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धनगर समाज को मिले संविधानिक अधिकार,, एससी सूची में दर्ज होने के बावजूद एससी प्रमाणपत्र से धनगर समाज वंचित क्यों ?,, प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर की मुख्यमंत्री से मांग, यतीश्वरानंद से मुलाकात समर्थन की उम्मीद

इन्तजार रजा हरिद्वार- धनगर समाज को मिले संविधानिक अधिकार,,
एससी सूची में दर्ज होने के बावजूद एससी प्रमाणपत्र से धनगर समाज वंचित क्यों ?,,
प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर की मुख्यमंत्री से मांग, यतीश्वरानंद से मुलाकात समर्थन की उम्मीद

हरिद्वार, 1 जुलाई 2025 —
उत्तराखंड के सामाजिक न्याय के मंच पर एक बार फिर से धनगर समाज का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। अनुसूचित जाति (एससी) सूची में नाम दर्ज होने के बावजूद, यह समाज आज भी अपने संवैधानिक अधिकार — एससी श्रेणी का प्रमाणपत्र — पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि सरकारी दस्तावेज़ों में दर्ज होने के बाद भी एक पूरा समाज पहचान और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित है।

इस ज्वलंत मुद्दे को उठाते हुए धनगर समाज उत्तराखंड के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस विषय पर गंभीर हस्तक्षेप की ठोस मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो समाज आंदोलन की राह पर उतरने को विवश होगा।

❖ सूची में नाम है, लेकिन अधिकार नहीं — यह कैसी व्यवस्था?
धनगर समाज को देश के कई राज्यों में अनुसूचित जाति की मान्यता प्राप्त है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान में यह समाज वर्षों से आरक्षण, छात्रवृत्ति, आवास योजना और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहा है। लेकिन उत्तराखंड की स्थिति अत्यंत विरोधाभासी है।

उत्तराखंड सरकार द्वारा अधिसूचित अनुसूचित जातियों की सूची में धनगर समाज का नाम स्पष्ट रूप से 27वें क्रमांक पर दर्ज है। इसके बावजूद न तो तहसीलों में समाज के लोगों को एससी प्रमाणपत्र दिया जा रहा है, और न ही जिला स्तर पर अधिकारियों की कोई जवाबदेही तय की जा रही है।

प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर का कहना है:

“हम संविधान से मिले अधिकार की बात कर रहे हैं। यदि सूची में नाम होने के बाद भी प्रमाणपत्र न मिले तो यह सीधा-सीधा सामाजिक और संवैधानिक शोषण है।”

यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या समाज विशेष को जानबूझकर योजनाओं से दूर रखा जा रहा है?

❖ मुख्यमंत्री से ठोस पहल की मांग
प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपकर इस विषय पर तत्काल निर्णय लेने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया कि संबंधित विभागों — सामाजिक कल्याण विभाग, अनुसूचित जाति आयोग, और जिला प्रशासन — को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि धनगर समाज को एससी प्रमाणपत्र निर्बाध रूप से जारी किया जाए।

“मुख्यमंत्री जी संवेदनशील नेता हैं। हमने उनसे आग्रह किया है कि वो इस मसले को प्राथमिकता से लें और इसे हल कराएं, ताकि समाज को उसका हक मिल सके।” — मनोज धनगर

इस दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की मांग है।

❖ स्वामी यतीश्वरानंद से मुलाकात — सहयोग की उम्मीद
प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर ने हाल ही में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद से भी भेंट की। उन्होंने स्वामी जी को धनगर समाज की जमीनी स्थिति और सरकारी उपेक्षा से अवगत कराया। स्वामी यतीश्वरानंद ने समाज की चिंता को गंभीरता से सुनते हुए आश्वासन दिया कि वे स्वयं इस विषय को मुख्यमंत्री और सरकार के समक्ष रखेंगे और समाज को न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे।

“धनगर समाज मेहनतकश, ईमानदार और शांतिप्रिय है। ऐसे समाज को उसका संवैधानिक अधिकार अवश्य मिलना चाहिए।” —

❖ शिक्षा, रोजगार और योजनाओं से वंचित क्यों?
एससी प्रमाणपत्र न मिलने के कारण समाज के युवाओं को न तो आरक्षित कोटा में प्रवेश मिल पा रहा है, न ही सरकारी नौकरियों में अवसर। अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, और अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों से भी समाज पूरी तरह वंचित है।

मनोज धनगर ने कहा:
“हमारे बच्चे मेहनत करते हैं, लेकिन जब काउंसलिंग या फॉर्म भरने की बात आती है, तो एससी सर्टिफिकेट के अभाव में वे बाहर कर दिए जाते हैं। ये न्याय नहीं, अन्याय है।”

❖ सरकार की चुप्पी या प्रशासनिक लापरवाही?
धनगर समाज के लोगों का कहना है कि जब वह एससी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें कहा जाता है कि “आपका नाम सूची में नहीं है” या “ऊपर से आदेश नहीं आया।” इस स्थिति ने समाज को असमंजस और निराशा के अंधेरे में धकेल दिया है।यह प्रशासनिक लापरवाही है या जानबूझकर की गई उपेक्षा — यह एक गंभीर जांच का विषय है।

❖  अब और चुप नहीं रहेगा धनगर समाज
प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनगर ने स्पष्ट कहा है कि“यह सिर्फ प्रमाणपत्र की लड़ाई नहीं है, यह हमारी पहचान, सम्मान और भविष्य की लड़ाई है।” — मनोज धनगर

❖ सामाजिक न्याय की परीक्षा में सरकार
धनगर समाज उत्तराखंड के हरिद्वार, उधमसिंहनगर, देहरादून, नैनीताल और टिहरी जैसे जिलों में बड़ी संख्या में निवास करता है। यह समाज पारंपरिक रूप से पशुपालन, मजदूरी और लघु व्यवसायों पर निर्भर है। शिक्षा का स्तर कम है और आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर।

ऐसे में एससी प्रमाणपत्र से वंचित रखना इस समाज को योजनाबद्ध रूप से पीछे रखने का प्रयास प्रतीत होता है।

❖ यह सिर्फ धनगर समाज की नहीं, संविधान की लड़ाई है
संविधान ने हर जाति, धर्म और वर्ग को बराबरी का अधिकार दिया है। जब सूचीबद्ध समाज को भी अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़े, तो यह लोकतंत्र की विफलता मानी जाएगी।

“हम कोई दया नहीं मांग रहे, हम हक मांग रहे हैं। जो हमें संविधान ने दिया है, वही हम वापस चाहते हैं।” — मनोज धनगर

❖ मीडिया, समाज और सरकार की परीक्षा
अब यह देखना होगा कि उत्तराखंड सरकार कब तक इस मुद्दे पर मौन रहती है। क्या मीडिया इस मुद्दे को प्रमुखता देगा? क्या सरकार संवेदनशीलता दिखाएगी? क्या समाज एकजुट होकर आगे आएगा?

धनगर समाज की आवाज़ अब दबने वाली नहीं है। यह आवाज़ अब हर गली, हर गांव और हर ज़िले से उठ रही है।

🗣️ “हमारा संकल्प है – समाज को उसका हक और सम्मान दिलाकर रहेंगे। यह कोई मांग नहीं, हमारा संवैधानिक अधिकार है।” — मनोज धनगर, प्रदेश अध्यक्ष, धनगर समाज उत्तराखंड

✍️ रिपोर्ट: Daily Live Uttarakhand
संपर्क: dailyliveuttarakhand.com | हरिद्वार ब्यूरो

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