कांवड़ मेले को लेकर इंटरस्टेट समन्वय बैठक सम्पन्न,, सुरक्षा, सुविधा और समन्वय को लेकर तय हुए अहम दिशा-निर्देश,, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में जुटे पांच राज्यों के उच्चाधिकारी

इन्तजार रजा हरिद्वार- कांवड़ मेले को लेकर इंटरस्टेट समन्वय बैठक सम्पन्न,,
सुरक्षा, सुविधा और समन्वय को लेकर तय हुए अहम दिशा-निर्देश,,
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में जुटे पांच राज्यों के उच्चाधिकारी
इन्तजार रज़ा, हरिद्वार।
हरिद्वार में आगामी कांवड़ मेले को सफल, सुरक्षित और श्रद्धालु-केन्द्रित बनाने के उद्देश्य से 27 जून को सीसीआर सभागार में इंटरस्टेट समन्वय समिति की बैठक का आयोजन हुआ। इस उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता उत्तराखंड के मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने की, जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से प्रतिभाग किया।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने बैठक में कहा कि कांवड़ मेला एक विशाल जनसैलाब के साथ श्रद्धा और आस्था का पर्व है, जिसे सुचारु संचालन के लिए बहुस्तरीय तैयारियों और अंतरराज्यीय समन्वय की आवश्यकता है। उन्होंने संबंधित सभी विभागों और राज्यों से रियल टाइम सूचनाओं के आदान-प्रदान, प्रभावी ट्रैफिक प्रबंधन और कानून-व्यवस्था के लिए हर स्तर पर सतर्कता बरतने की बात कही।
तकनीक आधारित तैयारियों पर जोर, कुंभ की दिशा में भी बढ़े कदम
बैठक में मुख्य सचिव बर्द्धन ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी 2025 कुंभ मेला को ध्यान में रखते हुए कांवड़ मेले की व्यवस्थाएं एक मॉडल के रूप में तैयार की जाएं। उन्होंने कहा कि “मेले में आधुनिक तकनीक जैसे सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन सर्वे, ट्रैफिक ऐप्स और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग का भरपूर इस्तेमाल किया जाए ताकि भीड़ नियंत्रण और निगरानी आसान हो सके।”
उन्होंने भेल क्षेत्र को वैकल्पिक पार्किंग के रूप में उपयोग करने के निर्देश भी दिए और कहा कि श्रद्धालुओं की सहूलियत को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने ढाबों और होटलों में अनिवार्य रेट लिस्ट चस्पा करने और सुरक्षा मानकों के पालन की सख्ती से निगरानी करने की बात कही।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिए एक यूनिफाइड रणनीति बने और ‘फेक न्यूज कंट्रोल सेंटर’ की कार्यवाही पारदर्शी ढंग से राज्यों के साथ साझा हो।
डीजीपी दीपम सेठ ने कहा— हर आयोजन एक नई चुनौती, संयोजन ही सफलता की कुंजी
उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी दीपम सेठ ने बैठक में स्पष्ट किया कि कांवड़ जैसे आयोजनों में एक छोटी सी चूक भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है, इसलिए हर मोर्चे पर रियल टाइम प्रतिक्रिया के लिए एक जॉइंट ऑपरेशनल सेल काम करे। उन्होंने कहा कि—
“अफवाहों का तत्काल खंडन हो, प्रशिक्षित पुलिस बल ही एक-दूसरे राज्यों में भेजे जाएं, और यात्रा मार्गों पर ‘क्या करें – क्या न करें’ जैसी सूचनाएं सार्वजनिक स्थानों पर बड़े फॉन्ट में प्रदर्शित की जाएं।”
डीजीपी सेठ ने यह भी निर्देश दिए कि डीजे साउंड, शराब, मीट इत्यादि पर बनी एसओपी का कड़ाई से पालन हो, और 10 फीट से ऊंची कांवड़ों को प्रतिबंधित किया जाए।
हर राज्य ने साझा की अपनी तैयारियां, उत्तर प्रदेश की प्रस्तुति रही प्रभावी
बैठक में उत्तर प्रदेश की ओर से डीआईजी अभिषेक सिंह ने विस्तृत यात्रा प्लान और वर्तमान तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस बार राज्य सरकार सभी सीमावर्ती जनपदों में विशेष पुलिस टीमों की तैनाती करेगी जो उत्तराखंड प्रशासन के साथ समन्वय में काम करेंगी।
उत्तराखंड की ओर से जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने कांवड़ यात्रा मार्ग, यात्री प्रतिशत, पार्किंग की स्थिति, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग, ट्रैफिक प्लान, आपदा प्रबंधन और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारियों की प्रस्तुति दी। प्रेजेंटेशन में स्पष्ट किया गया कि—
- हरिद्वार में 20 से अधिक अस्थाई पार्किंग स्थल
- 300 से ज्यादा CCTV कैमरों की निगरानी
- AI आधारित ट्रैफिक सेंसर, और
- 24×7 हेल्पलाइन नंबरों की तैनाती की योजना है।
नियंत्रण, निगरानी और एक्शन की त्रिस्तरीय नीति बनी
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि—
- सभी आवश्यक सुरक्षात्मक सूचनाएं रियल टाइम साझा होंगी।
- सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग के लिए एक अलग नियंत्रण कक्ष बनेगा।
- फेक न्यूज, अफवाह या भड़काऊ पोस्ट पर तुरंत कार्यवाही होगी।
- डीजे संचालन के लिए मान्यता प्राप्त संचालकों को ही अनुमति मिलेगी।
- भेल सहित सभी वैकल्पिक पार्किंग स्थलों की स्थिति उत्तर प्रदेश को समय-समय पर बताई जाएगी।
- श्रद्धालुओं को भ्रमित करने वाली गतिविधियों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी।
कांवड़ मेला—केवल धार्मिक यात्रा नहीं, राज्य के लिए लॉजिस्टिक चैलेंज
यह बात भी सामने आई कि कांवड़ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि लॉजिस्टिक मैनेजमेंट की परीक्षा है। इसमें लाखों श्रद्धालु केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से आते हैं और यह सड़क, परिवहन, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, स्वच्छता और पुलिसिंग से जुड़ी तमाम एजेंसियों की सामूहिक परीक्षा बन जाती है।
सुरक्षा के मोर्चे पर विशेष बल—
RPF, SDRF, PAC, QRT, और ट्रैफिक पुलिस की विशेष तैनाती सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही नारी शक्ति पुलिस और महिला हेल्प डेस्क को यात्रा मार्ग पर विशेष भूमिका दी जाएगी।
बैठक में मौजूद रहे सभी राज्यों के अधिकारी
इस अहम बैठक में विभिन्न राज्यों से निम्न अधिकारी शामिल हुए:
उत्तराखंड से
- एडीजी व मुरुगेशन
- मंडलायुक्त विनय शंकर पाण्डे
- आईजी निलेश आनंद भरणे
- आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप
- एनएस नपलच्याल
- डीआईजी धीरेन्द्र गुंज्याल
- आईजी कृष्ण कुमार वी.के.
- एसएसपी देहरादून अजय सिंह
- मेलाधिकारी सोनिका
- अपर सचिव लोनिवि विनीत कुमार
- शहरी विकास ललित नारायण मिश्र
उत्तर प्रदेश से
- एडीजे भानु भास्कर
- सचिव गृह मोहित गुप्ता
- कमिश्नर मेरठ ऋषिकेश भास्कर यशोद
- कमिश्नर बरेली सौम्य अग्रवाल
- कमिश्नर सहारनपुर ए.के. राय
- डीआईजी सहारनपुर अभिषेक सिंह
- आईजी आरपीएफ पंकज गंगवार
अन्य राज्यों से
दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के भी संबंधित विभागों के प्रतिनिधि ऑनलाइन माध्यम से बैठक में जुड़े और समन्वय को लेकर सहमति जताई।
सामूहिक प्रयास से होगा आयोजन सफल
इस इंटरस्टेट समन्वय बैठक से साफ है कि हरिद्वार कांवड़ मेला अब केवल धार्मिक आस्था का आयोजन नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक, लॉजिस्टिक और तकनीकी प्रबंधन का उदाहरण बनने की दिशा में है। मुख्य सचिव की दूरदृष्टि, पुलिस और प्रशासन की सक्रियता, तथा पांचों राज्यों की भागीदारी इस मेले को शांतिपूर्ण और सफल बनाएगी—ऐसी उम्मीद की जा सकती है।