गढमीरपुर क्षैत्र में किसानों का हक या उद्योग विभाग का दबाव? सिंचाई विभाग की भूमि हस्तांतरण पर नया विवाद आगामी 3 अक्टूबर को रुड़की में हरीश रावत की अगुवाई में धरना-प्रदर्शन,, किसानों का गुस्सा – अभी तक मालिकाना हक से वंचित पीढ़ियां,, गढमीरपुर में सिंचाई विभाग के पट्टो को शासन का पत्र और या उद्योग विभाग का दबाव तो नहीं
इन्तजार रजा हरिद्वार-गढमीरपुर क्षैत्र में किसानों का हक या उद्योग विभाग का दबाव?
सिंचाई विभाग की भूमि हस्तांतरण पर नया विवाद
आगामी 3 अक्टूबर को रुड़की में हरीश रावत की अगुवाई में धरना-प्रदर्शन,,
किसानों का गुस्सा – अभी तक मालिकाना हक से वंचित पीढ़ियां,,
गढमीरपुर में सिंचाई विभाग के पट्टो को शासन का पत्र और या उद्योग विभाग का दबाव तो नहीं

हरिद्वार जिले में सिंचाई विभाग की भूमि को औद्योगिक विकास विभाग (सिडकुल) को सौंपने की कवायद ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह मामला अब केवल जमीन का नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य, उनकी रोज़ी-रोटी और राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बन गया है। किसानों का आक्रोश अब खुलकर सामने आ रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में 3 अक्टूबर को रुड़की एसडीएम कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन तय किया गया है। इस प्रदर्शन ने न केवल प्रशासन बल्कि राज्य सरकार को भी असहज स्थिति में डाल दिया है।

हरिद्वार जिले के हजारों किसान दशकों से सरकार द्वारा आवंटित पट्टों पर खेती कर रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि उन्होंने 50 से 60 साल तक इन जमीनों को सींचा, उपजाई और अपने परिवारों को इसी पर निर्भर रखा, लेकिन सरकार ने अब तक उन्हें मालिकाना हक नहीं दिया।
किसानों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद उन पट्टों को मालिकाना हक में बदलने वाले शासनादेश को निरस्त कर दिया। यही नहीं, कई जगहों पर एसडीएम के जरिए पट्टों को रद्द करने की कार्यवाही भी कराई गई। कई किसान कोर्ट और कमिश्नर कोर्ट तक अपील कर रहे हैं, जहां से कुछ आदेश किसानों के पक्ष में भी आए हैं।
पट्टेदार किसानों का साफ कहना है कि अगर उन्होंने जमीन पर दशकों तक खेती की है तो अब सरकार को उन्हें भूमिधर बनाने में देर नहीं करनी चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि सरकार किसानों को नज़रअंदाज़ कर उद्योग विभाग को खुश करने में लगी हुई है।

शासन का पत्र और या उद्योग विभाग का दबाव तो नहीं
20 मई 2025 को शासन द्वारा जारी पत्र (ईपत्रावली संख्या 86300) ने इस विवाद को और उभारा। इस पत्र में संयुक्त सचिव जे.एल. शर्मा ने सिंचाई विभाग को आदेश दिया कि हरिद्वार जिले के ग्राम कुतबपुर और ग्राम गढ़ की लगभग 154 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक विकास विभाग को हस्तांतरित करने पर रिपोर्ट दी जाए।
रिपोर्ट के लिए तीन बिंदु तय किए गए –
- भूमि रिकॉर्ड की वर्तमान स्थिति।
- सिंचाई विभाग को वर्तमान और भविष्य में उस भूमि की ज़रूरत।
- भूमि हस्तांतरण पर विभागीय अभिमत।
यह आदेश साफ संकेत देता है कि सरकार सिडकुल के दबाव में है और सिंचाई विभाग को मजबूरन इस भूमि को उद्योगों के नाम करने की दिशा में धकेला जा रहा है।
कांग्रेस बनाम भाजपा – जमीन की राजनीति का अखाड़ा तो नहीं
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद गरीबों, भूमिहीनों और पट्टेदार किसानों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात किया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का दावा है कि 2016 में उनकी सरकार ने पट्टेदारों को मालिकाना हक देने का आदेश जारी किया था, लेकिन 2017 में भाजपा सरकार बनते ही इस आदेश को रद्द कर दिया गया।
हरीश रावत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि
“यह सरकार किसानों की जमीन पूंजीपतियों को सौंपने पर तुली है। पट्टेदारों को मालिकाना हक न देना और उनकी जमीन को उद्योगों को देना धोखा है। हम इस अन्याय के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे और किसानों का हक छीनने नहीं देंगे।”
यही कारण है कि 3 अक्टूबर का धरना केवल प्रतीकात्मक आंदोलन नहीं होगा, बल्कि कांग्रेस और किसानों के लिए सरकार को घेरने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।
आंदोलन की तैयारी – कांग्रेस और किसान हुए एकजुट
धरना-प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए यूथ कांग्रेस, किसान यूनियन और अनुसूचित जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के संगठनों ने खुला आह्वान किया है। प्रदेश सचिव अर्जुन कर्णवाल ने पट्टेदारों और भूमिहीन किसानों से बड़ी संख्या में रुड़की पहुंचने की अपील की है।
किसान यूनियन के नेताओं का कहना है कि यह संघर्ष केवल पट्टों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड में किसान बनाम उद्योग का आंदोलन बन सकता है। आंदोलन में शामिल होने के लिए ग्रामीणों ने गांव-गांव में मीटिंगें शुरू कर दी हैं।
धरने का नेतृत्व खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत करेंगे।
📌 3 अक्टूबर 2025, दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक, एसडीएम कार्यालय रुड़की।
अर्जुन कर्णवाल गढमीरपुर (प्रदेश सचिव यूथ कांग्रेस एवं किसान यूनियन अंबवता) ने साफ कहा है –
“यह सिर्फ पट्टेदारों का संघर्ष नहीं, बल्कि भूमिहीन, गरीब और हर वर्ग के किसानों की लड़ाई है। भाजपा सरकार ने किसानों से धोखा किया है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
प्रशासन की चिंता और सरकार पर सवाल
धरना-प्रदर्शन को लेकर प्रशासन भी अलर्ट हो गया है। पुलिस और प्रशासन को डर है कि अगर बड़ी संख्या में किसान पहुंचे तो हालात बिगड़ सकते हैं। वहीं, सरकार के लिए यह डबल संकट है –
- एक ओर उद्योग विभाग की मांग और सिडकुल विस्तार का दबाव।
- दूसरी ओर किसानों के आंदोलन से राजनीतिक असंतोष और विपक्ष का हमला।
सवाल यह है कि –
- क्या सरकार किसानों के दशकों पुराने अधिकारों की रक्षा करेगी?
- या फिर उद्योगपतियों को खुश करने के लिए किसानों की जमीन सौंप देगी?
- क्या भाजपा सरकार कांग्रेस सरकार के फैसले को पलटकर किसानों के साथ अन्याय कर रही है?

3 अक्टूबर की घड़ी निर्णायक
हरिद्वार की यह जंग अब केवल जमीन की नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व और किसान बनाम उद्योग के संघर्ष की लड़ाई बन चुकी है। यदि सरकार ने किसानों की मांगों को अनदेखा किया, तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी हो सकता है और 2027 के चुनावी समीकरणों पर भी असर डाल सकता है।
फिलहाल पूरे जिले की नज़रें 3 अक्टूबर के धरना-प्रदर्शन पर टिकी हैं। यह तय है कि हरीश रावत के नेतृत्व में किसान आंदोलन उत्तराखंड की राजनीति में नई हलचल पैदा करेगा और भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करेगा।
निवेदक: सुखपाल सिंह जायसवाल
समर्थन: अर्जुन कर्णवाल, प्रदेश सचिव यूथ कांग्रेस एवं किसान यूनियन अंबवता की ओर से 👉 संदेश साफ है –
“भूमिहीन, पट्टेदार, गरीब और हर वर्ग के किसान – आगामी 3 अक्टूबर को रुड़की एसडीएम कार्यालय पहुंचें और अपने हक की लड़ाई लड़ें।”



