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राजस्थान के तारागढ़ में बुलडोज़र एक्शन से मच गया हड़कंप,, 268 अतिक्रमण चिन्हित,, पहले दिन ही 100 दुकानें ध्वस्त,, वन भूमि पर अवैध कब्ज़े हटाने का राजस्थान सरकार का सख्त संदेश: “अब अवैध कब्ज़ा नहीं, कानून चलेगा” तारागढ़ में ऐतिहासिक कार्रवाई: सुबह-सुबह सर्जिकल स्ट्राइक जैसी मुहिम

इन्तजार रजा हरिद्वार- राजस्थान के तारागढ़ में बुलडोज़र एक्शन से मच गया हड़कंप,,
268 अतिक्रमण चिन्हित,, पहले दिन ही 100 दुकानें ध्वस्त,,
वन भूमि पर अवैध कब्ज़े हटाने का राजस्थान सरकार का सख्त संदेश: “अब अवैध कब्ज़ा नहीं, कानून चलेगा”

तारागढ़ में ऐतिहासिक कार्रवाई: सुबह-सुबह सर्जिकल स्ट्राइक जैसी मुहिम

शनिवार सुबह ठीक 7 बजे राजस्थान के अजमेर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल तारागढ़ पहाड़ी पर ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। आमतौर पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों से गुलजार रहने वाला पैदल मार्ग अचानक प्रशासन, वन विभाग और पुलिस बल की भारी मौजूदगी से थर्रा उठा।

बड़ी संख्या में पहुंचे अधिकारी, मजदूर, पुलिस और बुलडोज़र मशीनों के साथ तारागढ़ की पहाड़ियों पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू हुई। पैदल रास्ते के दोनों ओर वर्षों से बनी कच्ची-पक्की दुकानों पर बुलडोज़र चलने लगे। देखते ही देखते सैकड़ों दुकानों का वजूद धूल में बदल गया। धूल का गुबार, मशीनों की गड़गड़ाहट और तेज़ आदेशों की गूंज ने पूरे वातावरण को एक सर्जिकल ऑपरेशन में बदल दिया।


268 दुकानों में 100 पर बुलडोज़र चला, 60 पर कोर्ट स्टे

तारागढ़ की पहाड़ी पर वन विभाग ने कुल 268 अतिक्रमण चिह्नित किए थे। इनमें से 60 दुकानों को फिलहाल नहीं छुआ गया क्योंकि उन पर कोर्ट से स्टे प्राप्त है। लेकिन बाकी 208 अवैध दुकानों पर कार्रवाई की तैयारी पूरी थी। पहले ही दिन 100 दुकानों को जमींदोज कर दिया गया।

इस बड़े ऑपरेशन के लिए न सिर्फ अजमेर बल्कि टोंक, भीलवाड़ा और नागौर से 250 वनकर्मियों को बुलाया गया। इसके साथ ही 900 से अधिक पुलिसकर्मियों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया। जिला प्रशासन के अधिकारी, बुलडोज़र ऑपरेटर और मजदूर पूरी सर्तकता के साथ कार्रवाई में लगे रहे।

वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, यह सभी दुकानें वर्षों से वन भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई थीं। कई बार नोटिस देने के बाद भी अतिक्रमण हटाने की बात को अनसुना किया गया, जिसके बाद अब ज़मीनी स्तर पर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया।


कलेक्टर का बयान: “कानूनी कार्रवाई, शांति व्यवस्था बनी हुई”

अजमेर कलेक्टर लोक बंधु ने कहा, “यह कार्रवाई पूरी तरह से नियमानुसार की जा रही है। किसी भी प्रकार की मनमानी या अवैध हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है। हमने छह अलग-अलग टीमें बनाई हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में कार्रवाई कर रही हैं। सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता है और शांति बनी हुई है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल अतिक्रमणकारियों के खिलाफ है, वैध दुकानदारों या श्रद्धालुओं को इससे कोई दिक्कत नहीं होगी।

प्रशासन ने मीडिया को现场 कवर करने की अनुमति नहीं दी, लेकिन फोटो और वीडियो खुद प्रशासन द्वारा साझा किए गए, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे और कानून के दायरे में हो।


तारागढ़ का संदेश स्पष्ट: अवैध कब्जे वालों की अब खैर नहीं

तारागढ़ का यह पैदल मार्ग केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं रहा, बल्कि एक लंबे समय से सैकड़ों दुकानदारों के लिए व्यापारिक केंद्र भी था। लेकिन इनमें से अनेक दुकानदारों ने वर्षों पूर्व बिना किसी अनुमति के वन भूमि पर अतिक्रमण कर दुकानें बना ली थीं। यह समस्या धीरे-धीरे एक स्थायी ढांचे में तब्दील हो गई थी।

अब सरकार और प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं। इस एक्शन का उद्देश्य सिर्फ दीवारें गिराना नहीं है, बल्कि एक कड़ा संदेश देना भी है कि सरकारी भूमि पर कब्जा करने की संस्कृति अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


अतिक्रमण हटाओ अभियान की गूंज: बुलडोज़र नहीं रुकेगा

राजस्थान सरकार की यह कार्यवाही राज्यभर में एक उदाहरण बनकर उभरी है। जिस तरह से भारी सुरक्षा बल और प्रशासनिक तैयारी के साथ अतिक्रमण हटाया गया, वह दर्शाता है कि अब “सिस्टम” नींद से जाग चुका है। यह सिर्फ तारागढ़ की कहानी नहीं है, बल्कि उन तमाम स्थलों के लिए चेतावनी है जहां अवैध कब्जे ने पांव पसारे हुए हैं।

तारागढ़ की पहाड़ियों पर आज जो आवाज़ें गूंजीं, वह सिर्फ बुलडोज़र की नहीं थीं, बल्कि एक नए प्रशासनिक युग की घोषणा थी — अब आस्था और कारोबार के नाम पर अवैध कब्ज़े नहीं चलेंगे। अब कानून चलेगा।

राजस्थान के तारागढ़ में जो कुछ हुआ वह केवल अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह सरकार और प्रशासन का एक निर्णायक संदेश था: “अब कोई भी व्यक्ति, संस्था या कारोबार वन भूमि या सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा नहीं कर सकेगा। श्रद्धा हो या व्यवसाय, सब कुछ कानून के दायरे में होगा।”

यह कार्रवाई आने वाले समय में राजस्थान में अतिक्रमण विरोधी मुहिम को नई दिशा देगी और न्याय के पक्ष में एक मजबूत उदाहरण बनेगी।

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