आपातकाल: लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात,, हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित ‘आपातकाल दिवस गोष्ठी’ में बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,, लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान को किया नमन, कहा – ‘जनभागीदारी ही आज के भारत की सबसे बड़ी ताकत’

इन्तजार रजा हरिद्वार- आपातकाल: लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात,,
हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित ‘आपातकाल दिवस गोष्ठी’ में बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,,
लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान को किया नमन, कहा – ‘जनभागीदारी ही आज के भारत की सबसे बड़ी ताकत’
देहरादून, 25 जून 2025
हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, देहरादून में आयोजित ‘आपातकाल दिवस गोष्ठी’ को संबोधित करते हुए उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने 25 जून 1975 को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन बताया। उन्होंने कहा कि उस समय सत्ता के लोभ में, तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा संविधान की मूल भावना का गला घोंटते हुए देश पर आपातकाल थोप दिया गया था।
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव जी तथा भाजपा उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष श्री महेन्द्र भट्ट जी भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“25 जून 1975 को सत्ता बचाने के लिए लगाए गए आपातकाल ने लोकतंत्र की आत्मा को कुचल दिया था। उस अंधकारमय समय में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी, लालकृष्ण आडवाणी जी जैसे अनेकों लोकतंत्र सेनानियों ने जेलों की यातनाएं सहीं, लेकिन लोकतंत्र की ज्योति को बुझने नहीं दिया।“
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज जनभागीदारी आधारित लोकतंत्र की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है। भाजपा सरकार लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान, गौरव और अधिकारों की रक्षा के लिए कृतसंकल्पित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सिर्फ संविधान में लिखे शब्द नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है।
“आज की पीढ़ी को यह जानना और समझना बेहद ज़रूरी है कि किस तरह एक समय देश को संविधान के विरुद्ध चलाया गया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई और आम नागरिकों के अधिकारों का हनन किया गया। यह स्मरण हमें लोकतंत्र की कीमत और उसके रक्षकों के संघर्ष को कभी न भूलने का संकल्प देता है।“
कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव जी ने कहा कि आपातकाल का दौर भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा थी, जिसे भारतीय जनता ने अंततः जीत लिया।
“लोकतंत्र सेनानियों का संघर्ष आज भी हम सभी को प्रेरित करता है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और सत्ता को कभी भी संविधान से ऊपर नहीं रखा जा सकता।“
प्रदेश अध्यक्ष श्री महेन्द्र भट्ट ने कहा कि भाजपा न केवल आपातकाल के विरोध में खड़ी रही, बल्कि लोकतंत्र की पुनः स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आज भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता में वही भावना जीवित है – राष्ट्र पहले, व्यक्ति बाद में।
इस अवसर पर कई वरिष्ठ लोकतंत्र सेनानियों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों एवं युवाओं ने भी अपने विचार रखे और आपातकाल के दमनकारी दौर की स्मृतियों को साझा किया।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने लोकतंत्र रक्षकों को सम्मानित करते हुए कहा कि
“हम उनके संघर्ष को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि लोकतंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना जनसेवा के हर स्तर पर बनी रहे।“
यह लेख राजनीतिक संतुलन बनाए रखते हुए आपातकाल के ऐतिहासिक संदर्भ को वर्तमान राजनीति से जोड़ता है और लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान को केंद्र में रखता है। यदि आप इसे प्रेस विज्ञप्ति के रूप में भेजना चाहें तो मैं एक संक्षिप्त संस्करण भी तैयार कर सकता हूँ।