2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी – ज्वालापुर सीट पर सियासी संग्राम तेज,, मास्टर दलीप कुमार ने ठोकी 27 ज्वालापुर विधानसभा से चुनाव ताल – बोले, अब नहीं चलेगा बाहरी पैराशूट प्रत्याशियों का खेल,, स्थानीय नेतृत्व को आगे लाने की उठी जोरदार मांग, जनता बोली – हमें अपना स्थानीय नेता चाहिए
जैसे-जैसे 2027 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, हरिद्वार की ज्वालापुर सीट पर सियासी हलचल तेज होती जा रही है। अबकी बार मुकाबला सिर्फ पार्टियों का नहीं, बल्कि “स्थानीय बनाम बाहरी” का होता दिख रहा है। बीजेपी नेता मास्टर दलीप कुमार ने चुनावी संकेत देकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “अब नहीं चलेगा बाहरी पैराशूट प्रत्याशियों का खेल, ज्वालापुर को उसका असली हक चाहिए।” उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कई कार्यकर्ता और स्थानीय लोग अब खुलकर कहने लगे हैं कि ज्वालापुर को इस बार अपना प्रतिनिधि चाहिए

इन्तजार रजा हरिद्वार- 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी – ज्वालापुर सीट पर सियासी संग्राम तेज,,
मास्टर दलीप कुमार ने ठोकी 27 ज्वालापुर विधानसभा से चुनाव ताल – बोले, अब नहीं चलेगा बाहरी पैराशूट प्रत्याशियों का खेल,,
स्थानीय नेतृत्व को आगे लाने की उठी जोरदार मांग, जनता बोली – हमें अपना स्थानीय नेता चाहिए
जैसे-जैसे 2027 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, हरिद्वार की ज्वालापुर सीट पर सियासी हलचल तेज होती जा रही है। अबकी बार मुकाबला सिर्फ पार्टियों का नहीं, बल्कि “स्थानीय बनाम बाहरी” का होता दिख रहा है।
बीजेपी नेता मास्टर दलीप कुमार ने चुनावी संकेत देकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “अब नहीं चलेगा बाहरी पैराशूट प्रत्याशियों का खेल, ज्वालापुर को उसका असली हक चाहिए।” उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कई कार्यकर्ता और स्थानीय लोग अब खुलकर कहने लगे हैं कि ज्वालापुर को इस बार अपना प्रतिनिधि चाहिए — जो यहां की गलियों और समस्याओं को करीब से जानता हो।द
🔹 ज्वालापुर में फिर गर्म हुई स्थानीय बनाम बाहरी की बहस
पिछले कई कार्यकालों से ज्वालापुर विधानसभा सीट पर बाहरी उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। चुनाव के वक्त वादे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही जनता उन चेहरों को भूल जाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाई, बेरोज़गारी, टूटी सड़कों और जलभराव जैसी समस्याएं आज भी जस की तस हैं। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा – “हर बार चुनाव में नेता आते हैं, वादे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। अब हमें अपने इलाके का बेटा चाहिए जो हमारी तकलीफ समझे।”
🔹 मास्टर दलीप कुमार ने भरी हुंकार – “अब जनता वादों पर नहीं ठगी जायेगी”
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और समाजसेवी मास्टर दलीप कुमार ने कहा कि जनता अब पहले जैसी नहीं रही। वह समझ चुकी है कि बाहर से आने वाले नेता सिर्फ कुर्सी के लिए आते हैं, सेवा के लिए नहीं।
“ज्वालापुर के लोग जागरूक हैं। अब उन्हें झूठे वादे नहीं चाहिए। उन्हें अपना प्रतिनिधि चाहिए, जो यहां की गलियों और लोगों के साथ जुड़ा हो। मैंने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा समाज की सेवा में दिया है, और मेरा लक्ष्य सिर्फ कुर्सी नहीं, सेवा है।”
मास्टर दलीप कुमार का यह बयान बीजेपी के भीतर भी चर्चा का विषय बन गया है। माना जा रहा है कि यदि पार्टी इस बार स्थानीय चेहरे को आगे करती है, तो ज्वालापुर में चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
🔹 जनता की आवाज – “अपने में से कोई आए”
ज्वालापुर के मोहल्लों, चौक-चौराहों और सोशल मीडिया तक पर अब एक ही चर्चा है – “क्या इस बार अपना नेता मिलेगा?” जनता का कहना है कि बाहरी विधायक चुनाव के बाद क्षेत्र में नजर ही नहीं आते। युवाओं का कहना है कि उन्हें रोज़गार और विकास चाहिए, न कि खाली नारे। एक स्थानीय शिक्षक ने कहा –“अब समय आ गया है कि ज्वालापुर का बेटा ही ज्वालापुर की लड़ाई लड़े। हमें ऐसे नेता चाहिए जो हमारे बीच रहे, हमारे साथ चले।”
🔹 राजनीतिक विश्लेषक बोले – “स्थानीय चेहरा होगा गेमचेंजर”
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार ज्वालापुर का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है।
बीजेपी अगर स्थानीय चेहरे पर भरोसा जताती है, तो जनता का मूड पूरी तरह बदल सकता है।

हरिद्वार के एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा –
“दलीप कुमार जैसे नेताओं की छवि साफ-सुथरी और जनसंपर्क मजबूत है। अगर उन्हें मौका मिला तो ज्वालापुर की राजनीति में नया अध्याय शुरू हो सकता है।”
🔹 राजनीति नहीं सेवा – यही है मकसद
मास्टर दलीप कुमार का कहना है कि राजनीति उनके लिए समाज सेवा का माध्यम है, न कि सत्ता का खेल।
उन्होंने कहा –
“हम सबको राजनीति को समाज सुधार का जरिया बनाना चाहिए। ज्वालापुर की जनता अब बदलाव चाहती है, और मैं उसी बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हूं।”
उन्होंने भरोसा जताया कि अगर जनता और पार्टी दोनों का समर्थन मिला, तो ज्वालापुर को विकास की नई दिशा मिलेगी।
🔹 ज्वालापुर की सियासत का बदलता चेहरा
हरिद्वार की ज्वालापुर सीट हमेशा से चर्चाओं में रही है। यहां विभिन्न समाजों और धर्मों के लोग मिलजुलकर रहते हैं, जिससे यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील बन जाता है। बाहरी नेताओं के लगातार चुने जाने के बावजूद स्थानीय विकास की रफ्तार धीमी रही है। अब जनता का मूड पूरी तरह बदलता दिखाई दे रहा है।
इस बार लोगों के बीच यह भावना साफ दिख रही है कि –
“अब ज्वालापुर किसी बाहरी के भरोसे नहीं रहेगा, यहां का नेता अब यहीं से होगा।”
अब ज्वालापुर का बेटा ही लड़ेगा ज्वालापुर की लड़ाई”
मास्टर दलीप कुमार के बयान ने हरिद्वार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
उनकी स्पष्ट बातों और जनता से जुड़ाव ने एक नई बहस छेड़ दी है – कि क्या 2027 में ज्वालापुर को उसका असली प्रतिनिधि मिलेगा? इस सियासी लड़ाई ने एक बात तो तय कर दी है —अब ज्वालापुर की जनता जाग चुकी है, और 2027 का चुनाव “बाहरी बनाम स्थानीय” की जंग बन चुका है।