अंकिता हत्याकांड में फैसला आज: देशभर की निगाहें उत्तराखंड के कोटद्वार कोर्ट पर, 97 गवाहों की गवाही के बाद आएगा इंसाफ का पल, 19 साल की बेटी के लिए 2 साल 8 महीने से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा परिवार, कोर्ट में कड़ी सुरक्षा, जनता में गुस्सा और उम्मीद

इन्तजार रजा हरिद्वार- अंकिता हत्याकांड में फैसला आज: देशभर की निगाहें उत्तराखंड के कोटद्वार कोर्ट पर, 97 गवाहों की गवाही के बाद आएगा इंसाफ का पल,
19 साल की बेटी के लिए 2 साल 8 महीने से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा परिवार, कोर्ट में कड़ी सुरक्षा, जनता में गुस्सा और उम्मीद
कोटद्वार (पौड़ी), 30 मई 2025
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज कोटद्वार स्थित एडीजे कोर्ट ऐतिहासिक फैसला सुनाने जा रही है। करीब दो साल और आठ महीने से इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी, जिसमें विशेष जांच दल (SIT) ने कुल 97 गवाह पेश किए। अब पूरे देश की नजर इस पर टिकी हुई है कि क्या अंकिता को आखिरकार इंसाफ मिलेगा।
कौन थी अंकिता भंडारी?
अंकिता भंडारी, उम्र 19 वर्ष, उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक की रहने वाली एक होनहार युवती थी। वह एक निजी रिजॉर्ट ‘वनंत्रा रिज़ॉर्ट’ में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर कार्यरत थी। यह रिजॉर्ट पुलकित आर्य नाम के शख्स का था, जो एक पूर्व भाजपा नेता का बेटा है। अंकिता ने अपनी नौकरी को बखूबी निभाया, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि यह नौकरी उसकी जान ले लेगी।
18 सितंबर 2022: वह काली रात
अंकिता भंडारी 18 सितंबर 2022 को रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी। शुरू में मामले को दबाने की कोशिशें हुईं, लेकिन जैसे-जैसे परतें खुलीं, आरोप सीधे रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, और उसके दो कर्मचारियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर लगे। जांच में सामने आया कि अंकिता पर “गेस्ट को स्पेशल सर्विस” देने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसका उसने विरोध किया।
इस विरोध का परिणाम बेहद खौफनाक था—अंकिता को रात में चीला नहर में धक्का देकर हत्या कर दी गई। इस निर्ममता ने पूरे उत्तराखंड को नहीं, बल्कि देशभर को झकझोर कर रख दिया।
24 सितंबर 2022: अंकिता की लाश और गुस्से की आग
छह दिन बाद, 24 सितंबर को एसडीआरएफ की टीम ने चीला पावर हाउस इनटेक से अंकिता का शव बरामद किया। शव मिलने के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इस हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने डीआईजी पी. रेणुका देवी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया।
न्याय के लिए लंबी लड़ाई
इस मामले की सुनवाई कोटद्वार की अदालत में लगभग 2 साल 8 महीने तक चली। इस दौरान 97 गवाहों की गवाही दर्ज की गई, जिसमें न सिर्फ पुलिस अधिकारी और मेडिकल एक्सपर्ट शामिल थे, बल्कि वे कर्मचारी भी जिनका संपर्क रिजॉर्ट से था। एसआईटी ने सबूतों के पहाड़ खड़े कर दिए, जिसमें सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, व्हाट्सएप चैट और फॉरेंसिक रिपोर्ट जैसी चीजें प्रमुख थीं।
कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा, माहौल तनावपूर्ण
कोटद्वार कोर्ट के बाहर आज सुबह से ही पुलिस का भारी बंदोबस्त है। बैरिकेडिंग की गई है, और अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। कोर्ट परिसर में पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता बड़ी संख्या में मौजूद हैं। सोशल मीडिया पर भी #JusticeForAnkita ट्रेंड कर रहा है।
अंकिता के परिवार की उम्मीदें
अंकिता भंडारी के माता-पिता और परिवार आज भी इंसाफ की उम्मीद में जिंदा हैं। उनका कहना है,
“हमारी बेटी हमें वापस नहीं मिल सकती, लेकिन हमें उम्मीद है कि कोर्ट ऐसा फैसला देगा जिससे कोई और अंकिता इस हैवानियत का शिकार न बने।”
देशव्यापी गूंज
यह मामला सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहा। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, जयपुर से लेकर बंगलौर तक देशभर में प्रदर्शन हुए, कैंडल मार्च निकाले गए। महिला संगठनों ने सरकार और सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाए। यही वजह है कि यह मामला अब केवल एक अपराध नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की परीक्षा बन गया है।
अगला अध्याय: फैसला और उसका असर
आज कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा, वह न केवल अंकिता भंडारी के परिवार के लिए अहम होगा, बल्कि यह तय करेगा कि क्या इस देश की न्यायपालिका अब भी पीड़ित की चीख को सुनने में सक्षम है। अगर दोषियों को कड़ी सजा मिलती है तो यह एक नजीर बनेगा, वरना एक और न्यायिक त्रासदी के रूप में दर्ज होगा।