सालों से उठ रही मांग पर कार्रवाई,, अब पौड़ी में बैठेंगे कमिश्नर और IG,, मुख्यमंत्री धामी ने दिए सख्त निर्देश

इन्तजार रजा हरिद्वार- सालों से उठ रही मांग पर कार्रवाई,,
अब पौड़ी में बैठेंगे कमिश्नर और IG,,
मुख्यमंत्री धामी ने दिए सख्त निर्देश
देहरादून, 07 सितम्बर 2025।
गढ़वाल कमिश्नरी का मुख्यालय पौड़ी में होने के बावजूद लंबे समय से अधिकारी देहरादून में ही डेरा जमाए बैठे थे। स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों की बार-बार की मांग के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा निर्णय लेते हुए गढ़वाल कमिश्नर और आईजी को पौड़ी में नियमित रूप से बैठने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस फैसले के बाद गढ़वाल अंचल के लोगों की पुरानी शिकायत दूर होती दिख रही है।
देहरादून में ही टिके रहते थे अधिकारी
राज्य गठन से पहले तक कमिश्नरी का संचालन पूरी तरह पौड़ी से होता था। लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद हालात बदलते गए और अधिकांश समय कमिश्नर व आईजी देहरादून में ही बैठने लगे। इसका सीधा असर दूरस्थ जिलों—पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी—से आने वाले आम लोगों पर पड़ा। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए जनता को कई-कई दिन देहरादून के चक्कर लगाने पड़ते थे। यही वजह रही कि यह मुद्दा लगातार सियासी गरमाहट का कारण बना रहा।
मंत्रियों ने उठाई आवाज, सीएम ने लिया संज्ञान
हाल ही में पौड़ी विधायक एवं कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात कर इस लंबे समय से चली आ रही समस्या को उनके सामने रखा। जनप्रतिनिधियों ने साफ कहा कि अगर मुख्यालय पौड़ी है तो अधिकारी वहीं बैठें, ताकि जनता को आसानी हो। उन्होंने मांग की कि सप्ताह में कम से कम तीन दिन तो अधिकारियों को पौड़ी में अनिवार्य रूप से बैठना ही चाहिए।
अब पौड़ी से ही होगी जनता की सुनवाई
कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांग को गंभीरता से लिया है और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि जनता की सुविधा सर्वोपरि है और गढ़वाल कमिश्नरी के मुख्यालय पौड़ी को दरकिनार करना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आदेश के बाद गढ़वाल कमिश्नर और आईजी पौड़ी पहुंच चुके हैं और अब वहां नियमित रूप से बैठकर कामकाज करेंगे।
जनता को मिलेगी राहत
इस निर्णय से दूरस्थ जिलों के हजारों लोगों को राहत मिलेगी। उन्हें अब देहरादून के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इससे जहां प्रशासनिक कामकाज की पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं स्थानीय स्तर पर जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान भी हो सकेगा।
यह फैसला मुख्यमंत्री धामी की “जनसुविधा प्राथमिकता” नीति की बड़ी मिसाल माना जा रहा है। राजनीतिक जानकार इसे गढ़वाल की जनता के लिए ऐतिहासिक निर्णय बता रहे हैं, जो आने वाले समय में पर्वतीय क्षेत्रों में प्रशासनिक विकेंद्रीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।