अंकिता हत्याकांड में दोष सिद्ध, फांसी की मांग तेज — कोटद्वार कोर्ट में आज सुनाई जाएगी सजा, तीनों आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता हत्या के दोषी करार; कोर्ट परिसर बना छावनी, परिजनों की भावुक अपील — “बेटी के कातिलों को मिले मौत की सजा”, न्याय के इंतजार का अंत: दो साल आठ महीने बाद आया ऐतिहासिक फैसला, अब निगाहें एडीजे कोर्ट की अंतिम सजा पर

इन्तजार रजा हरिद्वार- अंकिता हत्याकांड में दोष सिद्ध, फांसी की मांग तेज — कोटद्वार कोर्ट में आज सुनाई जाएगी सजा,
तीनों आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता हत्या के दोषी करार; कोर्ट परिसर बना छावनी, परिजनों की भावुक अपील — “बेटी के कातिलों को मिले मौत की सजा”,
न्याय के इंतजार का अंत: दो साल आठ महीने बाद आया ऐतिहासिक फैसला, अब निगाहें एडीजे कोर्ट की अंतिम सजा पर
कोटद्वार, 30 मई 2025।
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार न्याय की पहली सीढ़ी पूरी हो गई है। कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) कोर्ट ने इस हृदय विदारक मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या, साक्ष्य मिटाने और महिला के साथ दुर्व्यवहार की धाराओं में दोषी करार दे दिया है। तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य नष्ट करना), और 354 (महिला के साथ दुर्व्यवहार) के अंतर्गत दोष सिद्ध हुआ है।
कोर्ट ने आज दोपहर तक सजा सुनाने की घोषणा की है, जिसे लेकर न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश की नजरें कोटद्वार कोर्ट की ओर टिकी हैं।
फैसले के दिन कोटद्वार बना किला, 200 मीटर तक नो-एंट्री जोन
कोर्ट में सुनवाई के दिन कोटद्वार में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था देखी गई। कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया, जिसमें किसी आम नागरिक को प्रवेश की इजाजत नहीं थी। चारों ओर बैरिकेडिंग, भारी पुलिस बल, और सुरक्षा जांच की सख्त व्यवस्था लागू की गई थी।
गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों से अतिरिक्त फोर्स को कोटद्वार बुलाया गया था। केवल संबंधित वकील, केस से जुड़े पक्ष और न्यायिक स्टाफ को कोर्ट में प्रवेश की अनुमति दी गई।
अंकिता के पिता की भावुक अपील – “मेरी बेटी के हत्यारों को मिले फांसी”
फैसले से पहले अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा,
“मेरी बेटी निर्दोष थी। इन दरिंदों ने उसे बहला-फुसला कर मारा। मैं बस यही चाहता हूं कि जीते जी उसकी आत्मा को इंसाफ मिले। इन तीनों को फांसी की सजा दी जाए, ताकि आगे कोई और अंकिता किसी शैतानी दरिंदे की बलि न चढ़े।”
अंकिता की मां भी कोर्ट के फैसले पर विश्वास जताते हुए बोलीं –
“हमें भरोसा था कि कोर्ट हमारी बेटी को इंसाफ देगा। आज वही हुआ। अब बस उम्मीद है कि सजा भी ऐसी हो जिससे समाज में संदेश जाए।”
दोषियों के गुनाह: वीआईपी संस्कृति, पैसे और पावर का घिनौना चेहरा
इस केस की सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखता है और ऋषिकेश के पास स्थित अपने रिज़ॉर्ट में अवैध गतिविधियों में संलिप्त था। इसी रिज़ॉर्ट में 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी काम करती थी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक अंकिता पर रिजॉर्ट में वीआईपी ग्राहकों को “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव डाला गया था, जिसका उसने विरोध किया। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से उसे 18 सितंबर 2022 की रात ऋषिकेश के पास चीला नहर में धक्का दे कर मार डाला गया।
47 गवाह, 500 पन्नों का चार्जशीट, 2.8 साल की लड़ाई
- इस केस की जांच एसआईटी द्वारा की गई थी।
- 97 गवाह चिन्हित किए गए, जिनमें से 47 गवाहों की अदालत में गवाही करवाई गई।
- अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने यह केस लड़ा।
- 500 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया गया था, जिसमें पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के अपराधों का विस्तृत विवरण था।
- 28 मार्च 2023 से अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू हुई थी।
19 मई 2025 को अभियोजन पक्ष ने अंतिम बहस के जवाब में अपना पक्ष रखा, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
जनता की नजर में एक ऐतिहासिक फैसला, अब सजा पर टिकी उम्मीदें
अंकिता की हत्या ने न केवल उत्तराखंड बल्कि देश भर में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए थे। इस केस को लेकर सोशल मीडिया, महिला संगठनों, छात्रों और आम नागरिकों ने लगातार आवाज उठाई। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए, मशाल जुलूस निकाले गए और दोषियों को फांसी की मांग की गई।
आज जब कोर्ट ने तीनों को दोषी करार दिया है, तो आम जनमानस ने राहत की सांस ली है। लेकिन अब सबकी नजरें उस अंतिम फैसले पर हैं, जिसमें यह तय होगा कि क्या कोर्ट इन हत्यारों को फांसी की सजा सुनाएगा या उम्रकैद तक सीमित रखेगा।
न्याय की दिशा में पहला बड़ा कदम, लेकिन अधूरी नहीं है ये लड़ाई
यह फैसला उत्तराखंड की न्याय प्रणाली की दृढ़ता का प्रतीक है। लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है कि:
- अंकिता जैसी हजारों लड़कियों को आज भी कार्यस्थलों पर शोषण का सामना करना पड़ रहा है।
- वीआईपी संस्कृति और राजनीतिक रसूख के दम पर अपराध छिपाने की प्रवृत्ति अभी भी जिंदा है।
- ऐसे में यह फैसला एक सदमे से जगा देने वाला संदेश है कि चाहे अपराधी कितना भी ताकतवर हो, कानून से नहीं बच सकता।
अंतिम फैसला थोड़ी ही देर में: क्या आएगा मृत्युदंड?
अब इंतजार है उस अंतिम घोषणा का जो अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटद्वार की अदालत दोपहर तक देने जा रही है।
यदि कोर्ट तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाती है, तो यह केस देश में महिला अपराध के खिलाफ एक ऐतिहासिक मिसाल बन सकता है।
Daily Live Uttarakhand इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए है। जैसे ही कोर्ट अंतिम सजा सुनाएगा, हम आपको तुरंत इसकी जानकारी देंगे।
अंकिता को इंसाफ मिला, अब सजा पर फैसला बाकी है।