बौल्या काका” के पोस्टर का सीएम धामी ने किया विमोचन,, उत्तराखण्ड की वादियों में बनी फिल्म से जुड़े कलाकारों को मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं,, फिल्म नीति के जरिए प्रदेश को बना रहे हैं फिल्म मेकिंग का ग्लोबल हब: मुख्यमंत्री

इन्तजार रजा हरिद्वार- “बौल्या काका” के पोस्टर का सीएम धामी ने किया विमोचन,,
उत्तराखण्ड की वादियों में बनी फिल्म से जुड़े कलाकारों को मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं,,
फिल्म नीति के जरिए प्रदेश को बना रहे हैं फिल्म मेकिंग का ग्लोबल हब: मुख्यमंत्री
देहरादून, 04 अगस्त 2025।
उत्तराखण्ड की सुदूर वादियों में फिल्माए गए सौंदर्य और संस्कृति से परिपूर्ण चलचित्र “बौल्या काका” के पोस्टर का भव्य विमोचन आज मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सचिवालय स्थित सभागार में किया गया। इस अवसर पर फिल्म से जुड़ी पूरी टीम, राज्य के अधिकारीगण और मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित रहे। फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता हेमंत पाण्डेय, जिनकी अभिनय शैली को देशभर में सराहा गया है।
यह फिल्म न केवल एक सांस्कृतिक दस्तावेज है, बल्कि उत्तराखण्ड की नई फिल्म नीति के अंतर्गत प्रदेश को फिल्म जगत की नई मंज़िल बनाने की दिशा में एक और सफल प्रयास भी है।
ग्वालदाम, थराली और तलवाड़ी बनी शूटिंग की लोकेशन, फिल्म से जुड़े कलाकारों ने बताया अनुभव
फिल्म बौल्या काका की शूटिंग उत्तराखण्ड के खूबसूरत और अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध क्षेत्रों ग्वालदाम, थराली और तलवाड़ी में की गई है। यह फिल्म स्थानीय जनजीवन, प्रकृति और पारंपरिक मूल्यों को सजीव रूप में प्रस्तुत करती है।
फिल्म के निर्माता और निर्देशक ने बताया कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों में शूटिंग के दौरान उन्हें स्थानीय लोगों का भरपूर सहयोग मिला। साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई लॉजिस्टिक सपोर्ट, परमिट प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थानीय प्रशासन का सहयोग शूटिंग प्रक्रिया को सहज और आनंददायक बनाने में अत्यंत सहायक रहा।
फिल्म नीति बनी राज्य का ताकतवर औजार, शूटिंग से बढ़ा पर्यटन और रोजगार
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर फिल्म बौल्या काका की पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि,
“उत्तराखण्ड सरकार का लक्ष्य प्रदेश को फिल्म निर्माण का पसंदीदा डेस्टिनेशन बनाना है। इससे न केवल पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उत्तराखण्ड की संस्कृति, लोकजीवन और प्राकृतिक संपदा को वैश्विक मंच मिलेगा।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू की गई “नई फिल्म नीति” के तहत राज्य में फिल्मों की शूटिंग करने वाले निर्माताओं को सब्सिडी, टैक्स में छूट, स्थानीय सहयोग और लॉजिस्टिक सहायता जैसे कई प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
सरकार उन निर्माताओं को विशेष सब्सिडी देती है जो:
- राज्य की कम पॉपुलर लोकेशनों पर शूटिंग करते हैं (5% अतिरिक्त सब्सिडी)
- स्थानीय कलाकारों को प्रमुखता देते हैं
- स्थानीय संस्कृति या विषयों पर आधारित फिल्में बनाते हैं
फिल्म निर्माण से उत्तराखण्ड की ब्रांडिंग और अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई फिल्म नीति लागू होने के बाद राज्य में फिल्मों की शूटिंग का ग्राफ हर साल तेजी से बढ़ रहा है। अब राज्य न केवल बड़े बैनरों की फिल्मों की पसंद बन रहा है, बल्कि वेब सीरीज, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स और लोकल फिल्म प्रोजेक्ट्स के लिए भी प्रमुख केंद्र बन चुका है।
“हमारा प्रयास है कि उत्तराखण्ड को फिल्म मेकिंग हब के रूप में स्थापित किया जाए। इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, ट्रेनिंग सेंटर, फिल्म सिटी जैसी योजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। फिल्मों के जरिए राज्य की सकारात्मक ब्रांडिंग भी हो रही है, जिससे पर्यटन और निवेश दोनों में वृद्धि देखी जा रही है।” — मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
अपर सचिव बंशीधर तिवारी समेत फिल्म से जुड़ी टीम रही मौजूद
कार्यक्रम के दौरान अपर सचिव श्री बंशीधर तिवारी, फिल्म के निर्देशक, निर्माता, अभिनेता हेमंत पाण्डेय समेत फिल्म की पूरी टीम मंच पर उपस्थित रही। फिल्म टीम ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड की नई फिल्म नीति ने उन्हें यह अवसर दिया कि वे राज्य की सांस्कृतिक विरासत को व्यापक दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर सकें।
निर्देशक ने कहा कि,
“हमने बौल्या काका में उत्तराखण्ड के आम जनजीवन, प्राकृतिक परिवेश, लोकसंस्कृति और हास्य से जुड़े पक्षों को सहजता के साथ दर्शाया है। उम्मीद है कि यह फिल्म दर्शकों को न केवल हँसाएगी, बल्कि सोचने को भी मजबूर करेगी।”
स्थानीय युवाओं और कलाकारों के लिए नए अवसर
राज्य सरकार की फिल्म नीति स्थानीय युवाओं को भी फिल्म इंडस्ट्री से जोड़ने का मंच बना रही है। कैमरा असिस्टेंट, मेकअप आर्टिस्ट, लोक कलाकार, ड्रोन ऑपरेटर, गाइड, वाहन चालकों जैसे रोजगारों में कई युवाओं को अवसर मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भविष्य में आने वाली फिल्मों में उत्तराखण्ड के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों से प्रशिक्षित युवाओं को प्राथमिकता दी जाए। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि फिल्मों की सहायता से राज्य की पारंपरिक बोलियों, जैसे गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी आदि को संरक्षित और प्रचारित किया जा सकता है।
संस्कृति, पर्यटन और रोजगार का मिलन बिंदु बना फिल्म उद्योग
बौल्या काका जैसी फिल्मों के माध्यम से उत्तराखण्ड अब “फिल्म-पर्यटन-संस्कृति” के त्रिकोण में सशक्त रूप से उभर रहा है। राज्य सरकार की दूरदर्शी नीतियों और स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा के बलबूते यह संभव हो पाया है।
फिल्म के पोस्टर विमोचन अवसर पर मौजूद सभी अतिथियों और अधिकारियों ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य में भी राज्य से इस तरह की फिल्मों का निर्माण होते रहना चाहिए, जो जन-जन को जोड़ें और प्रदेश की आत्मा को पर्दे पर उतार सकें।