मुख्यमंत्री धामी की नई MSME नीति बनी उत्तराखण्ड की रीढ़, रोजगार, उद्योग और निवेश को मिल रही नई उड़ान रुका पलायन, बढ़ी खुशहाली: सशक्त उत्तराखण्ड की ओर अग्रसर राज्य

इन्तजार रजा हरिद्वार- मुख्यमंत्री धामी की नई MSME नीति बनी उत्तराखण्ड की रीढ़,
रोजगार, उद्योग और निवेश को मिल रही नई उड़ान
रुका पलायन, बढ़ी खुशहाली: सशक्त उत्तराखण्ड की ओर अग्रसर राज्य
उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से रही है—पलायन। बेहतर जीवन, शिक्षा और रोजगार की तलाश में हजारों लोग हर साल अपने गांवों को छोड़कर मैदानों और महानगरों की ओर रुख करते रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में 2023 में लागू की गई नई MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) नीति ने इस तस्वीर को बदलना शुरू कर दिया है। यह नीति उत्तराखण्ड को न केवल औद्योगिक निवेश का हॉटस्पॉट बना रही है, बल्कि युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार देकर पलायन को भी थाम रही है।
रोजगार के नए द्वार खोलती MSME नीति 2023
धामी सरकार द्वारा लागू की गई MSME नीति 2023 का मुख्य उद्देश्य है – स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए स्वरोजगार और लघु उद्योगों को बढ़ावा देना। इस नीति के तहत निम्नलिखित महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं:
- 25 प्रतिशत पूंजी अनुदान: नई इकाइयों को मशीनरी और निर्माण पर सरकार 25% तक पूंजी अनुदान दे रही है।
- 100% एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति: 5 वर्षों तक 100% SGST की प्रतिपूर्ति उद्यमियों को मिल रही है, जिससे उत्पादन लागत घट रही है।
- ब्याज सब्सिडी और विद्युत सब्सिडी: ऋण पर ब्याज दर में 6 प्रतिशत तक छूट तथा विद्युत दरों में रियायत दी जा रही है।
- महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन: इन वर्गों को अतिरिक्त अनुदान और प्रशिक्षण की सुविधा दी जा रही है।
इन प्रावधानों के चलते अब युवाओं का ध्यान रोजगार मांगने के बजाय रोजगार देने की ओर बढ़ रहा है। विभिन्न जिलों में सैकड़ों नए लघु एवं मध्यम उद्योग पंजीकृत हो चुके हैं, जिनमें खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा, पर्यटन आधारित इकाइयां, आयुर्वेदिक उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे शामिल हैं।
पलायन पर लगाम: गांवों में लौट रही रौनक
उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों जैसे पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर, उत्तरकाशी और टिहरी में वर्षों से खाली होते गांव अब फिर से आबाद हो रहे हैं। नई MSME नीति के तहत जब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों को औद्योगिक निवेश के लिए अनुकूल बनाया, तब लोगों ने अपने गांवों में छोटे उद्योग खोलना शुरू किया।
‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) योजना से जुड़कर युवा स्थानीय उत्पादों जैसे मडुवा, झंगोरा, माल्टा, औषधीय पौधों और हस्तशिल्प को बाजार तक पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज स्कीम (PMFME) जैसी योजनाओं को MSME नीति से समन्वयित कर नीति को और अधिक प्रभावी बनाया गया है।
उदाहरण:
- चमोली जिले में 36 युवाओं ने मिलकर हर्बल और मसालों की यूनिट स्थापित की है, जो प्रत्यक्ष रूप से 100 लोगों को रोजगार दे रही है।
- उत्तरकाशी में महिलाओं की स्वयं सहायता समूहों द्वारा ‘माल्टा जूस’ उत्पादन इकाई शुरू की गई है, जो राज्य के बाहर भी उत्पाद भेज रही है।
निवेशकों की पसंद बनता उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड अब निवेशकों के लिए सिर्फ एक धार्मिक और पर्यटक स्थल नहीं रहा, बल्कि एक सशक्त उद्योगिक गंतव्य बन चुका है। MSME नीति के चलते राज्य में निवेश का वातावरण सुदृढ़ हुआ है। सरकार द्वारा ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ शुरू करने से उद्यमियों को लाइसेंस, पंजीकरण और स्वीकृति प्राप्त करने में सहूलियत हो रही है।
धामी सरकार का स्पष्ट संदेश है—“सरल नीतियां, ईमानदार शासन और उद्योगों के लिए उत्तरदायी प्रशासन।” यही कारण है कि अब राज्य को MSME सेक्टर में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
डिजिटल उत्तराखण्ड, सशक्त उत्तराखण्ड
धामी सरकार ने औद्योगिक विकास को केवल शहरी तक सीमित नहीं रखा, बल्कि डिजिटल कनेक्टिविटी, स्किल डेवलपमेंट और क्लस्टर आधारित विकास मॉडल के ज़रिये गांवों को भी इससे जोड़ा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अनुरूप, यह नीति उत्तराखण्ड को ‘सशक्त उत्तराखण्ड @25’ की ओर ले जा रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की MSME नीति 2023 ने उत्तराखण्ड में औद्योगिक क्रांति की नींव रख दी है। यह नीतिगत बदलाव न केवल रोजगार, निवेश और उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि राज्य के हजारों युवाओं को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराकर ‘पलायन’ को ‘प्रवास’ में बदल रहे हैं। यदि इसी दिशा में सरकार आगे बढ़ती रही, तो निकट भविष्य में उत्तराखण्ड आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक दृष्टि से देश के सबसे तेज़ी से बढ़ते राज्यों में शामिल हो जाएगा