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ऊर्जा-कुशल और स्मार्ट रोपवे सिस्टम की दिशा में बड़ा कदम,, आईआईटी मंडी में आयोजित कार्यशाला में ब्रिडकुल टीम की तकनीकी भागीदारी,, उत्तराखंड में सुरक्षित व आधुनिक रोपवे परियोजनाओं को मिलेगी मजबूती

इन्तजार रजा हरिद्वार- ऊर्जा-कुशल और स्मार्ट रोपवे सिस्टम की दिशा में बड़ा कदम,,
आईआईटी मंडी में आयोजित कार्यशाला में ब्रिडकुल टीम की तकनीकी भागीदारी,,
उत्तराखंड में सुरक्षित व आधुनिक रोपवे परियोजनाओं को मिलेगी मजबूती

21 जुलाई 2025 को हिमाचल प्रदेश स्थित आईआईटी मंडी में “Futuristic Technologies for Energy Efficient, Safe and Smart Ropeway Systems” विषय पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य देश में रोपवे सिस्टम को और अधिक ऊर्जा-कुशल, सुरक्षित एवं स्मार्ट बनाने के लिए नवीनतम तकनीकों पर गहन विमर्श करना रहा। इस अवसर पर उत्तराखंड की ओर से ब्रिडकुल (BRIDCUL) की विशेषज्ञ टीम ने भाग लिया, जिससे यह साफ संकेत गया कि राज्य अब भविष्य के परिवहन तंत्र में आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए गंभीर प्रयासरत है।

ब्रिडकुल की तकनीकी टीम ने किया राज्य का प्रतिनिधित्व

उत्तराखंड राज्य की ओर से इस कार्यशाला में ब्रिडकुल के प्रबन्ध निदेशक श्री नरेन्द्र पाल सिंह के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय टीम ने प्रतिभाग किया। टीम में शामिल रहे—

  • श्री संजीव जैन, महाप्रबन्धक (सिविल)-I
  • श्री कमल कुमार सैनी, महाप्रबन्धक (सिविल) -II/ उपमहाप्रबंधक ( रोपवे)
  • श्री संदीप सिंह रावत, वरिष्ठ आवासीय अभियन्ता
  • श्री वाज़िद अली, आवासीय अभियन्ता (सिविल)
  • श्री अभिषेक भारद्वाज, आवासीय अभियन्ता (विधुत/यांत्रिक)
  • श्री जसबीर सजवाण, कनिष्ठ अभियन्ता (विधुत/यांत्रिक)
  • श्री दीपक उनियाल, कनिष्ठ अभियंता ( सिविल)

ब्रिडकुल टीम ने कार्यशाला में उत्तराखंड के वर्तमान व प्रस्तावित रोपवे प्रोजेक्ट्स की विशेषताओं, भौगोलिक चुनौतियों और तकनीकी आवश्यकताओं को रेखांकित किया। साथ ही, टीम ने ऊर्जा दक्षता, यात्री सुरक्षा, और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से स्मार्ट समाधान अपनाने की दिशा में राज्य के प्रयासों को प्रस्तुत किया।

देशभर के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान और कंपनियाँ रहीं शामिल

इस कार्यशाला में देशभर की प्रमुख तकनीकी और परामर्श संस्थाओं की भागीदारी रही, जिनमें शामिल थे—

  • आईआईटी मंडी (आयोजक संस्थान)
  • आईआईटी रुड़की
  • CSIR (नई दिल्ली)
  • RITES लिमिटेड
  • Ropeway Consultants
  • प्रमुख Ropeway निर्माण कंपनियाँ

इन सभी विशेषज्ञ संस्थानों ने अपने-अपने अनुभव, शोध निष्कर्ष, तकनीकी समाधान और सफल प्रोजेक्ट्स के उदाहरण साझा किए, जिससे प्रतिभागियों को गहराई से रोपवे सिस्टम की मौजूदा और भविष्य की तकनीकों को समझने का अवसर मिला।

स्मार्ट और ऊर्जा दक्ष तकनीकों पर रहा विशेष जोर

कार्यशाला में ऊर्जा-कुशल तकनीकों जैसे सोलर पावर्ड ड्राइव सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकिंग सिस्टम, स्वचालित नियंत्रण प्रणाली, और AI आधारित निगरानी तंत्र पर विशेष चर्चा हुई। इन तकनीकों का उद्देश्य रोपवे संचालन को अधिक सुरक्षित, कम लागत वाला और पर्यावरण मित्रवत बनाना है।

विशेषज्ञों ने बताया कि भविष्य की रोपवे प्रणालियों में—

  • रीयल टाइम डेटा मॉनिटरिंग
  • स्वचालित यात्री प्रबंधन
  • आपातकालीन अलर्ट सिस्टम
  • ग्रीन बिल्डिंग मानकों पर आधारित टर्मिनल स्टेशन
  • IoT आधारित रख-रखाव मॉडल
    आदि को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।

उत्तराखंड को मिलेगा प्रत्यक्ष लाभ

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए रोपवे परिवहन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ब्रिडकुल की टीम ने बताया कि राज्य में पर्यटन और धार्मिक यात्राओं की दृष्टि से अनेक रोपवे परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनमें मुख्य हैं:

  • हरिद्वार रोपवे
  • केदारनाथ रोपवे
  • गंगोत्री-यमुनोत्री लिंक
  • मसूरी रोपवे
  • ऋषिकेश-नीलकंठ रोपवे

इन परियोजनाओं में स्मार्ट, सुरक्षित और पर्यावरण-संवेदनशील तकनीकों को शामिल करना बेहद आवश्यक है। कार्यशाला में हुई चर्चाओं के आधार पर इन प्रोजेक्ट्स को नवीनतम तकनीक के साथ लागू करने की दिशा में ब्रिडकुल अब तेजी से कदम उठाएगा।

संस्थानों के साथ अनुसंधान साझेदारी पर विचार

आईआईटी मंडी व आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने ब्रिडकुल के साथ मिलकर संयुक्त तकनीकी अनुसंधान, डिजाइन नवाचार, और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल समाधान विकसित करने की दिशा में रुचि दिखाई। इस सहयोग से उत्तराखंड के प्रोजेक्ट्स को स्थानीय जरूरतों के अनुसार डिज़ाइन किया जा सकेगा और राज्य को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ावा मिलेगा।

पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण भी हुए शामिल

कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि रोपवे सिस्टम केवल तकनीकी परियोजनाएं नहीं होतीं, बल्कि इनका गहरा सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव होता है। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में रोपवे के माध्यम से

  • दूरस्थ गांवों में पहुँच आसान होगी
  • चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार की सुविधाएं बढ़ेंगी
  • आपदा की स्थिति में राहत कार्य तेज होंगे

साथ ही, पर्यावरणीय दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि

  • निर्माण के दौरान वनों की क्षति न्यूनतम हो
  • जैव विविधता का संरक्षण हो
  • परियोजनाएं स्थानीय समुदायों के साथ संवाद के माध्यम से संचालित हों

उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर

आईआईटी मंडी में आयोजित यह कार्यशाला उत्तराखंड की रोपवे परियोजनाओं को नई तकनीकी दिशा देने वाला मील का पत्थर साबित हो सकती है। ब्रिडकुल की उपस्थिति और सहभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड अब न केवल रोपवे निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है, बल्कि वह इसे भविष्य की स्मार्ट ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी के रूप में स्थापित करना चाहता है।

राज्य सरकार के विजन और ब्रिडकुल के प्रयासों से आने वाले वर्षों में उत्तराखंड में रोपवे प्रणाली न केवल यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

इस कार्यशाला के अनुभव और तकनीकी ज्ञान से उत्तराखंड निश्चित रूप से देश का पहला ऐसा राज्य बनने की ओर अग्रसर है, जहां रोपवे सिस्टम पूरी तरह से स्मार्ट, हरित और तकनीकी रूप से अत्याधुनिक होगा।

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