नई दिल्ली में इंडस्ट्री ऑल की वर्कशॉप सम्पन्न,, रिन्यूएबल एनर्जी और रोजगार पर हुई गंभीर चर्चा,, भेल नेता राजबीर सिंह ने श्रमिक हितों के लिए रखे ठोस सुझाव

इन्तजार रजा हरिद्वार- नई दिल्ली में इंडस्ट्री ऑल की वर्कशॉप सम्पन्न,,
रिन्यूएबल एनर्जी और रोजगार पर हुई गंभीर चर्चा,,
भेल नेता राजबीर सिंह ने श्रमिक हितों के लिए रखे ठोस सुझाव
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025
इंडस्ट्री ऑल ग्लोबल यूनियन द्वारा 28 और 29 जुलाई को आयोजित दो दिवसीय वर्कशॉप में वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य में तेजी से हो रहे बदलाव, रिन्यूएबल एनर्जी की ओर हो रहे संक्रमण और इससे उत्पन्न रोजगार संकट जैसे मुद्दों पर गहन विमर्श हुआ। कार्यक्रम में एशिया के विभिन्न देशों – भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल आदि – के ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों, औद्योगिक विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया।
भारत से इस महत्वपूर्ण वर्कशॉप में भेल के केंद्रीय नेता एवं ऑल इंडिया भेल एम्प्लाइज फेडरेशन (INTUC) के महामंत्री, INTUC के राष्ट्रीय सचिव तथा उत्तराखंड प्रदेश उपाध्यक्ष श्री राजबीर सिंह ने प्रमुखता से भागीदारी की और श्रमिकों से जुड़े मुद्दों पर स्पष्ट, मजबूत और दूरदर्शी सुझाव प्रस्तुत किए।
श्रमिकों के लिए ‘Just Transition’ की मांग
श्री राजबीर सिंह ने वर्कशॉप को संबोधित करते हुए कहा:
“आज हम ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहाँ तकनीकी बदलाव, ग्रीन एनर्जी की ओर वैश्विक झुकाव और निजीकरण की नीतियाँ मजदूरों के भविष्य को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में ट्रांजिशन केवल पर्यावरण के अनुकूल ही नहीं, बल्कि श्रमिकों के लिए न्यायसंगत भी होना चाहिए।”
उन्होंने विशेष रूप से भेल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की मौजूदा स्थिति और उन्हें कमजोर करने वाली नीतियों पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि सरकारों ने समय रहते समन्वित रणनीति नहीं अपनाई, तो यह लाखों श्रमिकों के लिए बेरोजगारी का कारण बन सकता है।
राजबीर सिंह के चार प्रमुख सुझाव
वर्कशॉप में राजबीर सिंह ने “Just Transition” को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित ठोस सुझाव दिए:
- ग्रीन ट्रांजिशन में श्रमिकों की भागीदारी
– नई ऊर्जा तकनीकों को अपनाने के दौरान ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों को भी निर्णायक प्रक्रिया में शामिल किया जाए। - री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग की व्यवस्था
– पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्रों के कर्मचारियों को रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे वे रोजगार से बाहर न हों। - सरकारी उपक्रमों को निजीकरण से बचाना
– विशेषकर भेल जैसे रणनीतिक संस्थानों को निजी हाथों में सौंपना बंद किया जाए और इनके पुनरुत्थान हेतु योजनाएं बनें। - “Just Transition” पर राष्ट्रीय नीति
– एक स्पष्ट राष्ट्रीय नीति बनाई जाए जो पर्यावरणीय और रोजगार दोनों लक्ष्यों में संतुलन बनाए।
एशियाई प्रतिनिधियों की एकजुट आवाज
इस वर्कशॉप में भाग लेने वाले अन्य देशों – श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश आदि – के प्रतिनिधियों ने भी इसी तरह की समस्याओं को रेखांकित किया और ‘समानांतर परिवर्तन’ की आवश्यकता को दोहराया। सभी प्रतिनिधियों का स्पष्ट मत था कि रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देना जरूरी है, लेकिन इसके नकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से मजदूरों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
इंडस्ट्री ऑल की वैश्विक पहल
इंडस्ट्री ऑल के प्रतिनिधियों ने वर्कशॉप के समापन पर आश्वासन दिया कि:
“जो भी सुझाव और चिंताएं इस वर्कशॉप में सामने आई हैं, उन्हें हम वैश्विक मंचों पर उठाएंगे और नीतिगत परिवर्तन के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों व सरकारों तक पहुँचाएंगे।”
भेल नेता की भूमिका को मिला सम्मान
इस वर्कशॉप में श्री राजबीर सिंह की भागीदारी और उनके द्वारा प्रस्तुत विचारों को श्रमिक हितों की दिशा में ठोस हस्तक्षेप माना गया। उनकी बातों ने यह स्पष्ट किया कि भारत जैसे विकासशील देशों के लिए ‘Just Transition’ न सिर्फ एक पर्यावरणीय जिम्मेदारी है, बल्कि सामाजिक न्याय का भी प्रश्न है।
इंडस्ट्री ऑल जैसे वैश्विक मंचों पर इस प्रकार की मुखर भागीदारी भारत की ट्रेड यूनियन ताकत को न केवल अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला रही है, बल्कि आगामी नीतियों को प्रभावित करने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही है।
रिपोर्ट: डेली लाइव उत्तराखं