देहरादून में फैंसी नंबर का क्रेज: ‘0001’ VIP नंबर बिका रिकॉर्ड 13.77 लाख रुपये में, स्टेटस सिंबल के पीछे दीवानगी, करोड़पति कारोबारी ने वोल्वो के लिए खरीदा नंबर, परिवहन विभाग की आय में जबरदस्त इजाफा, आरटीओ बोले- फैंसी नंबरों को लेकर जबरदस्त उत्साह

इन्तजार रजा हरिद्वार- देहरादून में फैंसी नंबर का क्रेज: ‘0001’ VIP नंबर बिका रिकॉर्ड 13.77 लाख रुपये में,
स्टेटस सिंबल के पीछे दीवानगी, करोड़पति कारोबारी ने वोल्वो के लिए खरीदा नंबर,
परिवहन विभाग की आय में जबरदस्त इजाफा, आरटीओ बोले- फैंसी नंबरों को लेकर जबरदस्त उत्साह
देहरादून, 27 मई 2025
देहरादून में फैंसी गाड़ियों के साथ अब फैंसी नंबर भी तेजी से स्टेटस सिंबल बनते जा रहे हैं। इसका ताज़ा उदाहरण रविवार को तब देखने को मिला जब देहरादून परिवहन विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाईन बोली में ‘0001’ नंबर रिकॉर्ड 13 लाख 77 हजार रुपये में बिका। यह अब तक की सबसे ऊंची बोली है जो दून में किसी वीआईपी वाहन नंबर के लिए लगाई गई हो।
नंबर नहीं, पहचान है
‘0001’ नंबर को जीटीएम बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स नामक एक प्रतिष्ठित रियल एस्टेट कंपनी ने अपनी नई वोल्वो कार के लिए खरीदा है। इससे पहले अप्रैल 2024 में इसी नंबर की बोली 8 लाख 45 हजार रुपये तक पहुंची थी, जो अब तक की सबसे ऊंची कीमत मानी जा रही थी। लेकिन रविवार को यह रिकॉर्ड टूट गया और नया कीर्तिमान स्थापित हो गया।
देहरादून जैसे शहर में जहां लग्जरी गाड़ियों की भरमार है, वहीं लोग अपनी पहचान को और खास बनाने के लिए गाड़ियों के वीआईपी नंबरों पर बड़ी रकम खर्च करने से भी पीछे नहीं हट रहे। अब गाड़ी केवल आने-जाने का साधन नहीं रही, बल्कि स्टेटस का प्रतीक बन चुकी है।
क्या कहते हैं परिवहन अधिकारी
संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ प्रशासन) संदीप सैनी ने बताया कि इस बार ‘यूके07-एचसी’ सीरीज के कुल 25 फैंसी नंबरों की ऑनलाइन नीलामी की गई थी। इनमें सबसे ज्यादा आकर्षण ‘0001’ नंबर को लेकर था। सैनी के मुताबिक, “इस बार इस सीरीज के ‘0001’ नंबर ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। यह इस बात का संकेत है कि लोग अब फैंसी नंबर को लेकर बेहद उत्साहित हैं। इससे विभाग की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।”
सैनी ने आगे कहा, “ऑनलाइन बोली प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी की जाती है, जिसमें कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है। हर साल इस तरह की बोली में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। अब यह ट्रेंड बन गया है।”
मोबाइल नंबर से लेकर गाड़ी नंबर तक, हर जगह स्टेटस की दौड़
वीआईपी नंबर का क्रेज केवल गाड़ियों तक सीमित नहीं है। मोबाइल नंबरों के मामले में भी यही ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। टेलीकॉम कंपनियों के पास आए दिन लाखों की बोली लगने वाले गोल्डन और डबल/ट्रिपल डिजिट मोबाइल नंबरों की मांग रहती है। यह सब कुछ दर्शाता है कि आज के दौर में विशेष पहचान बनाना और भीड़ से अलग दिखना लोगों की प्राथमिकता बन चुकी है।
साइकोलॉजिस्ट्स और सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड समाज में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और दिखावे की प्रवृत्ति का परिणाम है। जहां व्यक्ति यह चाहता है कि लोग उसकी गाड़ी, नंबर और रहन-सहन से उसकी आर्थिक स्थिति और सामाजिक दबदबा पहचान लें।
करोड़ों के रेवेन्यू का जरिया बन रहा है फैंसी नंबर
देहरादून समेत उत्तराखंड के अन्य शहरों में भी फैंसी नंबरों को लेकर बढ़ते रुझान के चलते परिवहन विभाग को जबरदस्त राजस्व प्राप्त हो रहा है। विभाग के अनुसार, केवल विशेष नंबरों की बिक्री से हर साल लाखों रुपये की आय होती है, जो विभिन्न विकास कार्यों में काम आती है।
कुछ प्रमुख नंबरों की औसत कीमतें (यूके07-एचसी सीरीज): | फैंसी नंबर | अनुमानित बोली (₹) | |————|——————-| | 0001 | 13,77,000 | | 0005 | 2,80,000 | | 0007 | 3,10,000 | | 0099 | 1,45,000 | | 0786 | 1,75,000 |
विभागीय सूत्रों के अनुसार, कई फैंसी नंबरों की बोली में दिल्ली, पंजाब, और हरियाणा के कारोबारी भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भविष्य में इन नंबरों की कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं।
VIP नंबरों के पीछे कौन लोग हैं?
देहरादून में गाड़ियों के वीआईपी नंबरों की दौड़ में मुख्यतः रियल एस्टेट कारोबारी, होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोग, बड़े व्यापारी, डॉक्टर और वकील वर्ग सबसे आगे हैं। उनके लिए यह नंबर न केवल उनके व्यवसाय की प्रतिष्ठा दर्शाते हैं, बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि वे कितने प्रभावशाली हैं।
GTB बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स के एक प्रवक्ता ने बताया कि, “हमारा मानना है कि नंबर केवल पहचान नहीं, एक ब्रांडिंग टूल है। जब हमारी गाड़ी सड़कों पर निकले, तो लोग उसकी पहचान उसके नंबर से कर सकें, यही उद्देश्य है।”
समाज में क्या प्रभाव डाल रहा यह ट्रेंड?
जहां एक ओर वीआईपी नंबरों को लेकर समाज के उच्च वर्ग में उत्साह है, वहीं दूसरी ओर मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के बीच यह एक असमानता का प्रतीक भी बनता जा रहा है। सोशल एक्सपर्ट्स