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हरिद्वार ज़मीन खरीद घोटाले पर बड़ा खुलासा, सराय गांव में 2.370 हेक्टेयर भूमि में भारी अनियमितता, सेल डीड रद्द, करोड़ों की धनराशि वापस लेने के आदेश, नगर निगम हरिद्वार के खाते में धनराशि वापस करने के निर्देश जारी 

इन्तजार रजा हरिद्वार-  हरिद्वार ज़मीन खरीद घोटाले पर बड़ा खुलासा,

सराय गांव में 2.370 हेक्टेयर भूमि में भारी अनियमितता,

सेल डीड रद्द, करोड़ों की धनराशि वापस लेने के आदेश, नगर निगम हरिद्वार के खाते में धनराशि वापस करने के निर्देश जारी

देहरादून/हरिद्वार।
हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में खरीदी गई 2.370 हेक्टेयर ज़मीन से जुड़ा एक बड़ा घोटाला अब पूरी तरह उजागर हो चुका है। शहरी विकास विभाग की ओर से इस मामले की जांच के लिए नियुक्त जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान (सचिव, गन्ना व चीनी विभाग) की रिपोर्ट में सामने आया है कि भूमि क्रय में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं।

कैसे हुआ घोटाला?

नगर निगम, हरिद्वार ने ग्राम सराय क्षेत्र में अपने कार्यों के लिए 2.370 हेक्टेयर ज़मीन की खरीददारी की थी। शुरुआत में यह जमीन नियमानुसार ली गई प्रतीत हुई, लेकिन जांच में पाया गया कि:

  • भूमि की बाज़ार दर और खरीदी गई दर में भारी अंतर था।
  • कुछ ऐसे व्यक्तियों को भुगतान किया गया, जिनका भूमि पर वैध स्वामित्व स्पष्ट नहीं था।
  • भूमि का चयन बिना पूर्व सर्वे और आवश्यकता निर्धारण के किया गया।
  • सेल डीड पर हस्ताक्षर व प्रमाणीकरण में भी गड़बड़ियां सामने आईं।

शासन का बड़ा फैसला: सेल डीड निरस्त, धन वापसी के आदेश

जांच रिपोर्ट में इन अनियमितताओं को ‘गंभीर वित्तीय अनियमितता’ मानते हुए शासन ने निर्णय लिया है कि:

  1. उक्त भूमि से संबंधित सभी सेल डीड निरस्त की जाएं।
  2. इस खरीददारी के बदले नगर निगम द्वारा जो धनराशि अदा की गई थी, उसे वापस नगर निगम के खाते में जमा करवाया जाए।
  3. पूरे मामले में आगे की विधिक कार्यवाही की जाए और की गई कार्यवाही से शासन को तत्काल अवगत कराया जाए।

नगर निगम की छवि पर गहरा आघात

इस फैसले ने नगर निगम, हरिद्वार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि:

  • इस भूमि घोटाले में शामिल अधिकारियों और दलालों के नाम उजागर किए जाएं।
  • उनके विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज किया जाए।
  • इस घोटाले में राजनैतिक संरक्षण की भूमिका की भी जांच हो।

प्रशासन की सफाई और आगामी कार्रवाई

नगर निगम की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, नगर आयुक्त कार्यालय अब सेल डीड निरस्तीकरण और धन वापसी की प्रक्रिया में जुट गया है। साथ ही, शहरी विकास विभाग को यह भी निर्देशित किया गया है कि ऐसी सभी ज़मीनों की जांच हो जो पिछले 10 वर्षों में निगम द्वारा खरीदी गई हैं।

पूर्व में भी लगे हैं घोटालों के आरोप

गौरतलब है कि हरिद्वार नगर निगम पर पहले भी:

  • सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में भ्रष्टाचार,
  • ठेकेदारों से सांठगांठ,
  • फर्जी निर्माण अनुज्ञा जारी करने,
    जैसे आरोप लगते रहे हैं। यह भूमि क्रय घोटाला उन सभी आरोपों को और अधिक बल दे रहा है।

RTI कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों का दबाव

इस घोटाले को उजागर करने में आरटीआई कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम रही है। उन्होंने मांग की है कि:

  • इस मामले में CBI जांच करवाई जाए।
  • जमीन बेचने वाले पक्ष और निगम अधिकारियों के बीच हुए लेनदेन का बैंक रिकॉर्ड सार्वजनिक किया जाए।
  • भविष्य में ऐसी किसी भी ज़मीन खरीद से पहले स्वतंत्र तकनीकी समिति की रिपोर्ट अनिवार्य की जाए।

क्या सिर्फ डीड रद्द करने से मामला खत्म होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ ‘सामयिक समाधान’ है। यदि दोषियों को दंडित नहीं किया गया और इस पर आपराधिक केस दर्ज नहीं हुए, तो यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार को सिर्फ बढ़ावा देगा। केवल पैसे की वापसी से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा।

हरिद्वार नगर निगम में सामने आया यह भूमि क्रय घोटाला सिर्फ एक isolated case नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की बीमारियों का संकेत देता है। अब जब शासन ने खुद जांच रिपोर्ट को मानते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं, तो ज़रूरत इस बात की है कि इस पूरे घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जाए।

यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला भी अनेकों घोटालों की तरह फाइलों में दब जाएगा और भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी हो जाएंगी।

 

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