रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए अधिकारी नैनीताल में विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई से हड़कंप शिक्षक की बहाली के एवज में मांगी गई थी ₹1.20 लाख की रिश्वत

इन्तजार रजा हरिद्वार- रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए अधिकारी
नैनीताल में विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई से हड़कंप
शिक्षक की बहाली के एवज में मांगी गई थी ₹1.20 लाख की रिश्वत
नैनीताल, 9 मई 2025: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के प्रयासों को एक बड़ी सफलता तब मिली जब सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी विशेष कुमार राणा और पूर्व एकाउंटेंट बसंत जोशी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों अधिकारियों ने एक शिक्षक की सेवा बहाली के बदले ₹1,20,000 की अवैध मांग की थी, जिसकी शिकायत संबंधित शिक्षक ने सतर्कता विभाग से की थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिक्षक ने जबरन रिश्वत मांगने की जानकारी विजिलेंस की हेल्पलाइन 1064 पर दी थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस ने मामले की गहन जांच शुरू की और प्राथमिक जांच में आरोपों की पुष्टि होते ही ट्रैप टीम का गठन कर कार्रवाई को अंजाम दिया। योजना के अनुसार तय जगह पर जैसे ही दोनों अधिकारी रिश्वत की रकम ले रहे थे, टीम ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस कार्रवाई की पुष्टि विजिलेंस के महानिदेशक डॉ. एम.पी. मुरुगेशन ने की और उन्होंने इस सफल ऑपरेशन के लिए टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है। कोई भी सरकारी अधिकारी यदि रिश्वत मांगता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।”
इस गिरफ्तारी ने न केवल प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि आम नागरिकों को यह संदेश भी दिया है कि यदि वे साहस दिखाएं और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं, तो व्यवस्था जवाबदेह बन सकती है। विजिलेंस विभाग ने जनता से अपील की है कि वे सरकारी कार्यों में रिश्वत की मांग होने पर तुरंत 1064 हेल्पलाइन या 9456592300 व्हाट्सएप नंबर पर शिकायत दर्ज करें।
यह कार्रवाई उत्तराखंड में पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है। खासकर शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भ्रष्टाचार की यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे कुछ अधिकारी व्यक्तिगत लाभ के लिए व्यवस्था को कलंकित करते हैं। अब देखना होगा कि आगे इस मामले में कानूनी कार्रवाई कितनी तेज़ी से आगे बढ़ती है और क्या इससे अन्य भ्रष्ट अधिकारियों में डर पैदा होता है या नहीं।