भूपतवाला से कांग्रेस का बिगुल, गणेश गोदियाल ने दिया ‘बूथ फतह’ का मंत्र, हरीश रावत ने उठाया पीओके मुद्दा, 2027 के लिए संगठनात्मक तैयारी और राष्ट्रवादी सोच का संगम,शिक्षा, रणनीति और प्रशिक्षण का संगम, हरिद्वार से उठी राष्ट्रीय मुद्दों की गूंज, बूथ से भारत तक : कांग्रेस की रणनीति

इन्तजार रजा हरिद्वार- भूपतवाला से कांग्रेस का बिगुल,
गणेश गोदियाल ने दिया ‘बूथ फतह’ का मंत्र, हरीश रावत ने उठाया पीओके मुद्दा,
2027 के लिए संगठनात्मक तैयारी और राष्ट्रवादी सोच का संगम,शिक्षा, रणनीति और प्रशिक्षण का संगम, हरिद्वार से उठी राष्ट्रीय मुद्दों की गूंज, बूथ से भारत तक : कांग्रेस की रणनीति
हरिद्वार के भूपतवाला स्थित जय राम आश्रम में कांग्रेस पार्टी ने संगठन को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाया। यहां आयोजित कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर केवल एक औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की ठोस बुनियाद रखने का मंच बन गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गणेश गोदियाल और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उपस्थिति ने इस शिविर को राजनीतिक दृष्टि से बेहद प्रभावशाली बना दिया।
2027 की नींव, हर बूथ पर मजबूत संगठन
गणेश गोदियाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस अब केवल घोषणाओं की राजनीति नहीं करेगी, बल्कि जमीनी स्तर पर बूथ से लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा, “ये महज़ ट्रेनिंग नहीं, बल्कि 2027 की नींव है। हमें हर बूथ पर फतह पाना है, तभी सत्ता तक पहुंचा जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का अगला मिशन हर घर, हर मोहल्ले, हर वार्ड और हर बूथ तक संगठन को मजबूत करना है। इस दिशा में सबसे पहले कार्यकर्ताओं को जागरूक और संगठित होना पड़ेगा। गोदियाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “भले ही बीजेपी प्रचार में आक्रामक हो, लेकिन जनता का भरोसा अब उसके खोखले नारों से हट चुका है। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अब जनता बदलाव चाहती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस अब केवल चुनाव के समय सक्रिय रहने वाली पार्टी नहीं रहेगी, बल्कि पूरे समय समाज से जुड़े रहकर जनआंदोलन की भावना के साथ आगे बढ़ेगी।
शिक्षा, रणनीति और प्रशिक्षण का संगम
शिविर के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए विशेषज्ञों को बुलाया गया, जिनमें राजनीतिक रणनीति विशेषज्ञ सीताराम लंबा प्रमुख रहे। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को संवाद की कला, सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग, स्थानीय समस्याओं की पहचान और समाधान जैसे विषयों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
सीताराम लंबा ने अपने सत्र में कहा, “आज की राजनीति में केवल नारेबाज़ी से काम नहीं चलता। जीत उन्हीं को मिलती है जो जनता के साथ हर समय खड़े रहते हैं। कांग्रेस को अब भावनात्मक जुड़ाव के साथ-साथ तकनीकी दक्षता भी अपनानी होगी।”
विधायक रवि बहादुर ने कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि पार्टी की बुनियाद अब पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस के प्रति विश्वास लौट रहा है और यदि कार्यकर्ता मिशन 2027 के तहत प्रत्येक बूथ को संगठित करने में सफल रहे, तो सत्ता तक का सफर दूर नहीं।
हरिद्वार से उठी राष्ट्रीय मुद्दों की गूंज
शिविर में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की उपस्थिति ने राजनीति को केवल राज्यीय स्तर तक सीमित नहीं रहने दिया, बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से भी जोड़ दिया। अपने संबोधन में रावत ने कहा, “पीओके को वापस लेने का इससे उपयुक्त समय कोई और नहीं हो सकता। पाकिस्तान इस समय आंतरिक संकट और अंतरराष्ट्रीय दबावों से जूझ रहा है, वहीं हमारी सेना सीमाओं पर आतंक की फैक्ट्रियों को ध्वस्त कर रही है।”
हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस की वर्किंग कमेटी ने तीन बैठकों के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी पूरी तरह से भारतीय सेना के साथ खड़ी है। “सेना के पराक्रम पर कांग्रेस को गर्व है और हम मानते हैं कि अब पीओके को भारत में वापस मिलाने का ऐतिहासिक अवसर सामने है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कुछ दल इस मुद्दे को केवल चुनावी मुद्दा बनाकर छोड़ देते हैं, लेकिन कांग्रेस इसे राष्ट्रहित और राष्ट्रीय अखंडता के मुद्दे के रूप में देखती है।
बूथ से भारत तक : कांग्रेस की रणनीति
इस प्रशिक्षण शिविर ने कांग्रेस के बदले हुए चेहरे की झलक दी—एक ऐसी पार्टी जो न केवल बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत कर रही है, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी स्पष्ट और राष्ट्रवादी सोच प्रस्तुत कर रही है।
गणेश गोदियाल के नेतृत्व में जहां बूथ स्तर पर संगठनात्मक युद्ध की तैयारी हो रही है, वहीं हरीश रावत ने राष्ट्रीय स्वाभिमान और सेना के समर्थन का संदेश देकर कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया। यह शिविर केवल विचारों का आदान-प्रदान नहीं बल्कि भविष्य की योजनाओं को अमल में लाने की शुरुआत थी।
इस कार्यक्रम से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस अब पुरानी शैली से बाहर निकलकर नये ढांचे में ढलने को तैयार है—एक ऐसा ढांचा जो बूथ से लेकर भारत तक असर दिखाने में सक्षम हो।
भूपतवाला का यह कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर आने वाले चुनावों के लिए एक संगठित और रणनीतिक आधारशिला सिद्ध हो सकता है। गणेश गोदियाल की नेतृत्व क्षमता और हरीश रावत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण ने कार्यकर्ताओं को यह विश्वास दिलाया कि कांग्रेस केवल सत्ता की आकांक्षा नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है।
यदि कांग्रेस इस शिविर में तय की गई रणनीतियों पर पूरी गंभीरता और निरंतरता से आगे बढ़ती है, तो 2027 के चुनावों में न केवल सत्ता परिवर्तन की संभावनाएं बनेंगी, बल्कि एक बार फिर पार्टी को जनआंदोलनों का मुख्य स्तंभ बनाया जा सकेगा। उत्तराखंड में कांग्रेस के पुनर्जागरण का यह बिगुल भूपतवाला से बज चुका है, अब उसकी गूंज पूरे राज्य में सुनाई देनी बाकी है।