दरगाह साबिर पाक नक्कारखाना क्षैत्र के अवैध कब्ज़ो पर पूर्व में लगे रेडक्रॉस चिन्ह आखिर कहां हो गए गायब: सफ़ेदपोश संरक्षण की गूंज,, प्रशासन, दरगाह प्रबंधन और वक्फ़ बोर्ड क्यों नहीं अलर्ट: अतिक्रमण पर सख़्त नज़र रखने की ज़रूरत सवालों के घेरे में सिस्टम,, धामी सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति की सराहना, कलियर में भी उसी सख़्ती की उम्मीद,, कलियर क्षैत्र में अतिक्रमण का मौजूदा हाल, प्रशासन और दरगाह प्रबंधन और वक्फ बोर्ड उत्तराखंड के सिस्टम पर सीधा सवाल

इन्तजार रजा हरिद्वार- दरगाह साबिर पाक नक्कारखाना क्षैत्र के अवैध कब्ज़ो पर पूर्व में लगे रेडक्रॉस चिन्ह आखिर कहां हो गए गायब: सफ़ेदपोश संरक्षण की गूंज,,
प्रशासन, दरगाह प्रबंधन और वक्फ़ बोर्ड क्यों नहीं अलर्ट: अतिक्रमण पर सख़्त नज़र रखने की ज़रूरत सवालों के घेरे में सिस्टम,,
धामी सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति की सराहना, कलियर में भी उसी सख़्ती की उम्मीद,,
कलियर क्षैत्र में अतिक्रमण का मौजूदा हाल, प्रशासन और दरगाह प्रबंधन और वक्फ बोर्ड उत्तराखंड के सिस्टम पर सीधा सवाल
हरिद्वार के कलियर क्षेत्र में स्थित दरगाह साबिर पाक के मुख्य गेट और नक्कारखाना क्षेत्र पर वर्षों से अवैध कब्ज़े बने हुए हैं। इन कब्ज़ों ने न केवल (जायरीनों) श्रद्धालुओं के आवागमन को बाधित किया है बल्कि दरगाह की गरिमा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासन,और दरगाह प्रबंधन छोटे-छोटे अतिक्रमण हटाकर फोटो खिंचवाने की बजाय, गेट के सामने और नक्कारखाना क्षेत्र में लंबे समय से कायम रसूखदार कब्जेदारों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह सीधे-सीधे प्रशासन, दरगाह प्रबंधन और वक्फ़ बोर्ड उत्तराखंड की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
प्रशासन और दरगाह प्रबंधन और वक्फ बोर्ड उत्तराखंड पर सीधा सवाल
बताया गया है कि दरगाह प्रबंधक ने कई बार ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को पूर्व में पत्र और रिपोर्टें भेजीं, कब्ज़े रेडक्रॉस चिन्हित हुए, लेकिन आज तक गेट के सामने की दुकानें और अवैध निर्माण जस के तस हैं। प्रशासन के निरीक्षण होते हैं, लेकिन आंखों के सामने बने कब्ज़े बरकरार रहते हैं। यानी निरीक्षण केवल हवा-हवाई
इस पूरे परिदृश्य ने यह संदेश दिया है कि या तो प्रशासन और दरगाह प्रबंधन और वक्फ बोर्ड उत्तराखंड की इच्छाशक्ति कमजोर है या फिर किसी स्तर पर समझौता किया जा रहा है। तीनों ही संस्थाएं अब सीधे अलर्ट पर हैं।
वक्फ़ बोर्ड उत्तराखंड की भूमिका पर भी देखें एक नज़र
दरगाह की जमीन वक्फ़ संपत्ति मानी जाती है, इसलिए वक्फ़ बोर्ड उत्तराखंड पर भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपनी संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ों की अनुमति न दे और समय रहते हस्तक्षेप करे।
आज तक वक्फ़ बोर्ड की ओर से इस नक्कारखाना क्षैत्र मामले में कोई कठोर पहल नहीं दिखी है। बोर्ड को भी अब इस पर गंभीरता से काम करने की ज़रूरत है और वह जनता की नज़रों में सीधा अलर्ट पर है।
धामी सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने राज्यभर में अवैध कब्ज़ों और माफ़िया-तत्वों पर “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति अपनाई है। हजारों एकड़ जमीन मुक्त कराई जा चुकी है और कई अवैध निर्माण ढहाए गए हैं।
कलियर क्षेत्र के लोग इस नीति की सराहना कर रहे हैं और यह देख रहे हैं कि क्या प्रशासन, दरगाह प्रबंधन और वक्फ़ बोर्ड इस नीति को नक्कारखाना क्षेत्र में भी लागू कर पाएंगे।
दरगाह साबिर पाक के नक्कारखाना क्षेत्र का अतिक्रमण अब केवल एक स्थानीय समस्या नहीं रह गया है; यह प्रशासन, दरगाह प्रबंधन और वक्फ़ बोर्ड उत्तराखंड – तीनों की कार्यशैली का आईना बन चुका है।
धामी सरकार की “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति ने राज्य में एक उदाहरण पेश किया है। उसी सख़्ती और पारदर्शिता की ज़रूरत कलियर के नक्कारखाना क्षेत्र में भी है ताकि वर्षों से चले आ रहे कब्ज़ों और सफ़ेदपोश संरक्षण की गूंज को समाप्त किया जा सके।