आवेदन, आग्रह और अब आक्रोश: कब लगेगे भगतनपुर-आबिदपुर में बिजली के पोल?, क्षैत्र पंचायत सदस्य शेर आलम की वर्षों पुरानी मांग पर आज भी धूल फांक रही फाइलें, क्षैत्रिय एसडीओ पर भेदभाव और हठधर्मिता के आरोप, जनता पूछ रही है- क्या यही है विकास?, फाइलें घूमती रहीं, जिम्मेदार सोते रहे
क्षैत्र पंचायत सदस्य शेर आलम की चेतावनी और आग्रह भगतनपुर-आबिदपुर की यह लड़ाई अब केवल बिजली के पोलों की नहीं रही, यह एक पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता के खिलाफ आवाज बन चुकी है। अगर शासन-प्रशासन नहीं जागा, तो जनता सड़क पर उतरकर जवाब लेना देना जानती है – और इस बार जवाब सिर्फ सवालों में नहीं, एक आंदोलन में होगा।

इन्तजार रजा हरिद्वार- आवेदन, आग्रह और अब आक्रोश: कब लगेगे भगतनपुर-आबिदपुर में बिजली के पोल?,
क्षैत्र पंचायत सदस्य शेर आलम की वर्षों पुरानी मांग पर आज भी धूल फांक रही फाइलें,
क्षैत्रिय एसडीओ पर भेदभाव और हठधर्मिता के आरोप, जनता पूछ रही है- क्या यही है विकास?, फाइलें घूमती रहीं, जिम्मेदार सोते रहे
हरिद्वार जनपद के भगतनपुर-आबिदपुर क्षेत्र की जनता बिजली के पोलों के लिए 2023 से आवेदन कर रही है, लेकिन आज तक न तो वहां पोल लगे और न ही कोई स्पष्ट कार्यवाही हुई। इस मुद्दे को लेकर क्षैत्र पंचायत सदस्य शेर आलम लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने बार-बार आवेदन, ज्ञापन और पत्राचार के ज़रिए विभागीय अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई, लेकिन परिणाम सिफर रहा। अब क्षेत्र की जनता आक्रोशित है और अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में है।
आरोप फाइलें घूमती रहीं, जिम्मेदार सोते रहे
2023 से शेर आलम ने विद्युत विभाग, एसडीओ और अधिशासी अभियंता तक कई बार मांग रखी कि क्षेत्र में जर्जर और अनुपस्थित बिजली के पोलों को बदला जाए और नये पोल लगाए जाएं। उन्होंने बाकायदा प्रमाणित पत्र, दस्तावेज़ और प्रस्ताव विभाग को सौंपे, लेकिन दो साल बाद भी सिर्फ खानापूर्ति चल रही है। फाइलें एक टेबल से दूसरी टेबल तक घूम रही हैं, पर जमीन पर कोई काम नहीं हुआ।
सबसे गंभीर आरोप विद्युत उपखंड अधिकारी (एसडीओ) पर लगाए गए हैं। शेर आलम का कहना है कि एसडीओ का रवैया पक्षपातपूर्ण और हठधर्मी है। जिन इलाकों में राजनीतिक दबाव अधिक है, वहां रातों-रात पोल और ट्रांसफार्मर लग जाते हैं, लेकिन भगतनपुर-आबिदपुर जैसे पिछड़े इलाकों में जनता की आवाज अनसुनी कर दी जाती है।
जनप्रतिनिधि उपेक्षित, जनता त्रस्त
क्षैत्र पंचायत सदस्य शेर आलम ने कहा, “मैंने हर लोकतांत्रिक तरीका अपनाया। चिट्ठियां लिखीं, अधिकारियों से मिला, बीडीओ बहादराबाद से भी सिफारिश करवाई, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। ये सिस्टम की नाकामी है।” उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे जिला मुख्यालय पर धरना देंगे और जनांदोलन शुरू करेंगे।
दूसरी ओर, क्षेत्र की जनता इस लापरवाही से बेहद नाराज है। लोगों का कहना है कि बिजली के पोल न होने के कारण उन्हें अंधेरे में रहना पड़ता है और ट्रांसफार्मर से सीधे कनेक्शन लेने पड़ते हैं, जिससे जान का खतरा बना रहता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
क्या यही है ‘विकास मॉडल’?
जब एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को ही अफसरशाही ठुकरा रही है, तो आम जनता की सुनवाई की उम्मीद कैसे की जा सकती है? सवाल यह भी है कि क्या पिछड़े क्षेत्रों की उपेक्षा करना ही विकास की परिभाषा बन चुकी है? यदि प्रशासन की प्राथमिकता सिर्फ दबाव वाले क्षेत्रों तक सीमित है, तो जनता के धैर्य का बाँध अब टूटना तय है।
क्षैत्र पंचायत सदस्य शेर आलम की चेतावनी और आग्रह भगतनपुर-आबिदपुर की यह लड़ाई अब केवल बिजली के पोलों की नहीं रही, यह एक पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता के खिलाफ आवाज बन चुकी है। अगर शासन-प्रशासन नहीं जागा, तो जनता सड़क पर उतरकर जवाब लेना देना जानती है – और इस बार जवाब सिर्फ सवालों में नहीं, एक आंदोलन में होगा।