तालाब और पंचायत भवन से बदलेगा सिरचन्दी का भविष्य, जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने किया स्थलीय निरीक्षण, दिए गुणवत्तापूर्ण निर्माण के निर्देश, मनरेगा से जल संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल, पंचायत भवन बनेगा ग्रामीण विकास का केंद्र

इन्तजार रजा हरिद्वार- तालाब और पंचायत भवन से बदलेगा सिरचन्दी का भविष्य,
जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने किया स्थलीय निरीक्षण, दिए गुणवत्तापूर्ण निर्माण के निर्देश,
मनरेगा से जल संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल, पंचायत भवन बनेगा ग्रामीण विकास का केंद्र
हरिद्वार जिले के विकासखंड भगवानपुर की ग्राम पंचायत सिरचन्दी में जल संरक्षण और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने मंगलवार को सिरचन्दी में लगभग 13 बीघा भूमि में मनरेगा के तहत बनाए जा रहे तालाब और निर्माणाधीन पंचायत भवन का स्थलीय निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण, समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से पूरे किए जाएं।
जल संकट की चुनौती से निपटने की ठोस पहल
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर में गिरावट, खेती के लिए पानी की कमी और गर्मियों में पेयजल संकट जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। ऐसे में सिरचन्दी गांव में 13 बीघा भूमि में तालाब का निर्माण एक दूरदर्शी कदम माना जा रहा है।
जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने तालाब के निर्माण कार्य का निरीक्षण करते हुए खंड विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि तालाब की खुदाई, गहरीकरण और सौंदर्यीकरण में किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। उन्होंने कहा कि “मनरेगा जैसी योजना का उद्देश्य केवल रोजगार सृजन नहीं, बल्कि दीर्घकालिक स्थायी ढांचों का निर्माण भी है। तालाब न केवल जल संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि गांव के लिए जलाशय, सिंचाई, मत्स्य पालन और जैव विविधता के संवर्धन का केंद्र बन सकता है।”
उन्होंने तालाब की परिधि में रेलिंग और इंटरलॉकिंग के कार्यों को भी गुणवत्ता के साथ पूर्ण करने के निर्देश दिए ताकि यह भविष्य में एक आकर्षक स्थल बन सके और ग्रामीणों के लिए बहुउद्देशीय उपयोग में आ सके।
पंचायत भवन: ग्रामीण विकास की धुरी
तालाब के निरीक्षण के बाद जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने निर्माणाधीन पंचायत भवन का भी जायजा लिया। उन्होंने ग्राम प्रधान और खंड विकास अधिकारी को स्पष्ट शब्दों में कहा कि पंचायत भवन किसी भी गांव के सर्वांगीण विकास की नींव होता है। पंचायत भवन ही वह स्थान है जहां से योजनाएं बनती हैं, बैठकों का संचालन होता है और प्रशासनिक कार्यों का संचालन होता है।
“अगर पंचायत भवन मजबूत, सुव्यवस्थित और आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा, तो यह गांव की योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने में मदद करेगा।” — जिलाधिकारी ने कहा।
उन्होंने निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता या लापरवाही से बचने के निर्देश देते हुए परिसर के चारों ओर पौधारोपण और बेहतर टाइल्स बिछाने के भी निर्देश दिए ताकि भवन आकर्षक और पर्यावरण अनुकूल हो।
बजट और निर्माण की जानकारी
खंड विकास अधिकारी भगवानपुर ने जिलाधिकारी को जानकारी दी कि सिरचन्दी में मनरेगा योजना के तहत लगभग 13 बीघा क्षेत्रफल में तालाब का निर्माण किया जा रहा है जिसकी लागत 14 लाख रुपये है। वहीं पंचायत भवन की निर्माण लागत 18 लाख रुपये है, जिसे राज्य सेक्टर की 15वीं वित्त योजना और मनरेगा के संयुक्त सहयोग से तैयार किया जा रहा है।
निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए ग्राम पंचायत, बीडीओ ऑफिस और जिला प्रशासन की त्रिस्तरीय निगरानी प्रणाली बनाई गई है ताकि कार्य की गति और गुणवत्ता दोनों सुनिश्चित हो सकें।
ग्रामीणों की सहभागिता और उम्मीदें
निरीक्षण के दौरान ग्राम प्रधान अरविंद, परियोजना निदेशक केएन तिवारी और अन्य ग्रामीण भी मौजूद रहे। ग्राम प्रधान ने कहा कि “यह तालाब सिरचन्दी की पहचान बनेगा। वर्षों से हमारे गांव में जल संरक्षण की जरूरत महसूस की जा रही थी। अब जाकर प्रशासन की ओर से ठोस कदम उठाया गया है।”
वहीं ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के निरीक्षण से उत्साहित होकर कहा कि गांव में पहली बार इतनी गंभीरता से विकास कार्य हो रहे हैं। पंचायत भवन और तालाब निर्माण से गांव की तस्वीर बदलेगी और युवाओं को भी रोजगार मिलेगा।
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव
इस योजना के तहत सिरचन्दी में न केवल जल संकट से राहत मिलेगी, बल्कि आसपास के पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। तालाब का निर्माण जैव विविधता के लिए अनुकूल वातावरण बनाएगा, जिससे पक्षी, मछलियां और अन्य जीवों की संख्या बढ़ेगी।
साथ ही पंचायत भवन के सुव्यवस्थित होने से सामाजिक कार्यों, सभाओं, बैठकों और ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रभावशाली मंच उपलब्ध होगा। यह ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद करेगा।
जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह का यह निरीक्षण प्रशासनिक तत्परता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का परिचायक है। सिरचन्दी जैसे गांव में जब जल संरक्षण और प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिलती है, तो यह न केवल स्थानीय विकास को गति देता है, बल्कि राज्य की विकास नीति को भी धरातल पर उतारने में सहायक होता है।
अब देखना होगा कि निर्धारित समयसीमा में यह कार्य पूरे होते हैं या नहीं, लेकिन ग्रामीणों और अधिकारियों में इस निरीक्षण के बाद जो ऊर्जा और भरोसा देखा गया, वह उम्मीद जगाने वाला है कि सिरचन्दी भविष्य में जल संरक्षण और पंचायत सशक्तिकरण का आदर्श मॉडल बन सकता है।