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सांस्कृतिक चेतना और पारदर्शी प्रशासन का संगम,, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘भगवती सुरकंडा मां दिव्य जागर’ किया विमोचित,, लोकगायक प्रीतम भरतवाण को सराहा, युवाओं को मेरिट आधारित चयन की दी प्रेरणा

इन् तजार रजा हरिद्वार- सांस्कृतिक चेतना और पारदर्शी प्रशासन का संगम,,

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘भगवती सुरकंडा मां दिव्य जागर’ किया विमोचित,,

लोकगायक प्रीतम भरतवाण को सराहा, युवाओं को मेरिट आधारित चयन की दी प्रेरणा

इन्तजार रजा, देहरादून

शनिवार को राजधानी देहरादून का आईआरडीटी ऑडिटोरियम संस्कृति, श्रद्धा और संकल्प का अद्भुत संगम बन गया। अवसर था हिमालयन हेरिटेज सोसाइटी द्वारा आयोजित ‘भगवती सुरकंडा मां दिव्य जागर’ के विमोचन समारोह का, जिसमें उत्तराखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने अपने विचारों में जहां एक ओर उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की प्रतिबद्धता जताई, वहीं दूसरी ओर राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में पारदर्शिता और योग्यता आधारित चयन प्रक्रिया का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “अब उत्तराखंड में चयन का आधार केवल मेरिट, प्रतिभा और योग्यता है।”

जागर परंपरा का सम्मान: सुरकंडा देवी पर नई प्रस्तुति

इस भव्य समारोह में लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण द्वारा प्रस्तुत ‘सुरकंडा मां दिव्य जागर’ का विमोचन हुआ। इस प्रस्तुति ने उत्तराखंड की उस अनमोल परंपरा को पुनर्जीवित किया है, जिसे वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी गाया और जिया गया है।

मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में जागर परंपरा को “वेदों जितनी गूढ़” बताते हुए कहा,

“जागर में केवल शब्द नहीं बल्कि शक्ति होती है। प्रत्येक बोल, ढोल की थाप और ताल में देवत्व को आमंत्रित करने की अद्भुत क्षमता है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह परंपरा केवल गाई नहीं जाती बल्कि अनुभव की जाती है, और ऐसे प्रयासों को संरक्षण और प्रचार देने की आवश्यकता है।

संस्कृति और विरासत से जुड़ने का आह्वान

मुख्यमंत्री ने सुरकंडा देवी को “लोक आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक” बताते हुए पद्मश्री प्रीतम भरतवाण के इस कार्य को अनुकरणीय कहा। उन्होंने कहा,

“प्रीतम भरतवाण जी ने मां सुरकंडा देवी की महिमा, इतिहास और लोकगाथा को चलचित्र रूप में जीवंत कर एक अद्वितीय कार्य किया है। इससे आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी।”

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक प्रयास केवल कला नहीं, बल्कि हमारी आत्मा के पुनरुत्थान का माध्यम हैं।


युवाओं को मिली स्पष्ट प्रेरणा: चयन में केवल योग्यता

मुख्यमंत्री धामी ने राज्य के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज उत्तराखंड में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता के साथ प्रशासनिक सेवाओं में चयन हो रहा है।

“अब किसी भी सरकारी सेवा में चयन केवल मेरिट के आधार पर होगा। जो प्रतिभाशाली हैं, जो मेहनत करते हैं, वही सेवा में आएंगे।”

इस संदेश ने उन हज़ारों छात्रों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जलाई है जो वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता को लेकर आशंकित रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने युवाओं से आग्रह किया कि वे पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी तैयारी करें क्योंकि भविष्य उज्ज्वल है।


विकास और विरासत का संतुलन: मोदी मॉडल की झलक

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में चल रहे “विकास भी और विरासत भी” के संकल्प का हवाला देते हुए उत्तराखंड में हो रहे कार्यों का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा,

“प्रधानमंत्री जी के सहयोग से केदारनाथ, बदरीनाथ जैसे तीर्थस्थलों का पुनर्निर्माण हो रहा है, और मानसखंड क्षेत्र के मंदिरों का सौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है।”

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर और शारदा कॉरिडोर जैसी परियोजनाएं भी तेज़ी से प्रगति पर हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य उत्तराखंड को धार्मिक पर्यटन की वैश्विक राजधानी बनाना है।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पहले मां सुरकंडा देवी के दर्शन के लिए कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती थी, लेकिन अब उनकी सरकार ने वहाँ रोपवे सेवा शुरू कर दर्शन को सरल और सुलभ बनाया है।

सरकार की सांस्कृतिक नीति: केवल वादे नहीं, धरातल पर क्रियान्वयन

मुख्यमंत्री धामी के वक्तव्य और कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान सरकार सांस्कृतिक संरक्षण को केवल भाषणों में सीमित नहीं रख रही, बल्कि नीति और क्रियान्वयन के स्तर पर भी इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।

  • लोक कला और जागर परंपरा को संरक्षित करने हेतु सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
  • स्थानीय कलाकारों और संस्कृति कर्मियों को मंच और प्रोत्साहन देने की दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं।
  • उत्तराखंड के लोक त्योहारों और मेलों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने हेतु नई योजनाओं पर कार्य जारी है।

कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब: भावनाओं से भरा माहौल

इस समारोह में कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, अनेक प्रशासनिक अधिकारी, कलाकार, साहित्यकार और सैकड़ों की संख्या में संस्कृति प्रेमी मौजूद रहे।

प्रीतम भरतवाण ने अपने संबोधन में कहा,

“यह जागर मेरी श्रद्धा, मेरी मां सुरकंडा को समर्पित है। यह प्रयास केवल गायन नहीं, बल्कि एक साधना है।”

उनकी यह बात सुनते ही पूरे सभागार में तालियों की गूंज और भावनात्मक लहर दौड़ गई।

 उत्तराखंड का भविष्य—संस्कृति और सुशासन के समन्वय से सुसज्जित

इस पूरे आयोजन ने एक स्पष्ट संदेश दिया—उत्तराखंड की जड़ें जितनी गहरी संस्कृति में हैं, उसकी उड़ान उतनी ही ऊँची सुशासन में भी है। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राज्य न केवल विकास के पथ पर अग्रसर है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक आत्मा को भी जीवंत बनाए रखने में पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

जागर गायक प्रीतम भरतवाण जैसे लोकपुरुषों के प्रयास और सरकार की सकारात्मक नीतियों के मेल से यह विश्वास और भी दृढ़ हो गया है कि उत्तराखंड एक ऐसी ‘आध्यात्मिक-सांस्कृतिक राजधानी’ के रूप में उभर रहा है, जहां विकास, आस्था और विरासत का संगम निरंतर आगे बढ़ रहा है।


🖋 रिपोर्टर – इन्तजार रज़ा, Daily Live Uttarakhand
📍स्थान – देहरादून
🗓 तिथि – 12 जुलाई, 2025

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