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उत्तराखंड में पुराने डीजल वाहनों पर चलेगा प्रशासनिक हथौड़ा, 2025 अंत तक सभी 15 साल पुराने सरकारी व कमर्शियल वाहन होंगे बाहर, स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत रजिस्ट्रेशन होगा रद्द, साफ हवा की ओर बड़ा कदम

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखंड में पुराने डीजल वाहनों पर चलेगा प्रशासनिक हथौड़ा,

2025 अंत तक सभी 15 साल पुराने सरकारी व कमर्शियल वाहन होंगे चलन से बाहर,

स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत रजिस्ट्रेशन होगा रद्द, साफ हवा की ओर बड़ा कदम

पुराने डीजल वाहनों पर चला प्रशासन का डंडा

उत्तराखंड में 15 साल से पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध तय, 2025 तक सभी सरकारी व व्यावसायिक वाहन होंगे बाहर

स्क्रैपिंग नीति के जरिए रजिस्ट्रेशन भी होगा रद्द, प्रदूषण नियंत्रण को मिलेगा बढ़ावा


1. 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर सख्ती: राज्य की नई नीति का उद्देश्य

उत्तराखंड में 2025 तक 15 साल से पुराने सरकारी और व्यावसायिक डीजल वाहनों को चलन से बाहर करने की योजना अब ज़मीनी स्तर पर अमल में लाई जा रही है। केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत राज्य सरकार ने इस दिशा में गंभीरता दिखाई है। यह कदम न केवल राज्य की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अहम है, बल्कि इसके जरिए पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप ग्रीन पॉलिसी को भी सशक्त किया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा परिवहन विभाग को दिए गए निर्देशों के अनुसार, पुराने डीजल वाहनों की सूची तैयार की जा रही है। 15 साल पूरे कर चुके ऐसे सभी वाहन जिनका पंजीकरण वैध नहीं है या जो उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं कर रहे, उन्हें सड़कों से हटाया जाएगा। इसके लिए एक व्यापक जांच अभियान शुरू हो चुका है, जिसमें शहरों के साथ-साथ ग्रामीण मार्गों पर भी नजर रखी जा रही है।

मुख्य उद्देश्य:

  • सड़कों पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना।
  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के वाहनों में समय रहते नवीनीकरण को प्रोत्साहित करना।
  • स्क्रैपिंग नीति के तहत पुराने वाहनों को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करना।

2. परिवहन विभाग की कार्रवाई और कार्ययोजना

उत्तराखंड परिवहन विभाग अब एक्शन मोड में है। जिन वाहनों का रजिस्ट्रेशन 15 साल से ज्यादा पुराना है और जो डीजल से चलते हैं, उन पर सीधा प्रतिबंध लगाया जाएगा। विभागीय अधिकारियों को विशेष अभियान चलाकर इस तरह के वाहनों की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं।

कार्रवाई के प्रमुख चरण:

  1. वाहन डेटा संकलन: राज्य के सभी जिलों से 15 साल पुराने वाहनों का डेटा एकत्र किया जा रहा है।
  2. नोटिस जारी: संबंधित वाहन मालिकों को नोटिस देकर उन्हें सूचित किया जा रहा है कि वे अपने वाहन को स्क्रैप कराएं या सड़क से हटा लें।
  3. जांच चौकियां: परिवहन विभाग ने कई जगहों पर विशेष चेकिंग अभियान शुरू कर दिया है, जहां ऐसे वाहनों को पकड़कर जब्त किया जा रहा है।
  4. पंजीकरण रद्द: जिन वाहनों ने 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं, उनके रजिस्ट्रेशन स्वतः रद्द कर दिए जाएंगे।

राज्य स्तर पर बनाए गए टास्क फोर्स:
प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो नियमित रूप से जांच करेगी कि पुराने डीजल वाहन सड़कों पर तो नहीं दौड़ रहे।


3. स्क्रैपिंग नीति: लाभ और चुनौतियाँ

भारत सरकार की स्क्रैपिंग नीति को लागू करते हुए उत्तराखंड में पुराने वाहनों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। यह नीति पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों को खत्म करने के साथ-साथ नए वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहन भी देती है।

स्क्रैपिंग नीति के लाभ:

  • प्रदूषण में कमी: पुराने डीजल वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों को खत्म किया जा सकेगा।
  • सुरक्षित यातायात: पुराने वाहन अक्सर तकनीकी रूप से कमजोर होते हैं जिससे दुर्घटनाएं बढ़ती हैं, ऐसे वाहनों के हटने से सड़क सुरक्षा बढ़ेगी।
  • आर्थिक लाभ: वाहन मालिकों को स्क्रैपिंग पर कुछ रियायतें दी जा सकती हैं जैसे कि रोड टैक्स में छूट या नया वाहन खरीदने पर सब्सिडी।
  • वाहन उद्योग को बढ़ावा: नए वाहन खरीदने से ऑटोमोबाइल उद्योग को गति मिलेगी।

चुनौतियाँ:

  • अभी तक राज्य में पर्याप्त अधिकृत स्क्रैपिंग सेंटर नहीं हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्क्रैपिंग नीति की जानकारी नहीं है।
  • परिवहन विभाग के पास पर्याप्त जनशक्ति और तकनीकी संसाधनों की कमी है जिससे पूरी तरह सख्ती नहीं बरती जा पा रही।

4. सरकारी विभागों पर भी सख्ती: समय से पहले स्क्रैपिंग के निर्देश

उत्तराखंड सरकार ने अपने ही विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उनके अधीन चल रहे 15 साल पुराने डीजल वाहनों को तत्काल प्रभाव से स्क्रैप किया जाए। इसमें पुलिस, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, और अन्य निगमों के वाहन शामिल हैं।

कई विभागों को पुराने सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने के नोटिस भेजे जा चुके हैं। कुछ विभागों ने तो प्रक्रिया शुरू भी कर दी है और अपने पुराने वाहनों की सूची बनाकर परिवहन विभाग को सौंप दी है।

सरकारी वाहन स्क्रैपिंग प्रक्रिया:

  1. विभाग द्वारा वाहन की उम्र की पुष्टि।
  2. वाहन की तकनीकी स्थिति का मूल्यांकन।
  3. स्क्रैपिंग के लिए अधिकृत केंद्र को सौंपना।
  4. रजिस्ट्रेशन रद्द कराना और नए वाहन की खरीद पर विचार।

उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक साहसिक कदम है। बढ़ते वायु प्रदूषण, सड़कों पर बढ़ती भीड़ और पुराने वाहनों से होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 15 साल पुराने डीजल वाहनों को चलन से बाहर करना एक ज़रूरी निर्णय है। यह नीति तभी सफल होगी जब परिवहन विभाग इसे ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू करेगा, और साथ ही आम जनता को भी इसके महत्व की जानकारी देकर जागरूक किया जाएगा।

आने वाले समय में यदि स्क्रैपिंग नीति को और व्यावहारिक और जनहितैषी बनाया गया, तो यह पहल उत्तराखंड के लिए एक मॉडल के रूप में उभरेगी जिसे अन्य राज्य भी अपनाना चाहेंगे।

उत्तराखंड में 15 वर्ष पुराने डीजल वाहनों का जिलेवार विवरण (अनुमानित आंकड़े – 2024 के अंत तक)

क्रम संख्या जिला अनुमानित 15+ साल पुराने डीजल वाहन स्क्रैपिंग के लिए नोटिस भेजे गए स्क्रैपिंग पूर्ण स्क्रैपिंग प्रतिशत (%)
1 देहरादून 12,000 9,500 6,200 51.6%
2 हरिद्वार 9,800 7,400 5,000 51.0%
3 ऊधमसिंहनगर 8,200 6,100 3,800 46.3%
4 नैनीताल 6,700 5,000 3,200 47.8%
5 अल्मोड़ा 4,300 3,000 1,900 44.1%
6 पौड़ी गढ़वाल 3,900 2,800 1,700 43.6%
7 टिहरी गढ़वाल 3,200 2,400 1,500 46.9%
8 पिथौरागढ़ 2,800 2,000 1,200 42.8%
9 रुद्रप्रयाग 1,900 1,300 800 42.1%
10 चंपावत 1,400 1,000 650 46.4%
11 बागेश्वर 1,300 900 600 46.2%
12 उत्तरकाशी 1,800 1,200 750 41.6%
13 चमोली 2,100 1,500 950 45.2%

राज्य स्तरीय कुल आंकड़ा (2024 अंत तक):

  • कुल पुराने डीजल वाहन (15 वर्ष+): लगभग 59,400
  • नोटिस भेजे गए: 45,100
  • वाहन स्क्रैप किए गए: 28,450
  • औसत स्क्रैपिंग अनुपात: 47.9%
  • सर्वाधिक वाहन देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में पाए गए हैं, जो शहरी और औद्योगिक क्षेत्र हैं।
  • पर्वतीय जिलों में वाहन संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन स्क्रैपिंग की गति धीमी है।
  • राज्य भर में लगभग आधे पुराने वाहन अभी भी सड़कों पर हैं या स्क्रैप प्रक्रिया की प्रतीक्षा में हैं।

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