प्रसव के बाद महिला की मौत, परिजनों का फूटा गुस्सा परिजनों का आरोप चिकित्सकों की लापरवाही से गई जान, शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं देने पर भी अड़े परिजन अस्पताल को सील करने और डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर हंगामा

इन्तजार रजा हरिद्वार- प्रसव के बाद महिला की मौत, परिजनों का फूटा गुस्सा
परिजनों का आरोप चिकित्सकों की लापरवाही से गई जान, शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं देने पर भी अड़े परिजन
अस्पताल को सील करने और डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर हंगामा
लक्सर (हरिद्वार):
उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद अंतर्गत लक्सर में स्थित सिद्ध बाबा अस्पताल में एक महिला की मौत के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। महिला के परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से इनकार कर दिया। परिजनों की स्पष्ट मांग है कि जब तक संबंधित डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होता और अस्पताल को सील नहीं किया जाता, तब तक वे शव को नहीं ले जाने देंगे।
मामला खानपुर विधानसभा क्षेत्र के चंद्रपुरी बांगर गांव की रहने वाली एक गर्भवती महिला का है, जिसे प्रसव पीड़ा होने पर परिजन लक्सर के सिद्ध बाबा अस्पताल में भर्ती करवाने लाए थे। अस्पताल प्रशासन ने महिला का ऑपरेशन किया, लेकिन ऑपरेशन के बाद से ही महिला की हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत, बिजनौर रेफर किया गया
परिजनों के अनुसार, ऑपरेशन के कुछ ही घंटों के भीतर महिला के शरीर पर सूजन आने लगी और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। जब परिजनों ने महिला की नाजुक हालत को देखते हुए किसी बड़े अस्पताल में रेफर करने की मांग की, तो अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे महिला को बिजनौर के एक निजी अस्पताल में भेज रहे हैं और उसकी पूरी जिम्मेदारी वे खुद लेंगे।
परिजनों ने भरोसा कर महिला को बिजनौर पहुंचाया, लेकिन वहां इलाज शुरू होने से पहले ही महिला की मौत हो गई। इस घटना से आक्रोशित परिजनों ने तुरंत लक्सर स्थित सिद्ध बाबा अस्पताल पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। अस्पताल में तोड़फोड़ की आशंका को देखते हुए पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा।
अस्पताल स्टाफ फरार, परिजनों का आरोप गंभीर
सबसे गंभीर बात यह रही कि महिला की मौत की सूचना मिलते ही सिद्ध बाबा अस्पताल का पूरा स्टाफ—including डॉक्टर—अस्पताल छोड़कर फरार हो गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि यह सब कुछ एक सोची-समझी लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी का नतीजा है।
परिजनों ने साफ शब्दों में कहा,
“डॉक्टर ने हमें भरोसा दिलाया कि वह इलाज की पूरी जिम्मेदारी लेंगे, लेकिन अब मौत के बाद वह खुद भाग खड़े हुए हैं। हम तब तक शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजेंगे, जब तक अस्पताल को सील नहीं किया जाता और डॉक्टर पर हत्या का केस दर्ज नहीं होता।”
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर भी सवाल
इस पूरे मामले में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। मौके पर पहुंचे लक्सर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. रफी अहमद ने मीडिया को बताया कि उन्हें जिला चिकित्सा विभाग से सूचना मिली थी कि लक्सर के एक अस्पताल में हंगामा हो रहा है।
डॉ. अहमद ने कहा,
“मैं मौके पर पहुंचा तो महिला की मौत की पुष्टि हुई। अस्पताल का स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण है या नहीं, यह मेरे संज्ञान में नहीं है। इसका रिकॉर्ड जिले से प्राप्त करना होगा। पूरे मामले की जांच की जाएगी, तभी कुछ स्पष्ट कहा जा सकेगा कि डॉक्टर की इसमें कितनी जिम्मेदारी बनती है।”
नियमों की अनदेखी और मानव जीवन से खिलवाड़
इस तरह की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली में गम्भीर खामियाँ मौजूद हैं। बिना पर्याप्त सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों के अस्पताल में प्रसव जैसे जटिल ऑपरेशन किया जाना, एक प्रकार से मानव जीवन से खिलवाड़ के बराबर है।
अगर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन तक स्पष्ट नहीं है, तो यह सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को भी उजागर करता है। यह जांच का विषय होना चाहिए कि ऐसे अस्पताल को संचालन की अनुमति कैसे दी गई और कितने ऐसे अस्पताल आज भी लक्सर व अन्य क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहे हैं।
प्रशासनिक चुप्पी और पुलिस की भूमिका
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन परिजन अपनी मांगों पर अड़े रहे। पुलिस ने अभी तक संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे आक्रोश और अधिक बढ़ गया है।
इस बीच, जिला प्रशासन ने मामले की रिपोर्ट मांगी है और स्वास्थ्य विभाग को जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि परिजनों का कहना है कि उन्हें “कार्रवाई नहीं, कार्यवाही का प्रमाण” चाहिए।
यह घटना केवल एक महिला की मौत नहीं है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य सिस्टम की उस खोखली हकीकत को उजागर करती है, जहाँ बिना संसाधनों, योग्यता और जिम्मेदारी के अस्पताल चल रहे हैं। यदि समय रहते ऐसे अस्पतालों और लापरवाह डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सिलसिला थमने वाला नहीं है।