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हरिद्वार प्रशासन हाई अलर्ट पर, प्राकृतिक आपदा से निपटने को लेकर डीएम ने कसी कमर, जलभराव, बाढ़ राहत और बचाव के लिए सभी विभागों को दिए निर्देश, 12 बाढ़ चौकियों को 15 जून तक सक्रिय करने के निर्देश, आमजन के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी टोल फ्री नंबर: 1077 दूरभाष: 01334-223999 मोबाइल नंबर: 9528250926, 9068197350

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार प्रशासन हाई अलर्ट पर,
प्राकृतिक आपदा से निपटने को लेकर डीएम ने कसी कमर,
जलभराव, बाढ़ राहत और बचाव के लिए सभी विभागों को दिए निर्देश, 12 बाढ़ चौकियों को 15 जून तक सक्रिय करने के निर्देश,

आमजन के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

  • टोल फ्री नंबर: 1077
  • दूरभाष: 01334-223999
  • मोबाइल नंबर: 9528250926, 9068197350

हरिद्वार, 7 मई 2025 — मानसून से पहले हरिद्वार प्रशासन हर स्तर पर सतर्क हो गया है। संभावित प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने मंगलवार को आपदा प्रबंधन सभागार में अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक ली। बैठक में बाढ़ नियंत्रण, जलभराव से बचाव, राहत व्यवस्था और विभागीय समन्वय को लेकर गहन चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि किसी भी स्थिति में आमजन को परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासनिक तंत्र को पूरी तरह तैयार रहना होगा।

12 बाढ़ चौकियों को 15 जून तक सक्रिय करने के निर्देश

जिलाधिकारी ने सबसे पहले जिले में स्थापित 12 बाढ़ चौकियों की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी बाढ़ चौकियां 15 जून से पहले पूरी तरह सक्रिय होनी चाहिए। चौकियों पर मानव संसाधन, आवश्यक उपकरण, जीवन रक्षक सामग्री और संचार व्यवस्था समय रहते सुनिश्चित कर ली जाए। डीएम ने सभी उपजिलाधिकारियों (एसडीएम) को निर्देश दिए कि वे इन चौकियों का औचक निरीक्षण कर रिपोर्ट दें और कमियों को समय पर दूर करें।

उन्होंने कहा कि आपदा के समय किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी बाढ़ चौकियों को नोडल अधिकारियों की देखरेख में समय से सक्रिय किया जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल प्रतिक्रिया दी जा सके।

जलभराव वाले 29 चिन्हित स्थलों की सफाई जल्द हो

बैठक में जिलाधिकारी ने नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति से निपटने को लेकर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने ऐसे 29 स्थानों की पहचान की है, जहां हर वर्ष जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है। इन सभी स्थलों की जेसीबी मशीनों से सफाई कार्य तत्काल शुरू किया जाए ताकि बारिश के समय पानी की निकासी में कोई बाधा न आए।

डीएम ने नगर निगम, ग्राम पंचायतों और जल संस्थान के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में मौजूद सभी छोटे-बड़े नालों की समय रहते सफाई सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जलभराव की स्थिति आम जनता की परेशानी बढ़ाती है और इससे बीमारियां भी फैलती हैं। अतः इसमें कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।

तटीय व निचले इलाकों में आबादी का चिन्हांकन और लाल मार्किंग

जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रहने वाली आबादी की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए निर्देश दिए कि सभी नदी तटीय और निचले इलाकों में रहने वाले परिवारों का चिन्हांकन किया जाए। इसके साथ ही सुरक्षित स्थानों की पहचान कर वहां अस्थायी आश्रय स्थल तैयार रखें जाएं, जहां जरूरत पड़ने पर लोगों को तुरंत शिफ्ट किया जा सके।

डीएम ने यह भी कहा कि तटीय व निचले क्षेत्रों में लाल निशान (रेड मार्किंग) कर दी जाए ताकि लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सके। इन क्षेत्रों में मुनादी व प्रचार-प्रसार कर जनता को समय रहते सचेत किया जाए।

कमजोर तटबंधों और कलवर्ट्स की शीघ्र मरम्मत

आपदा की स्थिति में बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करने वाले तटबंध और पुलिया (कलवर्ट्स) की स्थिति भी प्रशासन के ध्यान में है। जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को निर्देश दिए कि जिले में जहां भी तटबंध या कलवर्ट क्षतिग्रस्त हैं, उनकी मरम्मत कार्य युद्ध स्तर पर शुरू की जाए।

उन्होंने कहा कि बरसात शुरू होने से पहले इन सभी मरम्मत कार्यों को पूरा करना अनिवार्य है, ताकि बाढ़ की स्थिति में पानी के बहाव से आबादी प्रभावित न हो। डीएम ने स्वयं इन स्थलों का निरीक्षण करने की बात कही और एसडीएम को भी क्षेत्रीय निरीक्षण के आदेश दिए।

विभागीय नियंत्रण कक्षों और आपसी समन्वय पर जोर

जिलाधिकारी ने विभिन्न विभागों — लोक निर्माण विभाग (PWD), जल संस्थान, विद्युत विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई विभाग आदि — को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने नियंत्रण कक्ष 24 घंटे सक्रिय रखें और एक-दूसरे के साथ पूर्ण समन्वय बनाए रखें। किसी भी आपात स्थिति में यह विभाग एक टीम की तरह कार्य करें, जिससे राहत और बचाव कार्य में गति लाई जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (State Emergency Operation Center) की भूमिका इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह कंट्रोल रूम 24×7 कार्यरत है। किसी भी आपदा की स्थिति में आमजन की कॉल्स का तुरंत जवाब दिया जाता है और संबंधित विभागों को तुरंत अलर्ट किया जाता है।

आमजन के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि कोई भी नागरिक किसी भी प्रकार की आपदा, जलभराव, या अन्य संकट की स्थिति में निम्नलिखित हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल कर सहायता प्राप्त कर सकता है:

  • टोल फ्री नंबर: 1077
  • दूरभाष: 01334-223999
  • मोबाइल नंबर: 9528250926, 9068197350

डीएम ने भरोसा दिलाया कि जैसे ही कंट्रोल रूम में कॉल प्राप्त होती है, तुरंत संबंधित डीडीएमओ (जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी) के माध्यम से कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।

बैठक में प्रमुख अधिकारी रहे मौजूद

इस समीक्षा बैठक में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोण्डे, अपर जिलाधिकारी (एडीएम) दीपेंद्र सिंह नेगी, एसडीएम जितेंद्र कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. सिंह, परियोजना निदेशक के. एन. तिवारी, जिला विकास अधिकारी वेदप्रकाश, सीईओ के. के. गुप्ता, डीपीआरओ अतुल प्रताप सिंह, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी सरिता पॉवर, एसडीआरएफ प्रभारी आशीष त्यागी, एनडीआरएफ प्रतिनिधि आनंद सिंह सहित सभी सम्बन्धित विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

हरिद्वार प्रशासन ने संभावित आपदाओं को देखते हुए अपने पूरे तंत्र को सक्रिय कर दिया है। जलभराव से बचाव, बाढ़ राहत और आमजन की सुरक्षा को लेकर जो गंभीरता दिखाई गई है, वह आने वाले समय में जिले को आपदा से सुरक्षित रखने में सहायक सिद्ध हो सकती है। अब देखना यह होगा कि इन निर्देशों का क्रियान्वयन कितनी गंभीरता और समयबद्धता के साथ होता है।

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