भ्रामक सर्वे रिपोर्ट का देहरादून पुलिस ने किया खंडन, कप्तान बोले- सुरक्षित है दून!,, 70 हज़ार बाहरी छात्र-छात्राओं का विश्वास और पुलिस का शत-प्रतिशत अनावरण मॉडल,, सुरक्षा, शिक्षा और पर्यटन: हर लिहाज़ से सुरक्षित देहरादून,, निजी सर्वे से उपजा विवाद, आयोग और पुलिस ने दी सफाई

इन्तजार रजा हरिद्वार- भ्रामक सर्वे रिपोर्ट का देहरादून पुलिस ने किया खंडन, कप्तान बोले- सुरक्षित है दून!,,
70 हज़ार बाहरी छात्र-छात्राओं का विश्वास और पुलिस का शत-प्रतिशत अनावरण मॉडल,,
सुरक्षा, शिक्षा और पर्यटन: हर लिहाज़ से सुरक्षित देहरादून,,
निजी सर्वे से उपजा विवाद, आयोग और पुलिस ने दी सफाई
हाल ही में एक निजी डेटा साइंस कम्पनी पी वैल्यू एनालिटिक्स (NARI-2025) की रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया। इस सर्वेक्षण में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल किया गया। रिपोर्ट सामने आने के बाद जनमानस में भ्रम फैलना स्वाभाविक था, लेकिन जैसे ही इसकी गहराई से जांच हुई, स्थिति स्पष्ट हो गई।
राज्य महिला आयोग ने साफ कहा कि—
- यह सर्वे न तो राष्ट्रीय महिला आयोग और न ही राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया है।
- किसी भी सरकारी एजेंसी या मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान से इसका कोई संबंध नहीं है।
इसके बाद देहरादून पुलिस ने भी इस रिपोर्ट को भ्रामक करार देते हुए इसे खारिज किया। पुलिस कप्तान ने स्पष्ट किया कि देहरादून देश के सुरक्षित शहरों में से एक है, और इस तथ्य को आंकड़े भी मजबूती से साबित करते हैं।
सर्वे की पद्धति पर उठे सवाल
रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कई गंभीर खामियाँ उजागर हुईं।
- यह सर्वे सिर्फ 31 शहरों तक सीमित था।
- सर्वेक्षण का आधार CATI (Computer Assisted Telephonic Interviews) और CAPI (Computer Assisted Personal Interviews) था।
- कुल 12,770 महिलाओं से केवल टेलीफोनिक बातचीत की गई, भौतिक स्तर पर कोई प्रत्यक्ष संवाद नहीं हुआ।
यानी यह सर्वे वैज्ञानिक पद्धति और जमीनी हकीकत से पूरी तरह कटा हुआ था। देहरादून जैसे शहर की सुरक्षा स्थिति को केवल फोन पर बातचीत से आँकना कहीं से भी तार्किक नहीं लगता।
70 हज़ार बाहरी छात्र-छात्राओं का भरोसा
देहरादून हमेशा से शिक्षा का केंद्र रहा है। वर्तमान में यहां 70 हज़ार बाहरी छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से 43% संख्या छात्राओं की है। इन छात्रों में एक बड़ी संख्या विदेशी विद्यार्थियों की भी है।
इन सभी छात्रों का सुरक्षित माहौल में निवास और अध्ययन करना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि देहरादून भरोसे और सुरक्षा का गढ़ है। अगर शहर असुरक्षित होता, तो न तो इतने बड़े पैमाने पर छात्र यहां आते और न ही उनके अभिभावक उन्हें बेझिझक भेजते।
पुलिस का शत-प्रतिशत अनावरण मॉडल
साल 2025 में देहरादून पुलिस ने अपराधों पर जिस तेजी से शिकंजा कसा, वह अन्य शहरों के लिए उदाहरण है।
- बलात्कार, छेड़छाड़, स्नेचिंग जैसी सभी घटनाओं का 100 प्रतिशत अनावरण किया गया।
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 536 आईसीसीसी कैमरे और पुलिस कंट्रोल रूम के 216 कैमरे लगातार निगरानी कर रहे हैं।
- इसके अतिरिक्त शहर भर में 14,000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे सक्रिय हैं।
- सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है ताकि किसी भी आपराधिक गतिविधि पर तुरंत नजर रखी जा सके।
यह तकनीकी और मानवीय प्रयास मिलकर देहरादून को हाई-टेक और सुरक्षित शहर की श्रेणी में ले जाते हैं।
पर्यटन और सुरक्षा का संतुलन
देहरादून न केवल शिक्षा बल्कि पर्यटन का भी बड़ा केंद्र है। यहां साल भर देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते हैं। मसूरी, सहस्त्रधारा, मालसी डियर पार्क जैसे स्थल हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहते हैं।
अगर शहर असुरक्षित होता तो पर्यटकों की संख्या कभी इतनी अधिक नहीं रहती। बल्कि, पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जो शहर की सकारात्मक छवि और सुरक्षित माहौल को उजागर करती है।
सुरक्षा को लेकर पुलिस की रणनीति
देहरादून पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं—
- हर थाना क्षेत्र में महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ सक्रिय है।
- शक्ति एप और डायल 112 के जरिए तत्काल मदद उपलब्ध कराई जाती है।
- संवेदनशील इलाकों में महिला पुलिस पेट्रोलिंग टीम तैनात रहती है।
- विश्वविद्यालयों और कॉलेज परिसरों में पुलिस-प्रशासन की सतत निगरानी रहती है।
इन कदमों के कारण छात्र-छात्राओं से लेकर आम नागरिक और पर्यटक तक खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
सर्वे और वास्तविकता का फर्क
सर्वे रिपोर्ट और जमीनी हकीकत में जमीन-आसमान का फर्क है। एक तरफ टेलीफोन पर किए गए सीमित सर्वे का दावा है कि दून असुरक्षित है, वहीं दूसरी ओर:
- अपराधों का शत-प्रतिशत अनावरण,
- हजारों कैमरों की निगरानी,
- लाखों पर्यटकों का बेझिझक आना,
- और हजारों बाहरी छात्रों का यहां शिक्षा ग्रहण करना—
ये सब स्पष्ट करते हैं कि देहरादून असुरक्षित नहीं बल्कि देश के सुरक्षित शहरों में अग्रणी है।
सुरक्षित, विश्वसनीय और प्रगतिशील दून
देहरादून पर सवाल उठाने वाली सर्वे रिपोर्ट जितनी भ्रामक है, उससे कहीं अधिक मजबूत यहां की वास्तविक तस्वीर है। शहर न केवल शिक्षा और पर्यटन के लिहाज़ से सुरक्षित है, बल्कि पुलिस की सतर्कता और तकनीकी साधनों की वजह से यहां अपराध की संभावना बेहद कम हो चुकी है।
हम सर्वेक्षणों का सम्मान करते हैं, लेकिन नीतिगत निर्णय हमेशा वैज्ञानिक और तथ्यात्मक अध्ययनों पर ही आधारित होने चाहिए। देहरादून पुलिस और राज्य महिला आयोग का यह खंडन न केवल शहर की छवि को सुरक्षित करता है, बल्कि आम जनता का विश्वास भी और गहरा बनाता है।
👉 देहरादून आज भी वही है, जो हर छात्र, पर्यटक और परिवार के लिए भरोसे और सुरक्षा का पर्याय हैं