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आपदा के प्रति सतर्क हुआ प्रशासन, मानसून, कांवड़ और चारधाम यात्रा को लेकर डीएम मयूर दीक्षित ने जारी किए सख्त निर्देश, बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे अधिकारी, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई

इन्तजार रजा हरिद्वार- आपदा के प्रति सतर्क हुआ प्रशासन,
मानसून, कांवड़ और चारधाम यात्रा को लेकर डीएम मयूर दीक्षित ने जारी किए सख्त निर्देश,
बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे अधिकारी, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई

हरिद्वार, 08 जून 2025 | रिपोर्ट: Daily Live Uttarakhand | संवाददाता: इन्तजार रजा

हरिद्वार में आगामी मानसून काल, कांवड़ मेला और गतिमान चारधाम यात्रा के मद्देनजर जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने साफ कर दिया है कि इस संवेदनशील मौसम और तीर्थ सीजन के दौरान जिले में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी जनपद स्तरीय अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे बिना अनुमति न तो अवकाश पर जाएंगे और न ही मुख्यालय छोड़ेंगे।

डीएम मयूर दीक्षित ने कहा कि मानसून के समय प्राकृतिक और मानवजनित आपदाएं अक्सर सामने आती हैं। भारी बारिश, गंगा के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि, निचले इलाकों में बाढ़ और भू-कटाव जैसे हालात प्रशासन को चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल सकते हैं। ऐसे में एक-एक अधिकारी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है और किसी भी स्तर पर लापरवाही आपदा को और भीषण बना सकती है।

मानसून में आपदाओं का बढ़ता खतरा

भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा समय-समय पर भारी वर्षा की चेतावनियां जारी की जाती हैं, जिन्हें गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। मानसून के दौरान न केवल गंगा जैसी प्रमुख नदियों में जलस्तर में वृद्धि होती है, बल्कि निचले क्षेत्रों में बसे गांवों और बस्तियों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है।

हरिद्वार जिले के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में मौजूद दर्जनों छोटे-बड़े नाले मानसून के दौरान जल निकासी में अक्षम हो जाते हैं क्योंकि समय रहते उनकी समुचित सफाई नहीं की जाती। इसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ता है – जलभराव की स्थिति बन जाती है, सड़कों पर आवागमन बाधित होता है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

डीएम दीक्षित ने यह भी रेखांकित किया कि ऐसे हालात में त्वरित प्रतिक्रिया (Quick Response) और आपसी समन्वय ही आपदा को टालने और जान-माल की हानि को कम करने का सबसे बड़ा हथियार होता है।

तीर्थ यात्राओं का दबाव: कांवड़ और चारधाम यात्रा का महाआवागमन

इस वर्ष जुलाई में प्रस्तावित कांवड़ मेला और अभी चल रही चारधाम यात्रा के चलते लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार से होकर गुजरेंगे। यह भी एक तरह की ‘मानव आपदा’ को जन्म दे सकता है यदि व्यवस्थाएं चाक-चौबंद न हों।

हरिद्वार गंगा स्नान और तीर्थ यात्रा का प्रमुख केंद्र है। मानसून में गंगा का उफान तीर्थ यात्रियों के लिए जानलेवा हो सकता है। इससे पहले कई वर्षों में जल में डूबने, करंट, फिसलन और भगदड़ जैसे हादसे भी सामने आ चुके हैं।

कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस, प्रशासन, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग को 24 घंटे अलर्ट रहना होता है। ज़रा सी चूक गंभीर घटनाओं को जन्म दे सकती है। ऐसे में डीएम का यह सख्त रुख समयोचित माना जा रहा है।

बिना अनुमति नहीं मिलेगा अवकाश – आदेशों की अवहेलना पर होगी सख्त कार्रवाई

डीएम मयूर दीक्षित ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आगामी समय में कोई भी अधिकारी जिलाधिकारी की अनुमति के बिना अवकाश पर नहीं जाएगा और न ही अपने कार्यस्थल/मुख्यालय को छोड़ने की अनुमति होगी।

उन्होंने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह कानून आपदा के समय किसी भी प्रकार की लापरवाही को दंडनीय अपराध मानता है।

डीएम ने सभी विभागों को आपसी समन्वय से काम करने और हर समय सतर्क रहने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी विभाग या अधिकारी यह नहीं समझे कि वह इस आपदा प्रबंधन योजना से अलग है। सभी को अपनी भूमिका पूरी प्रतिबद्धता के साथ निभानी होगी।

स्थलीय निरीक्षण, मॉक ड्रिल और नाले-नदियों की सफाई के निर्देश

जिलाधिकारी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि समस्त निकायों को मानसून से पहले नालों, नदियों, जल निकासी व्यवस्था की जांच और सफाई करनी होगी। ग्राम पंचायतों, नगर पालिकाओं और जल संस्थानों को इसका कार्य शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं।

साथ ही जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) को सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर मॉक ड्रिल आयोजित करने, बचाव उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कंट्रोल रूम को 24×7 संचालन में रखने के आदेश दिए गए हैं।

बाढ़ संभावित क्षेत्रों की सूची बनाकर वहां पहले से ही अलर्ट जारी किया जाएगा और जरूरतमंद स्थानों पर राहत शिविरों की स्थापना की तैयारी की जा रही है।

जन-जागरूकता अभियान भी होंगे शुरू

डीएम ने कहा कि आम जन को आपदा से निपटने के तरीकों के प्रति जागरूक करना भी प्रशासन की प्रमुख जिम्मेदारी है। इसके लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में पोस्टर, पंपलेट, रेडियो, सोशल मीडिया और लोक संचार के माध्यम से जानकारी प्रसारित की जाएगी।

हर ग्राम प्रधान, आशा वर्कर, पंचायत सचिव और स्कूल के शिक्षक को इस अभियान में शामिल किया जाएगा ताकि प्रत्येक नागरिक को यह जानकारी हो सके कि आपदा के समय क्या करना है और किससे संपर्क करना है।

निष्कर्ष: प्रशासन तैयार, लापरवाही पर नहीं होगी कोई माफी

हरिद्वार प्रशासन ने मानसून, कांवड़ मेला और चारधाम यात्रा जैसे संवेदनशील मौकों पर संभावित आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी के पुख्ता संकेत दे दिए हैं। डीएम मयूर दीक्षित द्वारा अधिकारियों को मुख्यालय में रहने और बिना अनुमति छुट्टी न लेने के आदेश गंभीरता और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

अब देखना यह होगा कि जिले का सरकारी तंत्र इन दिशा-निर्देशों का कितना पालन करता है और किस हद तक प्रशासनिक मशीनरी आपदाओं से निपटने में सफल होती है। एक बात तय है – इस बार आपदा से निपटने की तैयारी केवल कागजों तक सीमित नहीं, ज़मीन पर भी दिखनी चाहिए।

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