राज्य के हजारों पुराने कुएं अब फिर जिंदा होंगे – धामी सरकार का बड़ा ऐलान, अब कोई कुंआ न रहेगा गुमनाम – जमीनी कार्ययोजना हो गई तैयार मुख्यमंत्री के निर्देश पर चलेगा राज्यव्यापी सत्यापन और पुनर्जीवन अभियान, अतिक्रमण पर भी चलेगा बुलडोजर, जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई, जल संसाधनों पर कब्जा नहीं चलेगा, कुएं सिर्फ जल स्रोत नहीं, हमारी पहचान हैं – मुख्यमंत्री धामी

इन्तजार रजा हरिद्वार- राज्य के हजारों पुराने कुएं अब फिर जिंदा होंगे – धामी सरकार का बड़ा ऐलान,
अब कोई कुंआ न रहेगा गुमनाम – जमीनी कार्ययोजना हो गई तैयार
मुख्यमंत्री के निर्देश पर चलेगा राज्यव्यापी सत्यापन और पुनर्जीवन अभियान, अतिक्रमण पर भी चलेगा बुलडोजर, जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई, जल संसाधनों पर कब्जा नहीं चलेगा, कुएं सिर्फ जल स्रोत नहीं, हमारी पहचान हैं – मुख्यमंत्री धाम
उत्तराखंड की धामी सरकार अब उन प्राचीन कुओं को फिर से जीवित करने जा रही है जिन्हें व्यवस्था ने भुला दिया था और जिन पर लोगों ने कब्जा जमाकर मलबा डाल दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी जिलों को कड़ा निर्देश देते हुए कहा है कि पुराने कुओं की पहचान, सत्यापन और मरम्मत का काम युद्धस्तर पर किया जाए और जहां अतिक्रमण है, वहां तत्काल कार्रवाई हो।
इस निर्णय ने उन सभी स्वार्थी ताकतों की नींद उड़ा दी है जो सालों से सार्वजनिक जल स्रोतों पर अवैध कब्जा जमाकर बैठे हैं। अब सरकार न केवल इन्हें हटाएगी बल्कि इन्हीं कुओं के माध्यम से जल संकट और भूजल गिरावट से भी लड़ेगी।
धरोहरों पर धूल नहीं, धधकता बदलाव चाहिए!
कभी गांव-शहरों की जान रहे कुएं आज बदहाल हैं। कहीं उन पर घर बना दिए गए हैं, कहीं कूड़े के ढेर में बदल दिए गए हैं। लेकिन अब हालात बदलेंगे। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा है कि “जल संरक्षण केवल नीति पत्रों में नहीं, जमीनी सच्चाई में उतरना चाहिए।” इसी सोच के साथ सरकार ने ‘कुएं पुनर्जीवन अभियान’ की शुरुआत की है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि हर जिले में अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई जाए जो:
- सभी पुराने और वर्तमान में उपेक्षित कुओं की भौगोलिक पहचान करे,
- उनकी वास्तविक स्थिति, जलस्तर और उपयोग का ब्यौरा तैयार करे,
- और फिर इन्हें स्वच्छ, मजबूत और कार्यशील रूप में पुनर्जीवित करे।
जहां-जहां अतिक्रमण हुआ है, वहां बुलडोजर चलाने के आदेश हैं। सरकार का कहना है कि पब्लिक प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा।
‘सारा’ योजना का विस्तार – हर बूंद होगी बचाव की कहानी
उत्तराखंड सरकार की स्प्रिंग एंड रिवर रीजुविनेशन अथॉरिटी (SARA) पहले ही 6350 सूखते जल स्रोतों की पहचान कर चुकी है। इनमें से 929 जलस्रोतों का उपचार किया जा चुका है, और 297 रिचार्ज पिट बनाकर भूजल को संजोया गया है। पिछले साल सरकार ने 3.21 मिलियन क्यूबिक मीटर वर्षा जल संरक्षित कर मिसाल कायम की थी।
अब यह योजना कुओं को जोड़कर और भी व्यापक हो रही है। सरकार का मानना है कि यदि हर गांव और शहर में मौजूद पुराने कुओं को दोबारा चालू किया जाए, तो हजारों लीटर भूजल हर रोज बचाया जा सकता है।
कुएं सिर्फ जल स्रोत नहीं, हमारी पहचान हैं – मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री ने इस अभियान को महज एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि “सांस्कृतिक और सभ्यतागत मिशन” करार दिया है। उन्होंने कहा:
“कुएं हमारी सभ्यता के प्रतीक हैं। इन्हें पुनर्जीवित करना केवल जल संरक्षण नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने की पहल है।”
सरकार जनता से भी अपील कर रही है कि यदि उनके मोहल्ले या गांव में कोई पुराना कुंआ है, तो उसकी सूचना प्रशासन को दें। साथ ही, युवा और स्वयंसेवी संगठन इस मुहिम को जनांदोलन में बदलने में भागीदारी करें।
अब कोई कुंआ न रहेगा गुमनाम – जमीनी कार्ययोजना तैयार
धामी सरकार की कार्ययोजना में पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही तय की गई है:
- हर जिले में डिजिटल नक्शा तैयार किया जाएगा, जिसमें हर पुराने कुएं की लोकेशन और स्थिति अंकित होगी।
- प्रत्येक चिन्हित कुंए की मरम्मत, सफाई, रिंग वॉल निर्माण और जल परीक्षण किया जाएगा।
- सभी कार्यों की मॉनिटरिंग जिला प्रशासन और ग्राम पंचायतों के माध्यम से की जाएगी।
- अभियान को ‘जनभागीदारी मॉडल’ पर चलाया जाएगा, ताकि हर नागरिक की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो।
जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई, जल संसाधनों पर कब्जा नहीं चलेगा
अब तक जिन लोगों ने कुओं पर अवैध निर्माण कर लिया था, उनके खिलाफ प्रशासन सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। जल संस्थान, शहरी विकास, राजस्व और पंचायत विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि:
- ऐसे मामलों की पहचान करें,
- कब्जे हटाएं,
- और जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर दर्ज करें।
क्योंकि सरकार का कहना है – “अब जल संसाधनों पर कब्जा करने वालों को संरक्षण नहीं, सजा मिलेगी।”
अब होगा असली जल आंदोलन!
उत्तराखंड में धामी सरकार के इस निर्णय ने यह साफ कर दिया है कि अब केवल घोषणाएं नहीं, धरातल पर क्रांतिकारी बदलाव किया जाएगा। यह पहल न केवल भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि पीढ़ियों से उपेक्षित हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी नया जीवन देगी।
यह सिर्फ कुओं का पुनर्जीवन नहीं, यह हमारी आत्मा के पुनर्जागरण की शुरुआत है।