धामी सरकार का निर्णायक रुख: जनहित, विकास और सुधार के मिले स्पष्ट संकेत नदी संरक्षण से महिला कल्याण तक—कैबिनेट ने लिए 6 ऐतिहासिक फैसले, अब उत्तराखंड की प्रशासनिक संरचना में दिखेगा नवाचार और पारदर्शिता का असर

इन्तजार रजा हरिद्वार- धामी सरकार का निर्णायक रुख: जनहित, विकास और सुधार के मिले स्पष्ट संकेत
नदी संरक्षण से महिला कल्याण तक—कैबिनेट ने लिए 6 ऐतिहासिक फैसले,
अब उत्तराखंड की प्रशासनिक संरचना में दिखेगा नवाचार और पारदर्शिता का असर
देहरादून, 11 जून 2025 –
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड के विकास, संरचनात्मक सुदृढ़ीकरण और नागरिक हितों की दिशा में छह बड़े फैसले लिए गए। इन निर्णयों में जैव प्रौद्योगिकी परिषद के ढांचे में बदलाव से लेकर महिला एवं बाल बहुमुखी सहायता कोष के सुदृढ़ीकरण तक व्यापक पहलुओं को शामिल किया गया।
नीति, नवाचार और जनहित के अद्भुत संतुलन के साथ इस बैठक में राज्य के भविष्य को दिशा देने वाले निर्णय लिए गए हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कैबिनेट के इन सभी 6 फैसलों की संपूर्ण जानकारी:
1. उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद के ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव
राज्य सरकार ने “उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद” के विभागीय ढांचे में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी है। पहले से स्वीकृत 46 पदों को यथावत रखते हुए विभागीय ढांचे को अधिक व्यावहारिक और एकीकृत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।
अब देहरादून और पंतनगर स्थित केंद्रों के पदों को एकीकृत कर एकल संवर्ग में रखा जाएगा। इससे कर्मचारियों की नियुक्ति, स्थानांतरण और कार्य क्षमता में स्पष्टता आएगी। इस निर्णय से उत्तराखंड में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में युवाओं को नए अवसर मिलेंगे और राज्य की वैज्ञानिक शक्ति को मजबूत आधार मिलेगा।
2. भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में 18 नए पदों का सृजन
बागेश्वर जनपद के प्रभावित गांवों में भू-धंसाव और जल स्रोतों के सूखने जैसे गंभीर मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत खनिकर्म विभाग में 18 नए पदों का सृजन किया गया है। इस कदम से भूगर्भीय आपदाओं की रोकथाम, त्वरित जांच और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को मजबूत किया जा सकेगा।
यह निर्णय राज्य के पर्यावरणीय और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने में निर्णायक साबित हो सकता है, खासकर पहाड़ी इलाकों में जहां प्राकृतिक आपदाएं बड़ी चुनौती हैं।
3. आसन नदी के दोनों किनारों पर अधिसूचना: नदी संरक्षण की दिशा में निर्णायक पहल
राज्य सरकार ने देहरादून जिले के सदर और विकासनगर तहसीलों में बहने वाली आसन नदी के दोनों तटों को लेकर अंतिम अधिसूचना जारी करने का निर्णय लिया है। लगभग 53 किलोमीटर लंबी इस नदी के किनारों पर बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण की अधिसूचना एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन में जारी की गई।
अब इन क्षेत्रों में कुछ प्रतिबंधित निर्माणों को छोड़कर एसटीपी, रोपवे टावर, मोबाइल टावर, हाई टेंशन लाइन और एलिवेटेड रोड जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को अनुमति दी जाएगी। यह फैसला जहां पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की पहल है, वहीं अवस्थापना विकास के लिए भी जरूरी समझा जा रहा है।
4. लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवनों का पीपीपी मोड में मुद्रीकरण
लोक निर्माण विभाग के चयनित 5 निरीक्षण भवनों—रानीखेत, उत्तरकाशी, दुग्गलबिट्टा, हर्षिल और ऋषिकेश—का पीपीपी मोड में संचालन कर मुद्रीकरण (Monetization) किया जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए यूआईआईडीबी (उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बोर्ड) को अधिकृत किया गया है।
शर्त यह है कि भूमि का स्वामित्व पीडब्ल्यूडी के पास रहेगा और यूआईआईडीबी केवल ट्रांजैक्शन एडवाइजर के रूप में कार्य करेगा। इससे पर्यटकों को बेहतर आवास सुविधाएं मिलेंगी, विभाग को आय का नया स्रोत मिलेगा और संपत्ति का रख-रखाव भी सुदृढ़ होगा।
5. राज्य में बनेगी Allied & Healthcare Professions की समन्वित परिषद
“नेशनल कमिशन फॉर Allied & Healthcare Profession Act-2021” के तहत उत्तराखंड में Allied and Healthcare Professions की समन्वित परिषद गठित की जाएगी। यह परिषद राज्य में पैरामेडिकल शिक्षा और सेवाओं की मानकीकरण, पंजीकरण की पारदर्शिता, अंतरराज्यीय मान्यता और पेशेवर नैतिकता की निगरानी करेगी।
अब तक राज्य में पैरामेडिकल कोर्स की डिग्री और डिप्लोमा के लिए अलग-अलग नियामक थे। इस एकीकृत परिषद के गठन से न केवल संस्थानों को मार्गदर्शन मिलेगा, बल्कि छात्रों और पेशेवरों को भी अधिक सुविधा और समानता मिलेगी।
6. महिला एवं बाल सहायता कोष को कॉर्पस फंड में बदलेगी सरकार
मुख्यमंत्री महिला एवं बाल बहुमुखी सहायता निधि को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने बड़ी घोषणा की है। विदेशी मदिरा एवं बियर पर उपकर (सेस) से प्राप्त धनराशि अब कॉर्पस फंड में डाली जाएगी और इससे उत्तराखंड महिला एवं बाल विकास समिति के माध्यम से योजनाएं संचालित होंगी।
इस निधि से राज्य की अनाथ बच्चियों, निराश्रित महिलाओं, वृद्ध महिलाओं और आपदाग्रस्त परिवारों को सहारा मिलेगा। यह फंड ‘गैप फिलिंग’ के साथ-साथ नवाचार योजनाओं को लागू करने में भी सहायक होगा। समाज के कमजोर वर्गों के लिए यह एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा कवच सिद्ध होगा।
धामी कैबिनेट के यह फैसले केवल प्रशासनिक सुधार या विभागीय प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनमें राज्य के पर्यावरण, शिक्षा, समाज कल्याण, स्वास्थ्य और पर्यटन विकास की गहरी सोच झलकती है।
हर निर्णय के पीछे एक व्यापक दृष्टिकोण है—उत्तराखंड को एक सुशासित, समावेशी और प्रगतिशील राज्य बनाने का।
बाढ़ क्षेत्र अधिसूचना हो या महिला सहायता फंड का नवाचार, जैव प्रौद्योगिकी ढांचे में एकरूपता हो या पैरामेडिकल शिक्षा की समन्वित परिषद—प्रत्येक फैसला राज्य की भावी पीढ़ियों के लिए मजबूत नींव रख रहा है।
📌 विशेष अपील “Daily Live Uttarakhand” के पाठकों से:
राज्य सरकार की इन पहलों पर आपकी भी जिम्मेदारी बनती है कि आप इन नीतियों की जानकारी अपने गांव, मोहल्लों और संस्थानों तक पहुंचाएं। सतर्क रहें, जागरूक बनें और अपने अधिकारों व अवसरों का सदुपयोग करें। केवल आलोचना नहीं, सहयोग और रचनात्मक भागीदारी से ही राज्य समृद्ध बनेगा।
– इन्तज़ार रज़ा, विशेष संवाददाता
Daily Live Uttarakhand