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जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने किया ग्राम प्रधान को निलम्बित,, दो नोटिस के बावजूद अभिलेख न देने पर ग्राम प्रधान बसंती देवी निलंबित,, लक्सर विकासखंड की अकौढ़ा खुर्द पंचायत में घटिया सीसी सड़क निर्माण पर हुई कार्रवाई

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की सख्त कार्रवाई,, दो नोटिस के बावजूद अभिलेख न देने पर ग्राम प्रधान बसंती देवी निलंबित,, लक्सर विकासखंड की अकौढ़ा खुर्द पंचायत में घटिया सीसी सड़क निर्माण पर हुई कार्रवाई

इन्तजार रजा हरिद्वार- जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने किया ग्राम प्रधान को निलम्बित,,
दो नोटिस के बावजूद अभिलेख न देने पर ग्राम प्रधान बसंती देवी निलंबित,,
लक्सर विकासखंड की अकौढ़ा खुर्द पंचायत में घटिया सीसी सड़क निर्माण पर हुई कार्रवाई

                

हरिद्वार, 17 अक्टूबर 2025।
प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता की दिशा में जिला अधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित ने एक और बड़ा कदम उठाया है। विकासखंड लक्सर की ग्राम पंचायत अकौढ़ा खुर्द उर्फ अकौढ़ा मुकर्मतपुर में घटिया सामग्री से सीसी सड़क निर्माण की शिकायतों के बाद की गई जांच में ग्राम प्रधान श्रीमती बसंती देवी को अंतिम जांच पूर्ण होने तक निलंबित कर दिया गया है।

घटिया निर्माण की शिकायत बनी वजह

ग्राम पंचायत अकौढ़ा खुर्द की कश्यप बस्ती में सीसी सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने घटिया निर्माण सामग्री और गुणवत्ता में अनियमितता की शिकायत की थी। इस मामले में जिलाधिकारी ने सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी, हरिद्वार को जांच के निर्देश दिए थे।
जांच की प्रक्रिया के दौरान प्रधान से निर्माण कार्यों से जुड़े अभिलेख दो बार मांगे गए, लेकिन उन्होंने न तो दस्तावेज प्रस्तुत किए और न ही संतोषजनक जवाब दिया।

बार-बार निर्देश के बावजूद अभिलेख नहीं दिए

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि ग्राम प्रधान बसंती देवी को बार-बार निर्देश दिए गए कि वे पंचायत के निर्माण कार्यों से संबंधित रिकार्ड और अभिलेख जांच अधिकारी को उपलब्ध कराएं।
इसके बावजूद ग्राम प्रधान ने न तो कोई दस्तावेज दिए और न ही जवाब प्रस्तुत किया। यह स्थिति उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम 2016 की धारा 133 के स्पष्ट उल्लंघन के अंतर्गत आती है, जिसमें ग्राम प्रधान को प्रशासनिक कार्यों में सहयोग और पारदर्शिता बरतनी होती है।

अधिनियम की धारा 138 के तहत की गई कार्रवाई

प्रशासन ने उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम 2016 की धारा 138(1) के तहत कार्रवाई करते हुए ग्राम प्रधान को निलंबित किया है। इस धारा के अनुसार यदि कोई ग्राम प्रधान अपने कार्यकाल के दौरान अनियमितता करता है, अभिलेखों को छिपाता है या पंचायत की निधि अथवा संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे जांच पूरी होने तक निलंबित किया जा सकता है।
इसी प्रावधान के तहत जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधान बसंती देवी को उनके पद से तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया है।

पंचायत के कार्य अब तीन सदस्यीय समिति देखेगी

जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार, अब ग्राम पंचायत अकौढ़ा खुर्द के कार्यों की जिम्मेदारी पंचायत के निर्वाचित तीन सदस्यों की एक समिति को सौंपी गई है। यह समिति फिलहाल पंचायत के सामान्य कार्यों को देखेगी और विकास योजनाओं की निरंतरता बनाए रखेगी।
अंतिम विभागीय जांच पूर्ण होने के बाद ही बसंती देवी के दोषी या निर्दोष पाए जाने का निर्णय लिया जाएगा।

जवाबदेही और पारदर्शिता पर जिलाधिकारी का फोकस

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के कार्यकाल में यह दूसरी बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, जब किसी ग्राम प्रधान पर प्रशासनिक सख्ती दिखाई गई हो। इससे पहले भी जिले के विभिन्न विकासखंडों में हुए निर्माण कार्यों में गड़बड़ियों पर उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि “जनहित के कामों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि “पंचायतीराज व्यवस्था ग्रामीण विकास की रीढ़ है, इसलिए ग्राम प्रधानों को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ निभानी चाहिए। जो भी अधिकारी या प्रधान सरकारी धन और जनहित से खिलवाड़ करेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

ग्रामीणों में मिश्रित प्रतिक्रिया

अकौढ़ा खुर्द पंचायत क्षेत्र के कई ग्रामीणों ने जिलाधिकारी की कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि सीसी सड़क की गुणवत्ता को लेकर लंबे समय से शिकायतें की जा रही थीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी।
ग्रामवासी रमेश कुमार ने कहा, “सड़क निर्माण में घटिया सीमेंट और कमजोर सामग्री का इस्तेमाल हुआ। बरसात में सड़क टूट गई थी। डीएम साहब का यह कदम सही दिशा में है।”
वहीं, कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि प्रशासन को जांच निष्पक्ष तरीके से करनी चाहिए ताकि निर्दोष व्यक्ति पर कोई अन्याय न हो।

क्या कहता है पंचायतीराज अधिनियम?

उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम 2016 की धारा 133 में यह प्रावधान है कि ग्राम प्रधान अपने पद का दुरुपयोग न करें और हर सरकारी कार्य में पारदर्शिता बनाए रखें। जबकि धारा 138(1) के तहत राज्य सरकार या जिलाधिकारी को यह अधिकार है कि वे किसी प्रधान को कर्तव्य में लापरवाही, निधि के दुरुपयोग या अनाचार के आरोप में अंतिम जांच तक निलंबित कर सकते हैं।
इस प्रावधान का उद्देश्य पंचायत प्रणाली में जवाबदेही सुनिश्चित करना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है।

निलंबन के बाद प्रशासन ने जारी किए निर्देश

निलंबन आदेश के साथ ही जिलाधिकारी ने सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया है कि ग्राम पंचायत अकौढ़ा खुर्द के सभी लंबित निर्माण कार्यों और वित्तीय अभिलेखों की विस्तृत जांच की जाए।
साथ ही, तीन सदस्यीय समिति को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि पंचायत के सामान्य कार्यों में किसी प्रकार की रुकावट न आए और ग्राम विकास योजनाएं सुचारू रूप से चलती रहें।

प्रशासन का संदेश स्पष्ट

हरिद्वार प्रशासन की यह कार्रवाई साफ संकेत देती है कि जवाबदेही से बचने का कोई विकल्प अब नहीं रहेगा।
जो भी पंचायत प्रतिनिधि शासन के निर्देशों की अनदेखी करेगा, उसके खिलाफ यही सख्त रवैया अपनाया जाएगा। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित का यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूत करने और जनता के बीच शासन की साख बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।

ग्राम प्रधान बसंती देवी का निलंबन केवल एक व्यक्ति पर कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे जनपद के लिए एक संदेश है कि जनहित के कार्यों में लापरवाही या अभिलेख छिपाने जैसी प्रवृत्तियों पर अब सीधे जिलाधिकारी की नजर है।
इस कदम से न केवल पंचायतों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जनविश्वास भी मजबूत होगा।

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