मीरपुर मुवाजरपुर में अतिक्रमण हटाने की प्रशासनिक कार्रवाई के बाद भड़के लोग. भारतीय किसान यूनियन क्रांति के बैनर तले तहसील परिसर हरिद्वार में किया विरोध धरना प्रदर्शन, प्रदर्शन के बाद प्रशासन और ग्रामीणों के बीच बनी सहमति 25 मई 2025 से सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ करने का दिया गया आश्वासन समझौते के बाद धरना समाप्त, समाधान की राह साफ

इन्तजार रजा हरिद्वार- मीरपुर मुवाजरपुर में अतिक्रमण हटाने की प्रशासनिक कार्रवाई के बाद भड़के लोग.
भारतीय किसान यूनियन क्रांति के बैनर तले तहसील परिसर हरिद्वार में किया विरोध प्रदर्शन,
प्रदर्शन के बाद प्रशासन और ग्रामीणों के बीच बनी सहमति
25 मई 2025 से सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ करने का दिया गया आश्वासन
समझौते के बाद धरना समाप्त, समाधान की राह साफ
इन्तजार रज़ा, हरिद्वार।
हरिद्वार जिले के मीरपुर मुवाजरपुर गांव में कल शुक्रवार को जिला प्रशासन द्वारा की गई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद अस्थायी असंतोष का माहौल उत्पन्न हुआ, लेकिन प्रशासन की सक्रियता, पारदर्शिता और जनसंवाद के चलते मामला जल्द ही सुलझा लिया गया। सड़क निर्माण कार्य से पूर्व किए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान को कुछ ग्रामीणों ने अपनी असुविधा से जोड़ते हुए इसका विरोध किया, लेकिन अधिकारियों की समझदारी और संवेदनशीलता से बात जल्दी स्पष्ट हो गई।
अवैध अतिक्रमण हटाना विकास का अनिवार्य चरण
मीरपुर मुवाजरपुर में जिला पंचायत मद से स्वीकृत सड़क निर्माण कार्य को लेकर लम्बे समय से योजना लंबित थी। प्रस्तावित मार्ग के कई हिस्सों पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण के कारण निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही थी। प्रशासन ने नियमानुसार कार्रवाई करते हुए अवैध ढांचों को हटाया ताकि जनहित की इस परियोजना को समय पर और प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।
तहसीलदार हरिद्वार सचिन कुमार चौधरी ने स्पष्ट किया कि यह कार्यभार पूरी तरह से नियमानुसार था और इसमें किसी भी व्यक्ति को टारगेट करने का उद्देश्य नहीं था। उन्होंने कहा,
“सचिन कुमार चौधरी तहसीलदार हरिद्वार ने कहा कि प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सार्वजनिक भूमि को सुरक्षित रखे और विकास कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करे। लेकिन इसके साथ ही हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि किसी नागरिक की मूलभूत सुविधाएं बाधित न हों।”
ग्रामीणों की नाराजगी पर प्रशासन का त्वरित संवाद
हालांकि कार्रवाई के तुरंत बाद कुछ ग्रामीणों ने इसे एकतरफा बताते हुए हरिद्वार तहसील में प्रदर्शन किया। भारतीय किसान यूनियन (क्रांति) के बैनर तले आयोजित इस धरने में ग्रामीणों ने यह मांग रखी कि या तो पूर्ववर्ती रास्ते को बहाल किया जाए या फिर प्रस्तावित मार्ग को पक्का और ऊँचे स्तर पर बनाया जाए ताकि बारिश में जलभराव जैसी समस्याएं उत्पन्न न हों।
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास सिंह सैनी, राष्ट्रीय प्रवक्ता तौफीक अहमद और स्थानीय निवासी अमन सैनी ने प्रशासन से संवाद कर समाधान की मांग की। इस पर तहसीलदार खुद मौके पर पहुंचे और आंदोलनकारियों से वार्ता की। उन्होंने आश्वस्त किया कि ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लिया गया है और उनके हितों को संरक्षित रखते हुए आगे का निर्माण कार्य किया जाएगा।
समझौते के बाद धरना समाप्त, समाधान की राह साफ
प्रशासन द्वारा लिखित रूप में यह स्पष्ट किया गया कि—
” बहादराबाद क्षैत्र के ग्राम मीरपुर मुवाजरपुर तहसील व जिला हरिद्वार में जिला पंचायत मद से जो सड़क निर्माण का कार्य प्रस्तावित है, वह कल दिनांक 25.05.2025 से प्रारंभ किया जाएगा।”
इस आश्वासन के बाद यूनियन ने धरना समाप्त कर दिया। प्रशासन और ग्रामीणों के बीच हुए इस समझौते को विकास के लिए सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल गांव को एक आधुनिक और टिकाऊ मार्ग मिलेगा, बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक संवाद की परंपरा भी मजबूत हुई है।
नियोजित निर्माण से मिलेगा स्थायी समाधान
अधिकारी वर्ग के अनुसार अब जो सड़क बनेगी वह पूर्व के अस्थायी मार्ग की तुलना में अधिक ऊँचाई पर और सीमेंट-कंक्रीट की होगी, जिससे बरसात के समय जलभराव की समस्या नहीं रहेगी और ग्रामीणों को आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इससे बच्चों की स्कूल तक पहुंच, आपातकालीन सेवाओं और खेती के लिए यातायात सुगम होगा।
यह कार्य स्थानीय ठेकेदार और जिला पंचायत की निगरानी में होगा, जिससे निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। साथ ही ग्रामीणों को निर्माण में रोजगार के अवसर भी मिल सकते हैं, जिससे यह परियोजना आर्थिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से लाभकारी सिद्ध होगी।
प्रशासन की संवेदनशीलता ने टकराव को टाला
इस पूरे घटनाक्रम में प्रशासन का व्यवहार अत्यंत जिम्मेदार और संवेदनशील रहा। अतिक्रमण हटाने जैसी कार्रवाई, जो सामान्यतः विवादास्पद बन जाती है, उसे प्रशासन ने पारदर्शिता और जनता से संवाद द्वारा एक सकारात्मक दिशा दी। तहसीलदार ने न केवल प्रदर्शनकारियों की बात सुनी, बल्कि तत्काल हल भी प्रस्तुत किया।
स्थानीय निवासी मीरपुर मुवाजरपुर अमन सैनी ने कहा,“हमारी चिंता थी कि रास्ता पूरी तरह बंद न हो। जब प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि एक बेहतर और पक्का रास्ता बनेगा तो हमें संतोष हुआ।”
जनसंवाद और नियम आधारित शासन की मिसाल
मीरपुर मुवाजरपुर की घटना यह दर्शाती है कि जब प्रशासन नियमों के साथ-साथ संवाद की नीति अपनाता है, तो किसी भी जटिल स्थिति को सुलझाया जा सकता है। न तो जनता को नुकसान उठाना पड़ता है और न ही विकास कार्य रुकते हैं।
भारतीय किसान यूनियन (क्रांति) के नेताओं ने भी प्रशासन के साथ हुए संवाद की सराहना की और विश्वास जताया कि तय समय पर काम प्रारंभ होगा।
विकास सिंह सैनी, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन (क्रांति):
“हमने जनहित में आवाज उठाई थी। प्रशासन ने हमारी बात सुनी, अब हमारा भी दायित्व है कि हम संयम बनाए रखें।”
तौफीक अहमद, प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन क्रांति:
“हमारे आंदोलन का उद्देश्य टकराव नहीं था, बल्कि समाधान खोजना था। हमें खुशी है कि प्रशासन ने संवाद से रास्ता निकाला।”
नज़र अब 25 मई पर, भरोसा कायम
अब सबकी निगाहें 25 मई 2025 की तारीख पर टिकी हैं, जब निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। यदि तय समय पर काम शुरू होता है, तो यह प्रशासनिक पारदर्शिता और सामाजिक सहमति का एक आदर्श उदाहरण बन जाएगा।
यह घटनाक्रम यह भी सिखाता है कि प्रशासनिक कार्रवाई अगर नियमनुसार और संवादपूर्ण हो तो वह जनता के सहयोग से बड़े जनकल्याण में तब्दील हो सकती है।