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मौ सलीम की पहल, हरिद्वार पथरी जंगल के तालाबों मे पानी ना होने के कारण जगली जानवरों पक्षी आदि प्यासे रहते हैं इसे देखते हूए एक सामाजिक कार्यकर्ता मौ सलीम के द्वारा तालाबों मे फिर से ट्यूबवेल के माध्यम से पानी भरवाया गया कई वर्षों में इस मुहिम में जुटे मौ सलीम कहते हैं कि आपको भी जाहा लगे की पानी ना होने के कारणों से जानवरों व पक्षी आदि प्यासे हैं आप भी एसे नेक काम जरुर करें, जल सेवा सबसे बड़ी सेवा किसी का भला करके देखो अच्छा लगता है एक रिपोर्ट देखिए

इन्तजार रजा हरिद्वार-मौ सलीम की पहल, हरिद्वार पथरी जंगल के तालाबों मे पानी ना होने के कारण जगली जानवरों पक्षी आदि प्यासे रहते हैं इसे देखते हूए एक सामाजिक कार्यकर्ता मौ सलीम के द्वारा तालाबों मे फिर से ट्यूबवेल के माध्यम से पानी भरवाया गया कई वर्षों में इस मुहिम में जुटे मौ सलीम कहते हैं कि आपको भी जाहा लगे की पानी ना होने के कारणों से जानवरों व पक्षी आदि प्यासे हैं आप भी एसे नेक काम जरुर करें, जल सेवा सबसे बड़ी सेवा किसी का भला करके देखो अच्छा लगता है एक रिपोर्ट देखिए

हरिद्वार के पथरी जंगल क्षेत्र में जल संकट ने वहां के जानवरों और पक्षियों के लिए समस्या उत्पन्न कर दी थी। इस क्षेत्र के तालाबों में पानी की कमी हो गई थी, जिससे वन्यजीवों को पानी की तलाश में कठिनाई होने लगी थी। इस समस्या को समझते हुए एक सामाजिक कार्यकर्ता मौ सलीम ने इस दिशा में कदम उठाया और तालाबों में पानी भरने के लिए ट्यूबवेल का इस्तेमाल करना शुरू किया। यह पहल न केवल वन्यजीवों और पक्षियों के लिए वरदान साबित हुई, बल्कि पूरे समुदाय को भी जल संरक्षण की महत्ता को समझने का अवसर मिला।

मौ सलीम की यह मुहिम वर्षों से चल रही है, और उन्होंने यह साबित किया कि अगर व्यक्ति में समाज की भलाई की भावना हो, तो किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। उनका मानना है कि जल सेवा सबसे बड़ी सेवा है और यह केवल इंसानियत के लिए नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। जब जल स्रोतों का सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो यह न केवल इंसानों के लिए, बल्कि वन्यजीवों, पक्षियों और अन्य जीवों के लिए भी जीवनदायिनी बन जाता है। पथरी जंगल के तालाबों में पानी की कमी ने वहां के जीव-जंतुओं को भारी संकट में डाल दिया था। पक्षी अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकते थे, और जानवरों को पानी की तलाश में जंगल के अन्य हिस्सों में जाना पड़ता था, जो उनके जीवन के लिए खतरे का कारण बन सकता था। ऐसे में मौ सलीम ने तालाबों में पानी भरने के लिए ट्यूबवेल लगाने का निर्णय लिया, जिससे यह समस्या हल हो सके। ट्यूबवेल के माध्यम से जल आपूर्ति सुनिश्चित की गई, और यह न केवल जानवरों और पक्षियों के लिए, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुआ।

मौ सलीम के अनुसार, यह कार्य केवल एक शुरुआत है। वह मानते हैं कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर जल संरक्षण के प्रयास करें, तो हम जल संकट जैसी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उनका यह संदेश बहुत स्पष्ट है – “जल की सेवा सबसे बड़ी सेवा है।” जब तक हम जल का सही तरीके से उपयोग नहीं करेंगे, तब तक यह संकट और बढ़ेगा। हर किसी को जल के महत्व को समझना चाहिए और उसे बचाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

मौ सलीम का यह कार्य न केवल पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह समाज को भी जागरूक करने की एक कोशिश है। वह मानते हैं कि किसी का भला करके देखो, तो अच्छा लगता है। जब हम दूसरों के भले के लिए काम करते हैं, तो न केवल वे हमें सराहते हैं, बल्कि हम भी अंदर से संतुष्ट महसूस करते हैं। यह आत्मिक संतोष और समाज की भलाई की भावना ही सबसे बड़ी प्रेरणा होती है।

इस प्रकार, मौ सलीम की यह पहल न केवल पथरी जंगल के जानवरों और पक्षियों के लिए वरदान बनकर आई है, बल्कि यह पूरी समाज को यह समझने का अवसर देती है कि हम सभी को जल के महत्व को समझते हुए इसे बचाने और सही तरीके से उपयोग करने की दिशा में काम करना चाहिए। यही समय की आवश्यकता है कि हम जल के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और उसे संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करें।

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