नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश से अरबी मदरसों को राहत,, पांच मदरसों की सील खुली, तीन को शपथ पत्र के बाद मिलेगी मंजूरी,, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने आठ मदरसों को दी पढ़ाई शुरू करने की अनुमति

इन्तजार रजा हरिद्वार- नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश से अरबी मदरसों को राहत,,
पांच मदरसों की सील खुली, तीन को शपथ पत्र के बाद मिलेगी मंजूरी,,
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने आठ मदरसों को दी पढ़ाई शुरू करने की अनुमति
हरिद्वार/नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरिद्वार जिले में संचालित कई अरबी मदरसों के लिए राहत की बड़ी खबर आई है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी इप्सिता रावत ने आदेश जारी कर पांच मदरसों की सील खोलने का निर्णय लिया है, जबकि तीन अन्य मदरसों को शपथ पत्र जमा करने के बाद ही पढ़ाई दोबारा शुरू करने की अनुमति दी जाएगी। इस फैसले के साथ कुल आठ मदरसों में शिक्षा गतिविधियां फिर से शुरू हो सकेंगी।
सील खुलने वाले पांच मदरसों के नाम
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिन मदरसों की सील खोली गई है, उनके नाम इस प्रकार हैं —
- मदरसा दारुल उलूम साबरिया सत्तारिया (रहमतपुर, पीरान कलियर)
- मदरसा जामिया तालिमुल कुरान इस्लामिया (मोहितपुर)
- मदरसा दारुल कुरान (चानचक, उत्तराखंड)
- मदरसा जामिया रज़विया फैजुल कुरान (सलेमपुर महदूद, बाहदराबाद)
- मदरसा कादरिया अहया उल उलूम
इन पांच मदरसों में हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद सील तोड़कर पढ़ाई बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मदरसा प्रबंधन और स्थानीय छात्रों के लिए यह खबर काफी राहत भरी है।
जिला प्रशासन के अनुसार, तीन ऐसे मदरसे हैं जिनकी सील अभी भी बरकरार है, लेकिन आवश्यक शपथ पत्र जमा करने के बाद इन्हें भी खोला जाएगा। ये मदरसे हैं —
- मदरसा जामिया महमूदिया (दादू वाली मस्जिद, लालबाड़ा, मगलौर)
- मदरसा दारुल कुरान
- मदरसा सिराजुल कुरान अरबिया रशीदिया सोसायटी
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का कहना है कि जब तक ये मदरसे आवश्यक दस्तावेज़ और शपथ पत्र उपलब्ध नहीं कराते, तब तक इन्हें पुनः खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सरकार की कार्रवाई का कारण
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में ऐसे सभी अरबी मदरसों की जांच करवाई थी, जो या तो मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं थे या जिनके पास संचालन के लिए कोई वैध दस्तावेज़ नहीं थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसील प्रशासन ने ऐसे मदरसों पर सील लगाने की कार्रवाई की।
इस कदम से मदरसा प्रबंधकों में हड़कंप मच गया, क्योंकि अचानक शिक्षा गतिविधियां ठप हो गईं और सैकड़ों छात्र प्रभावित हुए।
कानूनी लड़ाई और हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
प्रभावित मदरसा संचालकों ने इस कार्रवाई के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कुछ मदरसों को राहत देने का आदेश जारी किया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मदरसों के पास मान्यता और जरूरी दस्तावेज़ हैं, उनकी पढ़ाई बाधित नहीं की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट के आदेश के पालन में, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने कुल आठ मदरसों की सील खोलने के निर्देश जारी किए। इनमें से पांच की सील तुरंत खोली गई, जबकि तीन को शपथ पत्र जमा करने की शर्त के साथ राहत दी गई।
छात्रों और प्रबंधन की प्रतिक्रिया
सील खुलने की खबर के बाद मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों में खुशी की लहर है। कई छात्र, जो पिछले दिनों से शिक्षा से वंचित थे, अब फिर से अपनी कक्षाओं में लौट पाएंगे।
मदरसा प्रबंधकों का कहना है कि वे प्रशासन के सभी निर्देशों का पालन करेंगे और आवश्यक कागजात समय पर जमा कर देंगे, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न आए।
प्रशासन का रुख
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी इप्सिता रावत ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए ही यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन शिक्षा संस्थानों के संचालन के खिलाफ नहीं है, लेकिन नियमों और मान्यता प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। जिन मदरसों के पास आवश्यक दस्तावेज़ नहीं हैं, उन्हें जल्द से जल्द औपचारिक प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
आगे की प्रक्रिया
शेष तीन मदरसों को शपथ पत्र जमा करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। जैसे ही ये दस्तावेज़ विभाग में जमा होंगे, उनकी सील भी खोली जाएगी और छात्रों को पढ़ाई जारी रखने का अवसर मिलेगा।
इस घटनाक्रम ने साफ कर दिया है कि शिक्षा संस्थानों के संचालन के लिए कानूनी औपचारिकताओं और मान्यता का होना अनिवार्य है, चाहे वे किसी भी समुदाय या पृष्ठभूमि से जुड़े हों। वहीं, अदालत के हस्तक्षेप से यह भी साबित हुआ है कि कानूनी रास्ता अपनाकर समस्याओं का समाधान संभव है।