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पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ हरिद्वार में फूटा गुस्सा बहादराबाद में मुस्लिम समाज ने किया विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन “आतंकवाद मुर्दाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारों से गूंजा इलाका

इन्तजार रजा हरिद्वार- पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ हरिद्वार में फूटा गुस्सा
बहादराबाद में मुस्लिम समाज ने किया विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन
“आतंकवाद मुर्दाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारों से गूंजा इलाका

हरिद्वार, बहादराबाद:
कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए बर्बर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, जिससे जनमानस में आक्रोश है। इसी क्रम में शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद हरिद्वार के बहादराबाद कस्बे में मुस्लिम समाज के लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान और आतंकवाद का पुतला दहन कर अपना विरोध दर्ज कराया और शांति व एकता का संदेश दिया।

बस स्टैंड चौक बना विरोध का केंद्र

प्रदर्शन की शुरुआत जुमे की नमाज के तुरंत बाद हुई। नमाज अदा करने के बाद सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग बस स्टैंड चौक पर एकत्रित हुए। हाथों में तख्तियां, बैनर और पोस्टर लिए हुए लोगों ने आतंकवाद और पाकिस्तान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। “पाकिस्तान मुर्दाबाद”, “आतंकवाद मुर्दाबाद”, “हिंदुस्तान जिंदाबाद” और “हत्यारों को फांसी दो” जैसे नारे गूंजते रहे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आतंकवाद की कोई जात, धर्म या मज़हब नहीं होता और यह पूरी इंसानियत के लिए खतरा है।

पुतला दहन के साथ दिया गया कड़ा संदेश

प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तान और आतंकवाद के प्रतीक के रूप में एक पुतला तैयार किया गया, जिसे बाद में लोगों ने आग के हवाले कर दिया। इस पुतला दहन के जरिए प्रदर्शनकारियों ने यह स्पष्ट किया कि देश की जनता आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी और हर रूप में उसका विरोध किया जाएगा।

समाज के लोगों ने कहा कि ये हमला सिर्फ कश्मीर या पर्यटकों पर नहीं था, बल्कि भारत की अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द पर हमला था। उन्होंने कहा कि आतंकी ताकतें भारत को बांटने का सपना देख रही हैं, लेकिन देश की जनता हर बार एकजुट होकर उनके मंसूबों को नाकाम करेगी।

गहरी संवेदना, लेकिन स्पष्ट आक्रोश

प्रदर्शन के दौरान उपस्थित मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध लोगों ने आतंकवाद के शिकार हुए मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि एक पर्यटक की हत्या किसी भी इंसान की हत्या है और इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है। समाज के वरिष्ठ व्यक्तियों ने मांग की कि सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई करे और आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए।

“आतंकवाद को मज़हब से न जोड़ें”

प्रदर्शन के दौरान यह बात भी विशेष रूप से उठाई गई कि आतंकवाद को इस्लाम या किसी धर्म से जोड़ना गलत है। वक्ताओं ने कहा कि इस्लाम शांति और भाईचारे का धर्म है, जो निर्दोषों की हत्या की इजाजत नहीं देता। उन्होंने अपील की कि समाज में आपसी प्रेम और विश्वास बना रहे, और आतंकवादियों के कृत्य का ठीकरा किसी समुदाय पर न फोड़ा जाए।

पुलिस और प्रशासन रहा सतर्क

प्रदर्शन की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। सुरक्षा के मद्देनज़र क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती की गई थी ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। हालांकि पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से संपन्न हुआ, जिससे प्रशासन ने भी राहत की सांस ली।

बहादराबाद थाना प्रभारी ने बताया कि लोगों का गुस्सा जायज़ है लेकिन उन्होंने शांति और कानून के दायरे में रहकर विरोध दर्ज कराया, जो सराहनीय है। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाया कि उनकी आवाज़ को उचित माध्यमों से आगे तक पहुंचाया जाएगा।

देशभर में विरोध की लहर

गौरतलब है कि पहलगाम में हुए इस कायराना आतंकी हमले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा जुलूस, रैलियां और मौन सभाएं आयोजित की जा रही हैं। हर वर्ग के लोग इस बात को लेकर एकमत हैं कि आतंकवाद का सफाया होना जरूरी है और इसके लिए सभी को एकजुट होना पड़ेगा।

युवा वर्ग भी हुआ मुखर

प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया और सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी आवाज़ बुलंद की। युवाओं ने कहा कि अब सिर्फ बयानबाज़ी से काम नहीं चलेगा। समय आ गया है कि देश की सुरक्षा नीति को और मज़बूत किया जाए और आतंक के खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ा जाए।

अंत में दुआओं के साथ शांति की अपील

प्रदर्शन का समापन दुआ के साथ हुआ, जिसमें देश में शांति, एकता और सौहार्द बनाए रखने की प्रार्थना की गई। लोगों ने कहा कि आतंकवादी ताकतें चाहे जितनी कोशिश कर लें, भारत की विविधता और एकता को तोड़ नहीं सकतीं।

बहादराबाद में मुस्लिम समाज द्वारा किया गया यह प्रदर्शन न केवल आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ था, बल्कि यह भी संदेश था कि देश का हर नागरिक—चाहे किसी भी धर्म या वर्ग से हो—एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़ा है। इस प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद को किसी धर्म की आड़ में छिपने नहीं दिया जाएगा और भारत की जनता उसके खिलाफ हर मोर्चे पर डटकर मुकाबला करेगी।

 

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