँ जैसे — अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह, शहीद भगत सिंह, कपिल देव, महेंद्र सिंह धोनी, सुनील दत्त, अमरीश पुरी, शाहरुख खान और जगजीत सिंह जैसे महान व्यक्तित्व शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। पीसी पुरोहित के कार्यकाल में विद्यालय के रिजल्ट, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। वे सभी धर्मों और वर्गों के विद्यार्थियों को समान अवसर देने के लिए जाने जाते हैं, जिससे उनकी छवि न केवल विद्यालय में बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी अत्यंत सम्मानजनक रही है।
शुरुआत से विवादों में रहीं अध्यापिका अनुराधा गुप्ता
वाद के अनुसार, अनुराधा गुप्ता वर्ष 1997 में डीएवी स्कूल में नियुक्त हुई थीं। उनके खिलाफ पहले भी कई बार शिकायतें और विवाद दर्ज हुए। उन्होंने पूर्व प्रधानाचार्या श्रीमती रेणुका के विरुद्ध भी निराधार आरोप लगाते हुए मैनेजिंग कमेटी में शिकायतें भेजीं। निरंतर मानसिक उत्पीड़न से त्रस्त होकर रेणुका ने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जब पीसी पुरोहित को प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया, तो अनुराधा गुप्ता ने उनके विरुद्ध भी मैनेजिंग कमेटी दिल्ली, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, यहां तक कि राज्य महिला आयोग उत्तराखंड तक शिकायतें भेजीं। महिला आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट निर्देश दिया कि अनुराधा गुप्ता बिना कारण और बिना साक्ष्य के शिकायतें करना बंद करें तथा दूसरों की ओर से पत्राचार करने से भी बचें। इसके बाद संस्था ने उनका स्थानांतरण डीएवी पब्लिक स्कूल कोटद्वार कर दिया।
फिर दर्ज कराया झूठा मुकदमा, दो बार जांच में झूठा साबित हुआ मुकदमा
स्थानांतरण के बाद भी अनुराधा गुप्ता ने प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित के विरुद्ध थाना कनखल में धारा 354(क), 354(घ), और 506 आईपीसी के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराया। मामले की जांच दो बार पुलिस द्वारा की गई, और दोनों बार “फाइनल रिपोर्ट” लगाई गई, जिसमें आरोपों को असत्य पाया गया। अनुराधा गुप्ता ने पुलिस रिपोर्ट पर न्यायालय में आपत्ति दर्ज की, लेकिन न्यायालय ने उनकी आपत्ति को भी खारिज कर दिया और पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
यूट्यूब वीडियो से बढ़ी मानहानि, अब अदालत ने दिया समन
मुकदमे में यह भी बताया गया कि अनुराधा गुप्ता ने एक यूट्यूब चैनल पर वीडियो अपलोड किया, जिसमें उन्होंने संस्था और प्रधानाचार्य को झूठे आरोपों से बदनाम किया। इस वीडियो का लिंक नितिन शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा साझा किया गया था, जिससे मामला और चर्चा में आ गया।
प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने 21 जनवरी 2017 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा था, परंतु अनुराधा गुप्ता ने न तो क्षमा याचना की और न ही वीडियो हटाया। इसके बाद प्रधानाचार्य ने न्यायालय में मानहानि का वाद दायर किया, जिसमें विद्यालय के शिक्षक, छात्रों के अभिभावक, और अन्य संबंधित व्यक्तियों ने भी न्यायालय में बयान दर्ज कराए। न्यायालय ने पाया कि अनुराधा गुप्ता की सभी शिकायतें जांच में झूठी पाई गईं और उनके द्वारा डाला गया वीडियो प्रधानाचार्य की सामाजिक और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाला था।
10 दिसंबर को न्यायालय में उपस्थित होंगी अनुराधा गुप्ता
इन तथ्यों के आधार पर न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्री शैलेंद्र कुमार यादव ने आदेश पारित किया कि अनुराधा गुप्ता को 10 दिसंबर 2025 को न्यायालय में हाजिर होना अनिवार्य है। अब यह देखना होगा कि अनुराधा गुप्ता न्यायालय में अपने कृत्यों के लिए क्या जवाब पेश करती हैं, और क्या यह मामला सुलह की ओर बढ़ेगा या न्यायालय में मानहानि के आरोप सिद्ध होंगे।
संस्था की साख पर प्रश्न नहीं, अनुशासन सर्वोपरि
डीएवी संस्था सदैव शिक्षा, संस्कार और अनुशासन के लिए जानी जाती रही है। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित की ओर से दायर यह वाद इस बात का संकेत है कि संस्था अपनी प्रतिष्ठा पर किसी भी प्रकार का आघात बर्दाश्त नहीं करेगी।अब समूचा शिक्षण समुदाय 10 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी निगाहों से देख रहा है —
क्या न्यायालय एक बार फिर यह सिद्ध करेगा कि “सत्य कभी पराजित नहीं होता”?