भारत-पाक तनाव के बीच अलर्ट मोड पर भारत, 7 मई को देहरादून समेत कई जिलों में युद्ध जैसी मॉक ड्रिल, सायरन और ब्लैकआउट से परखी जाएगी तैयारियां, आम जनता से लेकर प्रशासन तक हर स्तर पर हाई अलर्ट, केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में होगा अभ्यास, राष्ट्रीय स्तर पर मॉक ड्रिल का ऐलान, उत्तराखंड का देहरादून जिला भी ऑपरेशन मॉक ड्रिल में शामिल, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की सीधी निगरानी

इन्तजार रजा हरिद्वार- भारत-पाक तनाव के बीच अलर्ट मोड पर भारत,
7 मई को देहरादून समेत कई जिलों में युद्ध जैसी मॉक ड्रिल, सायरन और ब्लैकआउट से परखी जाएगी तैयारियां,
आम जनता से लेकर प्रशासन तक हर स्तर पर हाई अलर्ट, केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में होगा अभ्यास,
राष्ट्रीय स्तर पर मॉक ड्रिल का ऐलान, उत्तराखंड का देहरादून जिला भी ऑपरेशन मॉक ड्रिल में शामिल, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की सीधी निगरानी
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के मद्देनज़र केंद्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने 7 मई को देशभर में बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला लिया है। इस ड्रिल का उद्देश्य है – युद्ध या आपात स्थिति के समय नागरिक और प्रशासनिक मशीनरी की तत्परता की वास्तविक जांच करना।
उत्तराखंड के देहरादून जिले को इस अभ्यास में शामिल किया गया है, जहां जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही तैयारियों में जुटी हैं।
कैसे होगा युद्धकालीन मॉक ड्रिल का संचालन
मॉक ड्रिल को यथासंभव युद्ध जैसी परिस्थितियों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। 7 मई को दोपहर या शाम के समय:
- पहले सायरन बजाया जाएगा, जो जनता को अलर्ट का संकेत देगा।
- इसके बाद पूरे शहर में लगभग 10 मिनट का ब्लैकआउट किया जाएगा – बिजली काटी जाएगी, और हर नागरिक से कहा गया है कि किसी भी प्रकार की रोशनी न करें।
- आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी, लेकिन आम नागरिकों को घर के अंदर रहने का निर्देश रहेगा।
- इस दौरान सुरक्षा बल, पुलिस और प्रशासन की निगरानी टीमें हर गतिविधि को रिकॉर्ड करेंगी और रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी।
क्यों ज़रूरी है यह अभ्यास?
भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर हालिया झड़पों, और विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा किए गए हमले के बाद से देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है।
भारत सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि आने वाले दिनों में किसी भी प्रकार की सैन्य प्रतिक्रिया या आतंकी प्रतिघात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह मॉक ड्रिल:
- हवाई हमले की स्थिति में नागरिक सुरक्षा व्यवस्था की कार्यप्रणाली को परखेगी।
- बिजली, स्वास्थ्य, यातायात और आपात सेवाओं के समन्वय को जांचेगी।
- लोगों में जागरूकता और अनुशासन को आंकने का काम करेगी।
- बड़े शहरों की आबादी को नियंत्रित तरीके से दिशा-निर्देश देने की प्रक्रिया को सुदृढ़ करेगी।
देहरादून प्रशासन की तैयारियां – निर्देश जारी
देहरादून ज़िला प्रशासन ने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि:
- सभी अस्पताल, पुलिस स्टेशन, दमकल केंद्र, ट्रैफिक कंट्रोल रूम आदि सतर्क रहें।
- निजी स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों को मॉक ड्रिल के समय का पहले से नोटिस दिया जाए।
- लोगों को बताया जाए कि यह अभ्यास का हिस्सा है, ताकि अफवाहें न फैलें और भगदड़ जैसी स्थिति न बने।
- बिजली विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि ब्लैकआउट सुनियोजित होगा और सीमित समय के लिए ही रहेगा।
इतिहास से सबक: 1965 और 1971 में ब्लैकआउट का असर
भारत में ब्लैकआउट कोई नई बात नहीं।
- 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान दिल्ली, अमृतसर, कोलकाता और बॉर्डर से लगे शहरों में नियमित रूप से ब्लैकआउट किए गए थे।
- खिड़कियों पर काले पर्दे, रोशनी का पूर्ण निषेध और सायरन आधारित चेतावनी प्रणाली तब बड़े स्तर पर लागू की गई थी।
- इन ब्लैकआउट्स ने पाकिस्तानी वायुसेना को लक्ष्यों की पहचान करने में बाधा पहुंचाई थी।
अब एक बार फिर भारत उसी मॉडल पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा तैयारियों को परख रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की सीधी निगरानी
इस मॉक ड्रिल की सीधी निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्यालय (NSA), गृह मंत्रालय और NDMA द्वारा की जा रही है। सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि स्थानीय स्तर पर कोई चूक नहीं होनी चाहिए।
सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी जाएगी, जिसमें यह स्पष्ट होगा कि कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से सायरन, ब्लैकआउट और नागरिक नियंत्रण को लागू किया गया।
सामान्य नागरिकों से अपेक्षित सहयोग
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह मॉक ड्रिल जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है, डर फैलाने के लिए नहीं। लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए आम नागरिकों का सहयोग अनिवार्य है:
- सायरन बजते ही घर के भीतर रहें।
- लाइट, मोबाइल टॉर्च या किसी प्रकार की रोशनी का प्रयोग न करें।
- सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने से बचें।
- सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें।
युद्ध भले न छिड़ा हो, पर भारत तैयार है
हालात जैसे बन रहे हैं, उसमें सुरक्षा तैयारियां सिर्फ सेना के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकतीं। अब वक्त है कि देश का हर नागरिक, हर अधिकारी, हर संसाधन युद्ध की कल्पना नहीं, तैयारी करे। 7 मई का मॉक ड्रिल सिर्फ एक अभ्यास नहीं है – यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है, संगठित है, और सतर्क है।