अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी पहेली,सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की याचिका की खारिज।

इन्तजार रजा हरिद्वार- अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी पहेली,सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की याचिका की खारिज।
उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में सीबीआई जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे पीड़िता के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे संगठनों और परिजनों को गहरा झटका लगा है। इस फैसले के बाद इस मामले से जुड़े वीआईपी का नाम सामने आने की संभावना भी धूमिल हो गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस, जो सुप्रीम कोर्ट में अंकिता को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे थे, ने इस फैसले के बाद एक भावुक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा, “मुझे खेद है, अंकिता, कि आपकी हत्या की निष्पक्ष जांच की उम्मीदें खत्म हो गईं।”
क्या है पूरा मामला?⤵️
पौड़ी जिले के गंगा भोगपुर स्थित वनंतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या का मामला सितंबर 2022 में सामने आया था। आरोप था कि रिज़ॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक अंकित गुप्ता और सहायक प्रबंधक सौरभ भास्कर ने अंकिता पर एक वीआईपी मेहमान को “विशेष सेवा” देने का दबाव डाला। जब उसने इनकार किया, तो उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई और शव को चिला नहर में फेंक दिया गया।
सीबीआई जांच क्यों नहीं होगी?⤵️
उत्तराखंड सरकार का कहना है कि इस मामले की जांच तथ्यों पर आधारित थी और चार्जशीट में सभी सबूत शामिल किए गए हैं। आरोपी जेल में हैं और मामला कोटद्वार कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि, वकील कोलिन गोंजाल्विस ने पुलिस जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं:
अंकिता की व्हाट्सएप चैट, जिसमें उसने दोस्त को वीआईपी के बारे में बताया था, चार्जशीट से हटा दी गई। मुख्य आरोपी के सहयोगी, जो नकदी और हथियार के साथ था, से पूछताछ तक नहीं हुई।अंकिता के आंसुओं से भरे आखिरी पलों का गवाह एक होटल कर्मी था, लेकिन उसका बयान चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया। जिस कमरे में अंकिता ठहरी थी, उसकी फोरेंसिक रिपोर्ट चार्जशीट में नहीं लगाई गई।
सबसे बड़ा सवाल- आखिर वह वीआईपी कौन था? पुलिस ने उसकी पहचान अब तक उजागर नहीं की।
अब आगे क्या?⤵️
मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने ट्रायल कोर्ट में नार्को टेस्ट की मांग की थी, जिससे सच सामने आने की संभावना थी, लेकिन कोर्ट ने यह याचिका भी खारिज कर दी।
कोलिन गोंजाल्विस ने पत्र में लिखा, “मुझे खेद है, अंकिता। भारत में आम महिलाओं की ज़िंदगी मायने नहीं रखती। शक्तिशाली लोग बार-बार बच निकलते हैं।”
इस फैसले के बाद यह सवाल और गहरा गया है कि क्या अंकिता को पूरा न्याय मिलेगा या फिर वीआईपी के रसूख तले सच हमेशा के लिए दफन हो जाएगा