ज्वालापुर मंडी समिति में अवैध दुकानों की जांच और कचरा निस्तारण केंद्र चालू करने की उठी मांग,, व्यापारियों ने जिलाधिकारी से भेंट कर समस्याएं रखीं, कार्रवाई का मिला भरोसा,, आढ़तियों ने चेताया—समाधान न हुआ तो करेंगे आंदोलन, भ्रष्टाचार पर उठेगा मुद्दा,, जिलाधिकारी का तुरंत संज्ञान, सार्वजनिक बैठक के निर्देश,व्यापारियों ने जिलाधिकारी का किया सम्मान

इन्तजार रजा हरिद्वार- ज्वालापुर मंडी समिति में अवैध दुकानों की जांच और कचरा निस्तारण केंद्र चालू करने की उठी मांग,,
व्यापारियों ने जिलाधिकारी से भेंट कर समस्याएं रखीं, कार्रवाई का मिला भरोसा,,
आढ़तियों ने चेताया—समाधान न हुआ तो करेंगे आंदोलन, भ्रष्टाचार पर उठेगा मुद्दा,,
जिलाधिकारी का तुरंत संज्ञान, सार्वजनिक बैठक के निर्देश,व्यापारियों ने जिलाधिकारी का किया सम्मान
हरिद्वार/Daily live Uttarakhand ब्यूरो
ज्वालापुर कृषि उत्पादन मंडी समिति से जुड़े आढ़तियों और थोक व्यापारियों का एक बड़ा दल सोमवार को जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से मिला। देवभूमि सब्जी फल विक्रेता आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने मंडी क्षेत्र से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं विस्तार से जिलाधिकारी के सामने रखीं।
अवैध दुकानों में अनियमितता की जांच की मांग
प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि मंडी परिसर में 12 दुकानों का निर्माण और आवंटन अवैध रूप से हुआ है। आढ़तियों के अनुसार, इन दुकानों के वितरण में भारी अपारदर्शिता और गड़बड़ी हुई है। व्यापारियों ने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही राइपनिंग चैम्बर और कूड़ा निस्तारण केंद्र में लगी महंगी मशीनरी और उपकरणों के गायब होने की भी जांच कराने की बात कही। व्यापारियों ने कहा कि इस तरह की अनियमितताएं मंडी की छवि खराब कर रही हैं और किसानों व आढ़तियों के हितों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
कचरा निस्तारण केंद्र बंद, बढ़ी समस्या
व्यापारियों ने बताया कि करोड़ों रुपये खर्च कर तैयार किया गया ऑर्गेनिक वेस्ट कन्वर्जन (OWC) केंद्र आज तक चालू नहीं हो पाया है। मंडी परिसर में प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल सब्जी और फल का कचरा निकलता है, लेकिन निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने से गंदगी फैल रही है।
व्यापारियों ने जिलाधिकारी से मांग की कि कूड़ा निस्तारण केंद्र को तत्काल चालू किया जाए, ताकि सफाई व्यवस्था सुधरे और स्वास्थ्य संबंधी खतरे खत्म हों।
नोटिस भेजकर डराने का आरोप, आंदोलन की चेतावनी
तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज ने कहा कि आढ़तियों और व्यापारियों को नोटिस भेजकर उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि समय पर समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि व्यापारी बड़े पैमाने पर जनांदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। किसानों और आढ़तियों के हितों से समझौता किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
जिलाधिकारी का तुरंत संज्ञान, सार्वजनिक बैठक के निर्देश
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने प्रतिनिधिमंडल की शिकायतों पर तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि संबंधित विभागों और व्यापारियों की उपस्थिति में सार्वजनिक बैठक आयोजित कर समस्याओं का समाधान निकाला जाए।
जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि मंडी परिसर से जुड़ी हर समस्या पर शीघ्र और पारदर्शी कार्रवाई की जाएगी।
व्यापारियों ने जिलाधिकारी का किया सम्मान
बैठक के दौरान आढ़तियों और व्यापारियों ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की कार्यशैली की सराहना की। उन्होंने जिलाधिकारी को शॉल ओढ़ाकर और बुके भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर व्यापारियों ने कहा कि प्रशासन के सहयोग से मंडी समिति में पारदर्शिता और सफाई व्यवस्था सुधरेगी।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख व्यापारी
इस अवसर पर मंडी के वरिष्ठ आढ़ती संतोष जायसवाल, मनीष ढींगरा, निशू माटा, मुर्शद ख्वाजा, बबलू चौधरी, रवि चौहान समेत कई अन्य व्यापारी मौजूद रहे।
ज्वालापुर मंडी समिति लंबे समय से सफाई, पारदर्शिता और अवैध निर्माण जैसी समस्याओं से जूझ रही है। व्यापारियों का आरोप है कि करोड़ों की योजनाएं शुरू होने से पहले ही भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ गईं। अब आढ़ती और व्यापारी इन मुद्दों को लेकर संगठित हो रहे हैं।
व्यापारियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए तो न केवल कानूनी कार्यवाही होगी, बल्कि व्यापक आंदोलन भी होगा। जिलाधिकारी द्वारा सार्वजनिक बैठक बुलाने के निर्देश से व्यापारियों में उम्मीद जगी है कि अब समस्याओं का समाधान निकलेगा।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि जनता के पैसे से बने बड़े प्रोजेक्ट समय पर चालू क्यों नहीं हो पाते और उनकी मशीनरी व उपकरण क्यों गायब हो जाते हैं। व्यापारियों की मांग है कि जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों की जवाबदेही तय की जाए।
यह खबर न केवल ज्वालापुर मंडी समिति की वास्तविक स्थिति को सामने लाती है बल्कि यह भी दिखाती है कि व्यापारी अब अपने अधिकारों और पारदर्शिता के लिए सजग हो गए हैं। प्रशासन की ओर से समयबद्ध कार्रवाई ही इन विवादों को सुलझाने का एकमात्र रास्ता है।