एंकर पैनासोनिक कंपनी में श्रमिकों का फूटा ग़ुस्सा, सैलरी बढ़ोतरी और ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ शुरू हुआ जोरदार आंदोलन, शोषण के आरोपों से घिरी कंपनी, श्रमिकों ने प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार
श्रमिकों की पीड़ा: ठेकेदारी व्यवस्था में गुम अधिकार, कंपनी प्रबंधन मौन, श्रमिकों की चेतावनी – आंदोलन होगा और उग्र, प्रशासन से न्याय की अपील, औद्योगिक माहौल बिगड़ने की आशंका, श्रमिकों की आवाज़ को दबाना नहीं, समझना ज़रूरी

इन्तजार रजा हरिद्वार- एंकर पैनासोनिक कंपनी में श्रमिकों का फूटा ग़ुस्सा, सैलरी बढ़ोतरी और ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ शुरू हुआ जोरदार आंदोलन, शोषण के आरोपों से घिरी कंपनी, श्रमिकों ने प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार
श्रमिकों की पीड़ा: ठेकेदारी व्यवस्था में गुम अधिकार, कंपनी प्रबंधन मौन, श्रमिकों की चेतावनी – आंदोलन होगा और उग्र, प्रशासन से न्याय की अपील, औद्योगिक माहौल बिगड़ने की आशंका, श्रमिकों की आवाज़ को दबाना नहीं, समझना ज़रूरी
हरिद्वार – सिडकुल की एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माता एंकर पैनासोनिक कंपनी इन दिनों श्रमिकों के तीव्र आक्रोश और आंदोलन का सामना कर रही है। सोमवार को कंपनी के सैकड़ों श्रमिकों ने एकजुट होकर कार्य बहिष्कार कर दिया और फैक्ट्री गेट के बाहर प्रदर्शन करते हुए कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। श्रमिकों ने आरोप लगाया कि वर्षों से उन्हें न्यूनतम वेतन पर काम कराया जा रहा है, जबकि कंपनी निरंतर मुनाफा कमा रही है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे श्रमिकों ने कंपनी में जारी ठेकेदारी प्रथा को बंद करने, वेतन बढ़ाने और स्थायी नियुक्तियों की मांग की है।
श्रमिकों की पीड़ा: ठेकेदारी व्यवस्था में गुम अधिकार
प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों ने बताया कि वे वर्षों से एंकर कंपनी में काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें न तो स्थायी किया गया और न ही उन्हें कोई विशेष सुविधा दी गई। ठेके के माध्यम से भर्ती किए गए श्रमिकों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन उनसे लंबे समय तक ओवरटाइम कराता है, लेकिन भुगतान तय मानकों के अनुसार नहीं होता।
एक श्रमिक ने बताया, “हमारे काम का समय तय घंटे तय है, लेकिन हमें घंटों काम कराया जाता है। ठेकेदार हमें धमकाते हैं और छुट्टी मांगने पर नौकरी से निकालने की बात कहते हैं। हमें इंसान नहीं, मशीन समझा जाता है।”
श्रमिकों ने आरोप लगाया कि कंपनी में श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। शिकायत करने वालों को नौकरी से निकाल दिया जाता है या मानसिक दबाव डाला जाता है। इसी शोषण के खिलाफ अब उन्होंने आंदोलन का रास्ता चुना है।
कंपनी प्रबंधन मौन, श्रमिकों की चेतावनी – आंदोलन होगा और उग्र
कंपनी प्रबंधन ने अब तक इस आंदोलन पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं श्रमिकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो वे सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है। श्रमिक संघ के एक प्रतिनिधि ने बताया, “यह आंदोलन किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सैकड़ों मजदूरों का है। अगर हमें न्याय नहीं मिला तो हम भूख हड़ताल, धरना-प्रदर्शन और सिडकुल की अन्य फैक्ट्रियों से भी समर्थन जुटाकर आंदोलन को व्यापक बनाएंगे।” प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि वे केवल अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। उनका यह संघर्ष केवल वेतन की लड़ाई नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा की रक्षा का प्रयास है।
प्रशासन से न्याय की अपील, औद्योगिक माहौल बिगड़ने की आशंका
जैसे-जैसे आंदोलन तेज हो रहा है, औद्योगिक क्षेत्र में तनाव बढ़ता जा रहा है। सिडकुल में पहले भी श्रमिकों के असंतोष को लेकर प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन इस बार आंदोलन लंबा चलने की आशंका जताई जा रही है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा, जिससे कंपनी को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। जिला प्रशासन को अब इस मामले में हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित करने की जरूरत है। श्रमिकों ने प्रशासन से एक स्वतंत्र जांच कराने और कंपनी पर श्रम कानूनों के पालन का दबाव बनाने की मांग की है।
श्रमिकों की आवाज़ को दबाना नहीं, समझना ज़रूरी
यह आंदोलन सिर्फ वेतन या नियुक्ति का मामला नहीं है, बल्कि देश के औद्योगिक ढांचे में गहराते असमानता के संकट का आईना है। यदि श्रमिकों की जायज़ मांगों को समय रहते नहीं सुना गया, तो इससे न केवल कंपनी बल्कि पूरे क्षेत्र की औद्योगिक छवि को नुकसान हो सकता है।प्रशासन, प्रबंधन और श्रमिकों के बीच संवाद ही एकमात्र रास्ता है, जिससे इस संकट को सुलझाया जा सकता है। जरूरत है पारदर्शी जांच, श्रम कानूनों के सख्त पालन और श्रमिकों को उनका हक देने की।