सलेमपुर महदुद में आंगनबाड़ी केंद्र में मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के खाद्य पदार्थों में हुई गंभीर चूक मामले में जांच हुई पुरी,, आंगनबाड़ी में मिला था एक्सपायरी दूध व दवाइयां अब कार्रवाई से पहले शासन के आदेश का इंतजार,, शासन के निर्देशो के इंतजार में टिकी कार्रवाई की घड़ी,, कार्रवाई से पहले शासन के आदेश का इंतजार

इन्तजार रजा हरिद्वार- सलेमपुर महदुद में आंगनबाड़ी केंद्र में मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के खाद्य पदार्थों में हुई गंभीर चूक मामले में जांच हुई पुरी,, आंगनबाड़ी में मिला था एक्सपायरी दूध व दवाइयां अब कार्रवाई से पहले शासन के आदेश का इंतजार,, शासन के निर्देशो के इंतजार में टिकी कार्रवाई की घड़ी,, कार्रवाई से पहले शासन के आदेश का इंतजार
हरिद्वार जनपद के बहादराबाद ब्लॉक के अंतर्गत सलेमपुर महदुद गांव में संचालित एक आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को वितरित किए जा रहे खाद्य व औषधीय सामग्री में घोर लापरवाही सामने आई है। मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के तहत वितरित किए जा रहे पाउडर दूध के पैकेट्स और मेडिकल सिरप एक्सपायरी डेट के पाए गए, जिससे शासन और प्रशासन में हड़कंप मच गया।
यह मामला इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि यह सीधे तौर पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। योजना का उद्देश्य पोषण स्तर सुधारना था लेकिन जब इसमें वितरित वस्तुएं ही समय सीमा पार निकलीं, तो सवाल उठना लाज़मी था — आखिर कौन जिम्मेदार है इस लापरवाही का?
मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना में गड़बड़ी का खुलासा
मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को पुष्टाहार प्रदान किया जाता है। लेकिन जब सलेमपुर महदुद के आंगनबाड़ी केंद्र में वितरण के लिए रखा गया पाउडर दूध एक्सपायर पाया गया, तो स्थानीय जागरूक नागरिकों और स्वयंसेवियों ने इसकी शिकायत संबंधित विभाग से की।
जांच में सामने आया कि न केवल दूध बल्कि कुछ सिरप और दवाइयां भी ऐसी थीं जिनकी समाप्ति तिथि काफी पहले की थी। यह सूचना मिलते ही जिला प्रशासन हरकत में आया और जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोंडे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई।
जांच समिति ने सौंपी रिपोर्ट, अब शासन के आदेश का इंतजार
सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि,
“हमारी टीम ने जांच रिपोर्ट तैयार कर निदेशक महोदय को भेज दी है। शासन से निर्देश मिलते ही अगली कार्यवाही की जाएगी।””हमने जांच पूरी कर ली है। रिपोर्ट निदेशक को भेज दी गई है। शासन से जैसे ही निर्देश मिलते हैं, कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
“औषधियों की जांच के लिए सीएमओ को 7 दिन का समय और दिया गया है।”
यह बयान स्पष्ट करता है कि प्रशासन गंभीर है लेकिन अभी विधिसम्मत प्रक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि सिरप और अन्य औषधियों की विश्लेषणात्मक जांच हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. आर. के. सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है, और उन्हें रिपोर्ट तैयार करने के लिए 7 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है।
प्रशासन सख्त, लेकिन कार्रवाई अभी प्रतीक्षा में
हालांकि यह मामला बेहद संवेदनशील है और सार्वजनिक आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है, फिर भी प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत अब पूरी जांच रिपोर्ट निदेशक को भेज दी गई है और शासन से अनुमति के बाद ही कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। ऐसे मामलों में विभागीय जांच के साथ-साथ एफआईआर की भी संभावना रहती है।
सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में दोषी अधिकारियों और सप्लायर्स के नाम स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं, लेकिन शासन के अनुमोदन के बिना कोई नाम सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। कार्रवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि लापरवाही की जड़ें कहां तक फैली हुई हैं।
बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़—कब तक बर्दाश्त?
सबसे बड़ा सवाल यही है — आखिर कब तक बच्चों और गर्भवती महिलाओं की जान से ऐसे खिलवाड़ को नजरअंदाज किया जाएगा? जब सरकारी योजनाओं के माध्यम से वितरित होने वाले सामान की गुणवत्ता पर ही प्रश्नचिह्न लगने लगे, तो भरोसा टूटता है। और सबसे चिंताजनक बात यह है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और केंद्र प्रभारी की जवाबदेही कहीं भी सामने नहीं लाई जा रही।
क्या कोई बड़े अधिकारी हैं इसमें संलिप्त?
क्या जानबूझकर किया गया यह कृत्य?
या फिर सिस्टम की लचर निगरानी व्यवस्था का नतीजा?
नारी सशक्तिकरण और बाल विकास की योजनाओं को धक्का
केंद्र और राज्य सरकारें महिलाओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रही हैं। नारी सशक्तिकरण, कुपोषण मुक्त भारत, मिशन पोषण 2.0 जैसे अभियानों के तहत योजनाओं को लागू किया जा रहा है। लेकिन अगर ज़मीनी स्तर पर ही इनके साथ खिलवाड़ हो रहा है, तो इससे न केवल सरकारी प्रयासों पर सवाल उठते हैं बल्कि जनता का भरोसा भी डगमगाने लगता है।
यह बयान स्पष्ट करता है कि प्रशासन गंभीर है लेकिन अभी विधिसम्मत प्रक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों में इस घटना को लेकर काफी रोष है। कई लोगों ने मांग की है कि दोषियों को जल्द से जल्द जेल भेजा जाए और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए व्यवस्था को और पारदर्शी बनाया जाए।
सलेमपुर महदुद के एक ग्रामीण ने कहा:
“हमारे बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हुआ है, हम दोषियों को सजा होते देखना चाहते हैं। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, अपराध है।”
अब निगाहें शासन पर
सलेमपुर महदुद का यह मामला केवल एक आंगनबाड़ी केंद्र की लापरवाही नहीं, बल्कि समूची व्यवस्था की परीक्षा है। जांच रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। दोषियों की पहचान भी कर ली गई है। लेकिन अब देखना होगा कि शासन कब तक इंतजार कराता है और कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है।
यदि कार्रवाई में ढिलाई हुई, तो यह पूरे उत्तराखंड में एक खतरनाक मिसाल बन सकती है।
इन्तजार रजा हरिद्वार Daily Live Uttarakhand