धाकड़ नेतृत्व, दृढ़ इच्छाशक्ति और जीरो टॉलरेंस सरकार की मिसाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी : शांत चित्त, सख्त फैसले और बेदाग प्रशासन का प्रतीक, उत्तराखंड को भ्रष्टाचारमुक्त, सुरक्षित और समृद्ध बनाने की ऐतिहासिक यात्रा, शांति से सर्जिकल स्ट्राइक करने वाला योद्धा, धाकड़ निर्णय, बेदाग छवि और जीरो टॉलरेंस नीति के प्रतीक हैं पुष्कर सिंह धामी, उत्तराखंड में बदलाव की गूंज: धामी सरकार की पारदर्शिता, दृढ़ता और निष्कलंक राजनीति

इन्तजार रजा हरिद्वार- धाकड़ नेतृत्व, दृढ़ इच्छाशक्ति और जीरो टॉलरेंस सरकार की मिसाल,
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी : शांत चित्त, सख्त फैसले और बेदाग प्रशासन का प्रतीक,
उत्तराखंड को भ्रष्टाचारमुक्त, सुरक्षित और समृद्ध बनाने की ऐतिहासिक यात्रा,
शांति से सर्जिकल स्ट्राइक करने वाला योद्धा,
धाकड़ निर्णय, बेदाग छवि और जीरो टॉलरेंस नीति के प्रतीक हैं पुष्कर सिंह धामी,
उत्तराखंड में बदलाव की गूंज: धामी सरकार की पारदर्शिता, दृढ़ता और निष्कलंक राजनीति

जब किसी राज्य का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में होता है जो न केवल युवाओं की ऊर्जा का प्रतीक हो, बल्कि गंभीरता, धैर्य और निर्णय क्षमता में भी अपने समकालीनों से मीलों आगे हो – तब केवल विकास ही नहीं होता, बल्कि बदलाव की एक सशक्त लहर उठती है। उत्तराखंड में यह लहर बन चुके हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। वे सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक ऐसे जननेता हैं जिनके हर निर्णय में नीतिगत दृढ़ता, संवेदनशील सोच और निष्पक्ष कार्रवाई झलकती है।
आज जब अधिकांश नेता सोशल मीडिया और मीडिया मैनेजमेंट से अपनी छवि बनाने में लगे हैं, पुष्कर सिंह धामी काम पर विश्वास करते हैं, प्रचार पर नहीं। वे ध्वनि कम और प्रभाव अधिक छोड़ते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय धामी के नेतृत्व में लिखा जा रहा है – ऐसा अध्याय जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनेगा।
हरिद्वार भूमि घोटाला: ‘जीरो टॉलरेंस’ की सबसे बड़ी परीक्षा और ऐतिहासिक फैसला
✅ 15 करोड़ की ज़मीन कैसे बनी 54- 55 करोड़ की?
हरिद्वार जिले में बीते दिनों एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से एक सरकारी ज़मीन का लैंड यूज़ बदलकर उसकी कीमतों में 4 गुना इजाफा कर दिया गया। 15 करोड़ की ज़मीन को 54-55 करोड़ तक पहुँचाया गया। इस पूरे घोटाले में जिलाधिकारी समेत दो वरिष्ठ आईएएस, एक पीसीएस और कई प्रशासनिक कर्मचारी शामिल पाए जाने के आरोप है।
यह घोटाला न केवल राज्य की छवि पर प्रश्नचिह्न लगा सकता था, बल्कि आमजन का सरकार और प्रशासन से विश्वास भी डगमगा सकता था। लेकिन यहीं पर पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व शैली सामने आई – उन्होंने ना केवल घोटाले को गंभीरता से लिया, बल्कि तेज जांच कमेटी गठित की और साफ निर्देश दिए – “कोई भी घोटालेबाज बख्शा नहीं जाए।”
✅ 48 घंटे में रिपोर्ट, 72 घंटे में निलंबन
जांच समिति ने दो दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी, और उसी रात को मुख्यमंत्री धामी ने निर्णय ले लिया। अगली सुबह हरिद्वार के जिलाधिकारी, दो आईएएस अफसर, एक पीसीएस और कई अन्य कर्मचारियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया। यही नहीं, इनके विरुद्ध विजिलेंस जांच और कैग ऑडिट की भी सिफारिश की गई है।
यह उत्तराखंड के इतिहास की पहली ऐसी घटना है, जहाँ इतने बड़े स्तर पर बैठे अफसरों के विरुद्ध इतनी त्वरित और कठोर कार्रवाई की गई। यह पुष्कर सिंह धामी के उस मूल मंत्र को दर्शाता है – भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, चाहे कीमत कुछ भी हो।
अंकिता भंडारी हत्याकांड: न्याय, निष्पक्षता और न्यायालयिक इतिहास
✅ केवल नारों से नहीं, न्याय की नीति से चला सिस्टम
2022 में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड ने उत्तराखंड की आत्मा को झकझोर दिया था। पीड़िता के परिजन और आम लोग न्याय की मांग कर रहे थे, लेकिन ये सिर्फ एक भावनात्मक मामला नहीं था – यह एक कठिन परीक्षण भी था, कि क्या सत्ता में बैठे लोग न्याय के लिए प्रतिबद्ध हैं या नहीं।
मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले में न तो शोर मचाया, न ही भावनात्मक राजनीति की। उन्होंने सरकारी वकीलों की टीम बनाई, केस की मॉनिटरिंग की, और यह सुनिश्चित किया कि आरोपी को जमानत न मिले। यही कारण रहा कि तीन वर्षों तक आरोपी जेल में ही रहा।
✅ आजीवन कारावास: अदालत का ऐतिहासिक फैसला
कुछ सप्ताह पूर्व अदालत ने इस केस का फैसला सुनाते हुए आरोपियों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह केवल कोर्ट की उपलब्धि नहीं थी, बल्कि धामी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और निष्पक्ष नीति का नतीजा था। जब दूसरी पार्टियां इस मुद्दे को सियासी रंग देने में जुटी थीं, तब धामी सरकार न्याय की बुनियाद रख रही थी।

✅ हजारों हेक्टेयर जमीन अतिक्रमण मुक्त
उत्तराखंड में लंबे समय से लैंड जेहाद की शिकायतें सामने आती रही हैं। विशेषकर धार्मिक स्थलों और संवेदनशील क्षेत्रों में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे तेजी से बढ़े। धामी सरकार ने इसे हल्के में नहीं लिया। बीते तीन वर्षों में हजारों हेक्टेयर जमीन अवैध कब्जों से मुक्त कराई गई, और इसमें बिना किसी राजनीतिक दबाव के कार्यवाही हुई।
✅ रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों पर नजर
धामी सरकार ने प्रदेश में अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की, और जिनकी उपस्थिति राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती थी, उन्हें राज्य से बाहर निकालने की कार्यवाही भी तेज की गई। यह कदम न केवल सांस्कृतिक सुरक्षा की दिशा में है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी सुदृढ़ करने वाला है।
UCC लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
✅ भाजपा के ऐतिहासिक एजेंडे को जमीन पर उतारा
राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता (UCC) – भारतीय जनता पार्टी की तीन वैचारिक प्राथमिकताएं। इनमें से UCC अब तक सिर्फ एक संकल्प था, जिसे उत्तराखंड पहला राज्य बना जिसने इसे कानूनी रूप में लागू किया।
पुष्कर सिंह धामी ने व्यापक संवाद प्रक्रिया अपनाई, धार्मिक, सामाजिक और कानूनी संस्थाओं से परामर्श लेकर एक संतुलित कानून तैयार करवाया। जब यह कानून विधानमंडल में पास हुआ, तो एक भी जिले से विरोध की आवाज नहीं आई – यह धामी जी की परिपक्वता और नेतृत्व की गहराई को दर्शाता है।
सुशासन के नए मानक: कानून, निवेश और पारदर्शिता
✅ सबसे सख्त नकल विरोधी कानून
उत्तराखंड में युवाओं के भविष्य के साथ सालों से खिलवाड़ हो रहा था – पेपर लीक, नक़ल माफिया और भर्ती में गड़बड़ियाँ आम थीं। धामी सरकार ने देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया। अब नकल करते पकड़े जाने पर जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इसका असर दिखने भी लगा है – परीक्षाएं बिना गड़बड़ी हो रही हैं।
✅ रिकॉर्ड निवेश और रोज़गार
धामी सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट के जरिए हज़ारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव उत्तराखंड में लाए। पर्यटन, ऊर्जा, शिक्षा, हेल्थ और आईटी जैसे क्षेत्रों में निवेश हो रहा है। निवेश के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को रोज़गार के अवसर भी मिल रहे हैं।
✅ शासन में तकनीक और पारदर्शिता
धामी सरकार ने प्रशासन को तकनीकी रूप से सशक्त बनाया है – ऑनलाइन पोर्टल्स, ई-गवर्नेंस, ट्रांसफर नीति में पारदर्शिता और जनता के साथ सीधा संवाद अब शासन का हिस्सा हैं।
जननेता की पहचान: जब काम बोले, तब प्रचार की जरूरत नहीं
पुष्कर सिंह धामी का सबसे बड़ा राजनीतिक गुण यह है कि वे अपनी छवि गढ़ने में समय बर्बाद नहीं करते। वे परिणामों में विश्वास रखते हैं। जहाँ अन्य नेता सोशल मीडिया, रैली, फोटो सेशन से खुद को प्रोजेक्ट करते हैं, धामी जी प्रोजेक्ट नहीं करते – वे परफॉर्म करते हैं।
यही वजह है कि उनके खिलाफ नकारात्मक एजेंडे, चाहे वह कांग्रेस का हो या वामपंथी समूहों का, कभी टिक नहीं पाते। क्योंकि जनता को दिखता है कि धामी जी का नेतृत्व सिर्फ वादों पर नहीं, क्रियान्वयन और साहसिक फैसलों पर आधारित है।
उत्तराखंड के लिए सौभाग्य, देश के लिए उदाहरण
पुष्कर सिंह धामी का नेतृत्व आज उत्तराखंड की राजनीति की सबसे सकारात्मक, सबसे निर्णायक और सबसे पारदर्शी धारा बन चुका है। वे राजनीति को सेवा और संकल्प से जोड़ते हैं, और यही वजह है कि तीन वर्षों में उन्होंने खुद को न केवल एक युवा नेता के रूप में स्थापित किया, बल्कि एक ‘धाकड़ प्रशासक’ के रूप में भी मान्यता दिलाई है।
आज उत्तराखंड बदल रहा है – और इस बदलाव की हर धड़कन के पीछे एक ही नाम है – पुष्कर सिंह धामी।
“जो शांति से फैसले ले, लेकिन जिनकी धमक वर्षों तक महसूस हो – ऐसा नेतृत्व ही जनता का विश्वास जीतता है। और उत्तराखंड को यह सौभाग्य प्राप्त है।”
✍️ विशेष लेख इन्तजार रजा हरिद्वार
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