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कांवड़ यात्रा के दौरान उपद्रव पर फूटा संत समाज का गुस्सा,, जिहादी तत्वों की घुसपैठ का आरोप, सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश का दावा,, महामंडलेश्वर प्रबोधानंद व यतींद्रानंद ने की कड़ी कार्रवाई की मांग, कहा – अब चुप नहीं बैठेंगे संन्यासी

इन्तजार रजा हरिद्वार- कांवड़ यात्रा के दौरान उपद्रव पर फूटा संत समाज का गुस्सा,,
जिहादी तत्वों की घुसपैठ का आरोप, सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश का दावा,,
महामंडलेश्वर प्रबोधानंद व यतींद्रानंद ने की कड़ी कार्रवाई की मांग, कहा – अब चुप नहीं बैठेंगे संन्यासी

इन्तजार रजा हरिद्वार Daily Live Uttarakhand 

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान बार-बार सामने आ रही उपद्रव की घटनाओं ने अब धार्मिक संतों के धैर्य को तोड़ दिया है। जूना अखाड़ा और हिंदू रक्षा सेना के शीर्ष संतों ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘जिहादी तत्वों की सुनियोजित साजिश’ करार दिया है। संतों का आरोप है कि कुछ असामाजिक तत्व कांवड़ यात्रा की आड़ में हरिद्वार में घुसपैठ कर रहे हैं, और यात्रा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

“पहले थूकते थे कांवड़ पर, अब पहन रहे हैं भगवा वस्त्र” – स्वामी प्रबोधानंद गिरि

हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा –

“जो लोग पहले कांवड़ पर थूकते थे, उसे तोड़ते थे, आज वही लोग भगवा वस्त्र पहनकर कांवड़ यात्रा को बदनाम कर रहे हैं। ये वे लोग हैं जो योगी और धामी सरकार के बुलडोजर से डरकर सीधे उपद्रव नहीं कर पा रहे, तो अब छिपकर हरिद्वार में घुसपैठ कर रहे हैं।”

स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने इन तत्वों को स्पष्ट रूप से ‘जिहादी’ करार दिया और कहा कि सनातन धर्म पर हमला अब सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि ऐसे सभी संदिग्ध तत्वों की पहचान कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।

“सनातन धर्म को कलंकित करने की साजिश” – स्वामी यतींद्रानंद गिरि

जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने भी मामले पर अपनी तीखी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे ‘पूर्व नियोजित साजिश’ बताया। उन्होंने कहा –

“कांवड़ यात्रा पर पहले जो लोग पत्थर फेंकते थे, आज वही कांवड़ियों के भेष में यात्रा में प्रवेश कर रहे हैं। इनका उद्देश्य श्रद्धालुओं में भय फैलाना और सनातन संस्कृति को अपमानित करना है।”

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने समय रहते इन तत्वों पर अंकुश नहीं लगाया, तो संत समाज स्वयं जनआंदोलन करेगा।

संतों की एकजुटता और प्रशासन से सख्त मांग

इन दोनों प्रमुख संतों की एक जैसी मांग है – “घुसपैठ करने वाले जिहादी तत्वों की पहचान कर सार्वजनिक रूप से उन्हें दंडित किया जाए।”

उनका कहना है कि यदि एक भी उपद्रवी कांवड़ यात्रा को बाधित करता है, तो यह केवल धार्मिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का भी प्रश्न है।

जनता को भी किया जागरूक

संतों ने कांवड़ियों और स्थानीय जनता से भी सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हर श्रद्धालु को अपनी धार्मिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ सतर्कता भी बरतनी चाहिए। यदि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिले, तो तुरंत पुलिस या सुरक्षा बलों को सूचित करें।

🔴 स्वामी प्रबोधानंद गिरि, महामंडलेश्वर व राष्ट्रीय अध्यक्ष – हिंदू रक्षा सेना

“हरिद्वार में कुछ जिहादी ताकतें कांवड़ यात्रा को बदनाम करने के इरादे से घुसपैठ कर रही हैं। जो लोग कांवड़ पर थूकते थे, आज भगवा वस्त्र पहनकर यात्रा में घुसकर उपद्रव फैला रहे हैं। यह अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

🔴 स्वामी यतींद्रानंद गिरि, महामंडलेश्वर – जूना अखाड़ा

“यह कांवड़ यात्रा के नाम पर सुनियोजित धार्मिक हमला है। पहले पत्थर चलते थे, आज रणनीति बदली गई है। प्रशासन को चाहिए कि समय रहते इनका पर्दाफाश करे।”

प्रशासन और खुफिया तंत्र पर उठे सवाल

संतों के बयानों के बाद यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या कांवड़ यात्रा में किसी प्रकार की गुप्तचर एजेंसियों की चूक हो रही है? क्या वाकई कुछ उपद्रवी भगवा वस्त्र पहनकर व्यवस्था को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं?

हरिद्वार पुलिस और खुफिया विभाग को अब इस बयानबाजी के बीच सतर्कता और सख्ती दोनों बढ़ानी होगी, ताकि किसी भी तरह की सांप्रदायिक स्थिति उत्पन्न न हो।

कांवड़ यात्रा की गरिमा बचाना सबकी जिम्मेदारी

हरिद्वार में आयोजित कांवड़ मेला केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इसमें किसी भी प्रकार की अशांति देश की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में प्रशासन, संत समाज और जनता – तीनों को मिलकर इसके पवित्र वातावरण की रक्षा करनी होगी।

हरिद्वार में संत समाज की चेतावनी ने प्रशासन के लिए एक सख्त संदेश भेजा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार और पुलिस ऐसे तत्वों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करती है या स्थिति और गंभीर होती है। फिलहाल संतों का गुस्सा थमने के मूड में नहीं दिख रहा और आने वाले दिनों में कांवड़ यात्रा के नाम पर चल रही गतिविधियों पर और गहराई से नजर रखने की आवश्यकता है।

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